
बाड़मेर (Barmer) प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं युवा नेता आजाद सिंह राठौड़ ने बाड़मेर जिले में नवसृजित दुगेरों का तला पंचायत समिति में कुछ ग्राम पंचायतों को जोड़े जाने पर गंभीर आपत्ति जताते हुए इसे तर्कहीन तथा अव्यावहारिक बताया है। राठौड़ ने कहा कि ठाकर सिंह नगर, मेवा नगर, मुरटाला गाला, उण्डखा, इन्द्र सिंह नगर, राणीगांव सहित कई ग्राम पंचायतों को बाड़मेर ग्रामीण की बजाय दुगेरों का तला पंचायत समिति में शामिल करना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है।उन्होंने बताया कि ये सभी ग्राम पंचायतें बाड़मेर शहर, कलेक्ट्रेट, एवं बाड़मेर पंचायत समिति मुख्यालय के समीप स्थित हैं। इनका अधिकांश सीमा क्षेत्र यूआईटी क्षेत्र से सटा हुआ है, जबकि नवसृजित दुगेरों का तला पंचायत समिति से इनकी दूरी काफी अधिक है। ऐसे में इन ग्राम पंचायतों को दूरस्थ पंचायत समिति में जोड़ना नागरिकों की सुविधा, भौगोलिक स्थिति और प्रशासनिक सरलता के विपरीत है।राठौड़ ने कहा कि इन ग्राम पंचायतों के अधिकतर विद्यार्थी बाड़मेर शहर में अध्ययन करते हैं, लोग मजदूरी, रोजगार और व्यापार हेतु प्रतिदिन बाड़मेर शहर पर निर्भर रहते हैं। पंचायत स्तरीय कार्यों हेतु उन्हें उल्टी दिशा में जाकर अनावश्यक समय और संसाधन खर्च करने होंगे, जो ग्रामीण जनता पर अतिरिक्त भार डालने जैसा है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि दुगेरों का तला पंचायत समिति का गठन पूरी तरह उचित है। वर्तमान में यहां 27 ग्राम पंचायतें हैं, जिनमें से 7 पंचायतों को बाड़मेर ग्रामीण पंचायत समिति में सम्मिलित किया जा सकता है। ऐसा किए जाने से दुगेरों का तला पंचायत समिति अपनी मूल संरचना में यथावत बनी रहेगी और अतिरिक्त पंचायतों को बाड़मेर ग्रामीण में समायोजित किया जा सकेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि शहरी विस्तार, भविष्य की योजनाओं तथा भौगोलिक अनुकूलता को देखते हुए भी इन ग्राम पंचायतों का बाड़मेर पंचायत समिति में बने रहना व्यवहारिक और दीर्घकालिक दृष्टि से सही है।अतः राठौड़ ने पंचायती राज विभाग एवं राजस्थान सरकार से आग्रह करते हुए मांग की है कि इन ग्राम पंचायतों को तत्काल प्रभाव से पुनः बाड़मेर ग्रामीण पंचायत समिति में शामिल किया जाए, जिससे स्थानीय नागरिकों को राहत मिल सके और प्रशासनिक कार्य सुगमता से संचालित हो सकें।
रिपोर्ट – ठाकराराम मेघवाल
