
Bhilwara। जिला साहित्यकार परिषद् द्वारा काव्य गोष्ठी स्थानीय सिन्धुनगर स्थित हेमू कालानी विद्यालय परिसर में आयोजित की गई। गोष्ठी में विभिन्न विषयों पर सप्तरंगी हृदय स्पर्शी सशक्त रचनाएं प्रस्तुत की गई जिसमें श्रृंगार रस, हास्य रस, आतंक, सावन व जीवन के विभिन्न पहलुओं पर रचनाये प्रस्तुत की गई। गोष्ठी सरस्वती वदना से आरंभ हुई। सर्वप्रथम श्याम सुंदर तिवारी ने हास्य रस में ‘बालम मारो खाबा को शौकीन’, दिव्या ओबेराय ने वर्तमान हालात पर ‘दिल दहला रहे है निर्ममता के समाचार दिन प्रतिदिन’, लाजवंती शर्मा ने ‘मुस्कराना भी है गीत गाना भी है’, बंसीलाल पारस ने ‘जाने कहाँ से उतरती आ रही है आतंकी परछाईयां’, बृजसुंदर सोनी ने ‘हर मन्दिर में बंधे है बेशुमार मन्नतों के धागे,’ अवधेश जौहरी ने ‘किसी की याद में खोई हुई है रात रानी’, दिनेश दीवाना ने ‘मैं क्या जानू सावन क्या है’, राजेश मित्तल ने ‘तन्हा खड़े है कुछ अपने खो गए है’, अजीज जख्मी ने ‘वर्जित सारे काम आजकल व्यवसाय हो गए’, जयप्रकाश भटिया ने ‘गौरी तेरे नैन निराले है, ये लगते मद भरे प्रेम प्याले है’, दयाराम मेठानी ने रिश्तो के महत्व पर कहा ‘रिश्तो में हो प्यार की फुहार तो सावन है जिन्दगी’ सुनाकर वाहवाही बटोरी। गोष्ठी में रतनकुमार चटुल, मनोहरलाल कुमावत, गोपाल शर्मा, नरेन्द्र वर्मा, देवीलाल दुलारा एवं रामबिलास नागर ने अपनी रचना प्रस्तुत कर तालियां बटोरी।
रिपोर्ट – पंकज पोरवाल