Bhiwandi Lok Sabha: गठन के बाद जीती कांग्रेस, अब फहरा रहा भगवा

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मुंबई। भिवंडी लोकसभा (Bhiwandi Lok Sabha) सीट भारत के 543 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। भिवंडी में पहली बार 2009 में लोकसभा चुनाव हुआ था, जिसमें भाजपा की हार हुई कांग्रेस के सुरेश टावरे जीते। जबकि भाजपा के जगन्नाथ पाटिल को हार का सामना करना पड़ा। उसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कपिल पाटिल को यहां से चुनावी मैदान में उतारा। इस चुनाव में उन्हें 4,11,070 वोट प्राप्त कर कांग्रेस के विश्वनाथ पाटिल को हराया। पाटिल को पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भी टिकट दिया और उन्होंने पार्टी के विश्वास पर खरा उतरते हुए जीत दर्ज कर पार्टी का परचम बुलंद रखा। पुरस्कार स्वरूप पार्टी ने उन्हें केंद्र में मंत्री बनाकर पुरस्कृत भी किया।

पाटिल इस सीट से एक बार फिर से चुनावी मैदान में हैं। उनके समक्ष महाविकास आघाड़ी के ओर से सुरेश गोपीनाथ म्हात्रे (बाल्या मामा) चुनौती दे रहे हैं। अब देखना यह है कि कपिल पाटिल यहां से फिर चुनाव जीतते हैं या बाल्या मामा अपने नाम जीत दर्ज कर असंभव कार्य पाते हैं। राजनीतिक दृष्टि से भिवंडी लोकसभा सीट के भौगोलिक दृष्टि व क्षेत्र के हिसाब से देखें तो इस सीट के अंतर्गत 6 विधानसभा क्षेत्र भिवंडी ग्रामीण (एसटी), शाहपुर (एसटी), भिवंडी पश्चिम, भिवंडी पूर्व, कल्याण पश्चिम एवं मुरबाड शामिल हैं।

इससे पूर्व यह सीट डहाणू लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती थी। जिस पर 1962, 1967 और 1971 में लोकसभा चुनाव हुए थे। इन चुनावों में कांग्रेस यशवंतराव मुक्ने, सोनूभाऊ बसवंत एवं वैजनाथ धामनकर निर्वाचित हुए थे। भिवंडी लोकसभा सीट परिसीमन के बाद 2008 में अस्तित्व में आई थी। ठाणे जिले में आने वाली भिवंडी सीट परिसीमन के पहले डहाणू लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा थी। डहाणू से अलग होने के बाद भिवंडी में वो तीन विधानसभा आई जहां भाजपा का दबदबा रहा। यही वजह है कि शिवसेना से गठबंधन के बाद भाजपा इस सीट को अपने पास ही रखती आई है।

व्यापारिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण भिवंडी

भिवंडी एक वाणिज्यिक शहर और एक प्रमुख व्यापार केंद्र है जो मुंबई को शेष भारत से जोड़ता है। ऐतिहासिक रूप से, भिवंडी में कोली और कोंकणी लोग रहते थे। हालांकि, 20वीं सदी के अंत में, भिवंडी एक छोटा सा शहर बन गया। भशहर में कपड़ा उद्योगों के तेजी से उछाल ने भी मुख्य रूप से प्रवासियों को आकर्षित किया। शहर की मजबूत और लगातार बिजली और परिवहन बुनियादी ढांचे ने कई कपड़ा कंपनियों को आकर्षित किया। इसलिए 1930 के दशक में, शहर कपड़ा उद्योग का केंद्र बन गया, जिसके पास देश में सबसे ज्यादा पावरलूम और हैंडलूम हैं। साथ ही, अधिकांश आबादी पावरलूम क्षेत्र में काम कर रही है। दूसरा सबसे बड़ा पावरलूम होने के कारण, भिवंडी एशिया के सबसे बड़े वेयरहाउसिंग हब में से एक है क्योंकि इसमें भारत के कुछ सबसे बड़े गोदाम हैं।

हैट्रिक लगाने को तैयार कपिल पाटिल!

2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कपिल पाटिल को मैदान में उतारा था। वहीं, कांग्रेस के पाटिल विश्वनाथ रामचन्द्र, मनसे ने सुरेश गोपीनाथ म्हात्रे को मैदान में उतारा था। तब भाजपा के कपिल पाटिल को 4,11,070 वोट मिले थे। वहीं, कांग्रेस के पाटिल विश्वनाथ रामचन्द्र को 3,01,620 वोट मिले थे। हार और जीत के बीच वोटों में करीब 1,09,450 का अंतर था। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कपिल पाटिल को फिर से उम्मीदवार बनाया। जबकि कांग्रेस ने सुरेश काशीनाथ टावरे को प्रत्याशी घोषित किया। वहीं वीबीए ने अरुण दामोदर सावंत को उम्मीदवार बनाया था। चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को 523,583 वोट मिले, वहीं, कांग्रेस 3,67,254 वोट मिले। हार और जीत के बीच अंतर 1,56,329 वोटों का था।

7 जुलाई, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंत्रालय में फेरबदल के दौरान पंचायती राज मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली और राज्य मंत्री बने। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने कपिल पाटिल पर विश्वास जताते हुए एक बार फिर से चुनावी रण में उतारा है। पाटिल ठाणे जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष के पद पर कार्य किया है और ठाणे जिला परिषद के अध्यक्ष भी रहे हैं। वे मार्च 2014 में राकांपा का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे। भाजपा ने भी उनपर अपना विश्वास कायम रखते हुए एक बार फिर टिकट से नवाजा है। पाटिल की नजरें भी इस सीट से एक बार फिर से जीत दर्ज कर हैट्रिक लगाने पर है।

पवार ने दिखाया बाल्या मामा पर भरोसा

भिवंडी लोकसभा सीट पर महाविकास आघाड़ी की ओर से राकांपा (शरद चंद्र पवार) ने सुरेश म्हात्रे उर्फ़ बाल्या मामा को उम्मीदवार बनाया है। म्हात्रे निर्माण व्यवसाय से जुड़े हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में आने से पहले ठाणे जिले के दबंग नेता माने जाने वाले सुरेश म्हात्रे उर्फ बाल्या मामा काफी समय तक शिवसेना से जुड़े थे। उन्हें ठाणे जिला परिषद के पूर्व बांधकाम सभापति सहित कई पदों पर कार्य करने का अनुभव हासिल है। कुछ माह पूर्व ही उन्होंने शिवसेना के सभी पदों से इस्तीफा दिया था।

शिवसेना से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले के बेहद करीबी होने के कारण म्हात्रे का कांग्रेस पार्टी में प्रवेश तय माना जा रहा था, हालांकि उन्होंने सारी अटकलों को विराम देते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का दामन थाम कर सबको चौंका दिया है। शरद पवार ने उन पर विश्वास जताते हुए भिवंडी लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। देखना यह है कि इस सीट पर मजबूत पकड़ रखने वाले पाटिल को वो कितनी चुनौती दे पाते हैं।

अजीत कुमार राय / जागरूक टाइम्स

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