
पाली (Pali) के ऐतिहासिक लाखोटिया तालाब में मंगलवार (17 जून, 2025) को अचानक संकट के बादल मंडराने लगे, जब सतह पर दर्जनों मछलियां तड़पती नजर आईं। जांच में सामने आया कि सोमवार रात यूआईटी द्वारा चल रहे निर्माण कार्य के दौरान डायवर्ट ग्रे वाटर (गंदा नालों का पानी) रोकने की व्यवस्था टूट गई और रसायनयुक्त पानी सीधे तालाब में जा मिला। इससे जल की गुणवत्ता बिगड़ गई और मछलियां ऑक्सीजन की कमी से बेहाल हो गईं।
निगम और विभागों की संयुक्त कार्रवाई ने बचाई मछलियों की जान
मछलियों की हालत देखकर स्थानीय नागरिकों ने तुरंत नगर निगम को सूचित किया। आयुक्त नवीन भारद्वाज ने गंभीरता को समझते हुए नगर विकास न्यास, मत्स्य विभाग व पशुपालन विभाग की टीमों को तुरंत मौके पर भेजा।
15 टैंकरों से डाला गया ताजा पानी, करीब 6 लाख लीटर जल तालाब में डालकर डायल्यूशन बढ़ाया गया। साथ ही, जल को शुद्ध करने के लिए पोटैशियम परमैंगनेट और चूना डलवाया गया। यह पूरी प्रक्रिया मत्स्य अधिकारी राजूराम की निगरानी में की गई। आग बुझाने वाली दमकल गाड़ियों की मदद से भी पानी का स्तर सुधारा गया, जिससे मछलियों की स्थिति में सुधार आया।
लापरवाही से उठे सवाल, स्थायी समाधान की मांग
लाखोटिया जैसे ऐतिहासिक तालाब में प्रदूषित जल का पहुंचना पर्यावरणीय लापरवाही की ओर इशारा करता है। स्थानीय नागरिकों और पर्यावरण प्रेमियों ने अब नगर प्रशासन से स्थायी समाधान और कड़ी निगरानी व्यवस्था की मांग की है, ताकि भविष्य में जैव विविधता पर ऐसा खतरा न आए।
रिपोर्ट – रविन्द्र सोनी