भीलवाड़ा (Bhilwara) में सौभाग्य और सुहाग का पर्व सातुड़ी तीज पूरे उत्साह और विधि विधान के साथ मनाया गया। पर्व को लेकर महिलाओं ने एक दिन पहले से ही तैयारी शुरू कर दी, हाथों में मेहंदी रचाई, सिंजारे और बेसन और आटे के सत्तू आए। विधि विधान से पूजा करने के बाद चांद को अर्ध दिया गया और पति की लंबी की उम्र की कामना के साथ व्रत को पूरा किया गया।
भीलवाड़ा मैं सातुड़ी तीज के मौके पर महिलाओं में उत्साह का माहौल था, महिलाओं ने दिन भर निराहार और निर्जल रहकर इस व्रत को पूरा किया। शाम होने के बाद में सोलह श्रृंगार कर महिलाएं पूजन के लिए इकट्ठा हुई। जहां मां पार्वती और भगवान शिव की आराधना की गई। जिस प्रकार मां पार्वती ने 108 जन्मों के बाद भगवान शिव को पाया था उसी प्रकार अपने पति का हर जन्म में साथ और दीर्घायु की कामना के लिए इस व्रत को किया गया।पूजा करने आई वर्षा सोमानी ने बताया कि हमे सातुड़ी तीज का पूरे साल भर से इंतजार रहता है। रक्षाबंधन के दो दिन बाद पति की लंबी उज उम्र ओर अखंड सौभाग्य की कामना के साथ व्रत किया जाता है । इसके लिए आज हम तैयार हुए हैं, कल से ही हम इस पर्व के लिए तैयारी में जुटे हुए थे, हमने मेहंदी लगाई है, सिंजारा ओर सातू आया है। दिन भर निराहार रहकरअपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखा है ।
पूजा करने आई महिला सुमन गट्टयानी ने बताया कि निराहार रहकर आज हमने इस व्रत को किया है। सुबह से हमने अन्न जल नहीं लिया है, पूजा के बाद और चांद को अर्ध देने के बाद व्रत खोलते हैं ओर मां पार्वती ओर भगवान शिव से पति की लंबी उम्र की कामना करते हैं।
एक अन्य युवती अंजलि कोठारी ने बताया कि आज के दिन का हर सुहागिन महिला के लिए विशेष महत्व है। आज हम नीम की डाली की पूजा करते हैं और पूजा के बाद चांद को अर्ध देकर हमारा व्रत पूरा करते हैं ओर पति के लंबी उम्र की कामना करते हैं।