राजस्थान की झालावाड़-बारां लोकसभा सीट साल 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई। यहां अब तक तीन बार चुनाव हुए हैं और तीनों ही बार पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह ने जीत दर्ज कराई है। वसुंधरा राजे के खास प्रभाव वाली इस सीट पर वह चौथी बार भी मैदान में है।
दुष्यंत सिंह परिसीमन के पहले झालावाड़ लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। परिसीमन के दौरान झालावाड़ जिले की चार डेग, झालरापाटन, खानपुर, और मनोहरथाना तथा बारां जिले की चार अन्ता, किशनगंज, बारां- अटरू, छाबड़ा विधानसभा सीटों को मिलाकर इस लोकसभा क्षेत्र का गठन किया गया।
इससे पहले खुद पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे यहां से 5 बार जीतकर सांसद रह चुकी हैं। इसलिए इस सीट पर उनका खास प्रभाव माना जाता है। हालांकि इस मिथक तोड़ने के लिए कांग्रेस भी ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही है। विधानसभा में इस लोकसभा क्षेत्र की आठ सीटों में से इकलौता खानपुर विधायक सुरेश गुर्जर ही कांग्रेस के टिकट पर चुने गए हैं। वहीं बाकी सभी विधायक बीजेपी के हैं।
इसके चलते ही माना जाता है कि यह सीट बीजेपी की अपनी सीट है। परिसीमन पूर्व इस सीट के इतिहास की बात करें तो पूर्व झालावाड़ लोकसभा सीट के नाम से विख्यात सीट पर पहला चुनाव 1952 में हुआ था और कांग्रेस के नेमी चंद्र कासलीवाल निर्वाचित हुए और 1957 के चुनाव में भी जीत दर्ज की।
1962 के चुनाव में कांग्रेस के ही बृजराज सिंह सांसद बने। लेकिन उन्होंने 1967 का चुनाव भारतीय जनसंघ के टिकट पर लड़ा और 1971 में भी पुनर्निर्वाचित हुए। 1970 और 1980 के चुनाव में जनता पार्टी के चतुर्भुज को लोगों ने संसद में भेजा। 1984 में कांग्रेस के जुझार सिंह निर्वाचित हुए।
उसके बाद शुरु हुआ वसुंधरा राजे सिंधिया को दौर अब तक कायम है। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने वर्ष 1989 के नौवीं लोकसभा के चुनाव में झालावाड़ संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर चुनाव जीता और इस क्षेत्र में पार्टी का खाता खोला।
इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और वह इसके अगले चार चुनाव वर्ष 1991, 1996, 1998 और 1999 लगातार जीतकर पांच बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 2003 में उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद भाजपा ने उनके पुत्र दुष्यंत कुमार सिंह को 2004 के लोकसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी बनाया। मतदाताओं ने भी विश्वास जताते हुए उन्हें संसद में भेजा। 2008 के परिसीमन के बाद 2009, 2014 एवं 2019 में भी वे यहां से लोकसभा चुनाव में निर्वाचित हुए।
1989 से राजे का राज, 5 बार रहीं सांसद
राजस्थान की झालावाड़-बारां लोकसभा क्षेत्र एक हाई प्रोफाइल सीट है। दरअसल, इस ये संसदीय सीट वसुंधरा राजे परिवार का गृह क्षेत्र है। महारानी यानी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया का गृह क्षेत्र होने के कारण ये सीट बीजेपी के कब्जे में 1989 से बनी हुई है और इतने दशकों से कोई इस तिलिस्म को नहीं तोड़ पाया। पहले 5 लोकसभा चुनाव में वसुंधरा राजे और पिछले 4 लोकसभा चुनाव से उनके बेटे दुष्यंत सिंह इस सीट पर काबिज हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया 2003 से ही इस लोकसभा के अंतर्गत आने वाली झालरापाटन सीट से विधायक हैं। 1985 में धौलपुर से पहली बार विधायक बनने वाली वसुंधरा राजे सिंधिया पिछले विधानसभा चुनाव में झालरापाटन सीट से पांचवीं बार विधायक निर्वाचित हुईं हैं। इस तरह से देखें तो वसुंधरा इस सीट से 5 बार सांसद और 5 बार विधायक रह चुकीं हैं।
पांचवीं बार सांसद बनेंगे दुष्यंत सिंह!
धौलपुर के युवराज दुष्यंत सिंह एक बार फिर से बीजेपी के टिकट पर अपनी परंपरागत लोकसभा सीट झालावाड़-बारां से मैदान में उतर चुके हैं। झालावाड़ से एक बार और झालावाड़-बारां से तीन बार सांसद रह चुके दुष्यंत सिंह के सामने अब तक किसी भी राजनीतिक दल की ओर से कोई बड़ी चुनौती नहीं मिली है। चूंकि यह सीट भी उनकी मां और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विशेष प्रभाव वाली है। 2003 में वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री बनने तथा इस सीट से सांसदी छोड़ने के बाद उनके पुत्र दुष्यंत कुमार सिंह इस सीट से सांसद हैं।
2004 का लोकसभा चुनाव दुष्यंत सिंह ने लड़ा और उन्होंने पहली बार सांसद बनकर इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद झालावाड़ के साथ बारां को भी जोड़ देने से झालावाड़-बारां से दुष्यंत सिंह ने वर्ष 2009, 2014 एवं 2019 के लगातार चुनाव जीतकर इस क्षेत्र से चार बार सांसद बनने का गौरव प्राप्त किया। इस लोकसभा चुनाव में यदि उनको जीत मिलती है तो लोकसभा चुनाव में यह उनकी पांचवीं जीत होगी। दुष्यंत सिंह ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रमोद शर्मा को 4,53,828 वोटों से हराया था।
15 साल बाद दुष्यंत के सामने उर्मिला की चुनौती
कांग्रेस ने बारां-झालावाड़ सीट से गहलोत सरकार में पूर्व मंत्री रहे प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मिला जैन भाया को प्रत्याशी बनाया है। उर्मिला जैन भाया वर्तमान में बारां की जिला प्रमुख हैं। यह तीसरी बार है जब जैन परिवार- दुष्यंत सिंह को चुनौती देगा। इससे पहले 2009 में उर्मिला जैन और 2014 में उनके पति प्रमोद जैन चुनावी मैदान में थे। हालांकि उन दोनों को दोनों बार ही बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा। दुष्यंत सिंह ने 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रमोद जैन भाया को 2,81,546 वोटों से हराया था।
वहीं उर्मिला जैन भाया 2009 में जब बारां-झालावाड़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ीं थीं उस चुनाव में दुष्यंत सिंह को 428996 वोट मिले, जबकि उर्मिला जैन भाया को 376208 वोट मिले थे। दुष्यंत सिंह ने उन्हें करीब 52841 वोटों से हराया था। ऐसे में एक बार फिर 15 साल बाद दोनों नेता आमने-सामने है। उर्मिला जैन भाया के पति प्रमोद जैन भाया राजस्थान सरकार में दो बार मंत्री रह चुके हैं। भाया पांच विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, जिसमें तीन बार विधायक बने है। उनका बेटा यश जैन बारां यूथ कांग्रेस का जिला अध्यक्ष है।
सबसे अमीर प्रत्याशी हैं उर्मिला, दुष्यंत के पास लग्जरी गाड़ियां
बारां-झालावाड़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहीं उर्मिला जैन भाया हाड़ौती में सबसे अमीर प्रत्याशी हैं। उर्मिला और उनके पति पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया के पास 55 करोड़ की संपत्ति है। अकेली उर्मिला जैन के पास ही 41.20 करोड़ की संपत्ति है, जबकि उनके प्रति प्रमोद जैन भाया के पास 13.30 करोड़ की संपत्ति है। इसमें अधिकांश संपत्ति उनके अचल है, जिसकी कीमत 28.49 करोड़ उर्मिला जैन भैया के पास और प्रमोद जैन भाया के पास 9.30 करोड़ है। जिसमें कृषि भूमि, भूखंड, कमर्शियल स्पेस, मकान व फ्लैट शामिल हैं।
इसके अलावा उनके पास दो एसयूवी और एक बाइक है। इनकी कीमत 25 लाख रुपए है, जबकि उनके पति प्रमोद जैन के पास एक कार, एक जीप और एक एसयूवी है। इन तीनों की कीमत 42 लाख रुपए है। उर्मिला जैन के पास 110 तोला सोना 7.70 लाख रुपए का है। वहीं, प्रमोद जैन भाया के पास 9 किलो चांदी है, जिसकी कीमत 7.20 लाख है। वहीं, 1 लाख रुपए की 32 बोर की बंदूक भी उनके पास है। जबकि दुष्यंत सिंह के पास 14.17 करोड़ की संपति है। वहीं, उनके पास 1.75 करोड़ का सोना है। जबकि उनकी पत्नी निहारिका राजे के पास में 2.46 करोड़ का सोना है।
इसके साथ ही उनकी पत्नी के पास 3.5 लाख रुपये की चांदी भी है। दो प्राचीन बंदूकें भी उनके पास हैं। दुष्यंत सिंह के पास मर्सिडीज, वोल्वो, इनोवा और एक होंडा सिटी कार है। इन सबकी कीमत 1.54 करोड़ के आसपास है। वहीं, उनके हिंदू अभिव्यक्त कुटुंब में पांच रोल्स-रॉयस कारें भी हैं।