
उत्तर पश्चिम रेलवे के जोधपुर (Jodhpur) मंडल द्वारा जोधपुर–मारवाड़ जंक्शन रेलखंड में 101 ट्रैक (Railway Track) किलोमीटर का सीटीआर (कंप्लीट ट्रैक रिनुअल) कार्य 23 जून 2025 को सफलतापूर्वक पूर्ण कर लिया गया। यह कार्य सितंबर 2023 में प्रारंभ किया गया था।
मंडल रेल प्रबंधक अनुराग त्रिपाठी ने जानकारी दी कि यह कार्य तीन चरणों में संपन्न हुआ — प्रथम चरण में जोधपुर से लूणी, द्वितीय चरण में लूणी से पाली मारवाड़ और तृतीय चरण में पाली मारवाड़ से मारवाड़ जंक्शन तक। परियोजना पर कुल अनुमानित खर्च लगभग ₹150 करोड़ आया। यह रेलखंड विशेष रूप से महत्वपूर्ण था क्योंकि इसमें ‘डी’ मार्क की गई पटरियाँ विद्यमान थीं, जिन्हें प्राथमिकता के आधार पर बदला जाना आवश्यक था।
डीआरएम त्रिपाठी ने कहा कि “यह उपलब्धि मंडल के अधिकारियों और कर्मचारियों की प्रतिबद्धता और महाप्रबंधक श्री अमिताभ के दूरदर्शी नेतृत्व का परिणाम है। कार्य की पूर्णता से इस रेलखंड में परिचालन की सुरक्षा और क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।”
क्या होता है सीटीआर (CTR)?
रेलवे में सीटीआर यानी कंप्लीट ट्रैक रिनुअल का तात्पर्य है — किसी रेल सेक्शन की पुरानी, कमजोर हो चुकी पटरियों, स्लीपरों और बैलास्ट को हटाकर उनकी जगह नई और आधुनिक तकनीक से निर्मित उच्च गुणवत्ता की सामग्री लगाना। इसका उद्देश्य ट्रैक की मजबूती, दीर्घायु और सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है।
सीटीआर की आवश्यकता क्यों?
समय के साथ रेल पटरियाँ और स्लीपर क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, जिससे संचालन की गति, सुरक्षा और स्थिरता प्रभावित होती है। विशेष रूप से ‘डी’ मार्क की गई पटरियाँ पुरानी तकनीक से बनी होती हैं और उनमें आंतरिक कमजोरियाँ होती हैं, जिनका एकमात्र समाधान समय पर उनका नवीनीकरण है।
सीटीआर के प्रमुख लाभ :-
ट्रेनों की गति में वृद्धि
सुरक्षा स्तर में सुधार
दुर्घटनाओं की संभावना में कमी
रखरखाव लागत में कमी
रिपोर्ट: ठाकराराम मेघवाल