बांसवाड़ा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र राजस्थान राज्य के 25 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। बांसवाड़ा को ‘सौ द्वीपों का शहर’ के रूप में भी जाना जाता है। यह राजस्थान में सबसे अधिक बारिश वाला शहर है। भारी वर्षा के कारण यह राजस्थान का सबसे हरा-भरा शहर है। शहर की आबादी 101,017 है। बांसवाड़ा संसदीय क्षेत्र शुरू से कांग्रेस का गढ़ रहा है। यहां अब तक लोकसभा के कुल 17 चुनाव हुए हैं। इनमें से अधिकांश बार यानी 12 बार जीतने वाली कांग्रेस ने भी हर बार प्रत्याशी बदल कर ही विजयश्री का वरण किया है। यही स्थिति भाजपा की भी रही है। दो बार से इस सीट पर काबिज भाजपा इस बार यहां हैट्रिक लगाने की फिराक में है।
वहीं कांग्रेस भी नए चेहरे के साथ पूरी ताकत के साथ इस सीट को कब्जाने का प्रयास कर रही है। यहां भाजपा ने एक बार फिर से अपना प्रत्याशी बदलते हुए वर्तमान सांसद कनक मल कटारा का टिकट काट कर महेंद्रजीत सिंह मालवीय को मैदान में उतारा है। इस सीट के चुनावी इतिहास की बात करें, तो बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर पहला चुनाव 1952 में हुआ। उस समय कांग्रेस के भीखाभाई चुने गए थे। उसके बाद 57 में कांग्रेस ने भोगीलाल पाडिया, 62 में रतनलाल, 67 में हीरजी भाई और 71 में हीरालाल डोडा को मैदान में उतारा। ये सभी चुनाव जीतते रहे। हालांकि 77 के चुनाव में जनता पार्टी के हीरा भाई ने कांग्रेस का विजय रथ थाम तो लिया, लेकिन 80 में हुए अगले चुनाव में ही एक बार फिर से कांग्रेस के भीखाभाई ने यह सीट पार्टी की झोली में डाल दी। अगले चुनाव में कांग्रेस ने प्रभु लाल रावत को सांसद बनवाया।
हालांकि 89 में एक बार फिर हीराभाई जनता दल के टिकट पर चुनाव जीत कर संसद पहुंच गए। 91 में यह सीट वापस कांग्रेस की झोली में पहुंच गई। इस बार यहां से प्रभुलाल रावत सांसद बने। 96 में कांग्रेस के ताराचंद भगोरा, 98 में कांग्रेस के ही महेंद्रजीत सिंह मालवीय और 99 के चुनाव में फिर कांग्रेस के ताराचंद भगोरा यहां से चुने गए। 2004 के चुनाव में भाजपा ने यहां से धन सिंह रावत को लड़ाकर सांसद बनाया। फिर 2009 में कांग्रेस के ताराचंद भगोरा को यहां से संसद जाने का मौका मिला। इसके बाद 2014 में भाजपा के मानशंकर निनामा और 2019 में भाजपा के ही कनक लाल कटारा यहां से चुने गए।
मालवीय करेंगे भाजपा का बेड़ा पार
भाजपा उम्मीदवार महेंद्रजीत सिंह मालवीय विगत दिनों ही कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। मालवीय राजस्थान में आदिवासी चेहरा माना जाता है। मालवीय के पास लम्बा राजनीतिक तजुर्बा है। वो सरपंच से लेकर, प्रधान, विधायक और सांसद का चुनाव लड़ चुके हैं। दक्षिणी राजस्थान, ख़ास तौर पर बांसवाड़ा-डूंगरपुर में उनका मज़बूत जनाधार है। करीब 35 साल से अधिक समय से मालवीय कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे थे। उन्होंने कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था। उसके बाद वे युवा कांग्रेस के सदस्य भी रहे।
मालवीय पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की दो सरकारों में मंत्री भी रहे हैं। कुछ दिन पहले उन्हें कांग्रेस की वर्किंग कमेटी का सदस्य भी बनाया था। राजस्थान कांग्रेस में पूर्व उपाध्यक्ष मालवीय प्रधान, जिला प्रमुख, सांसद, विधायक और दो बार कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। इसके अलावा आदिवासी कांग्रेस सेल के कार्यवाहक अध्यक्ष भी रह चुके हैं। फिलहाल कांग्रेस का साथ छोड़ भाजपा के हो चुके मालवीय से केंद्रीय नेतृत्व को हैट्रिक लगाने की उम्मीद है।
कांग्रेस की करामात, रोत को साथ, अरविंद को सिंबल
बांसवाड़ा सीट पर कांग्रेस की स्थिति बड़ी ही अजीबो-गरीब हो गई। पार्टी नेतृत्व में जहां भारत आदिवासी पार्टी को अपना समर्थन देने की घोषणा कर दी है। वहीं पार्टी से सिंबल मिलने के बाद नामांकन करने वाले अरविंद डामोर भी नामांकन वापस न लेते हुए चुनावी मैदान में अड़े हुए हैं। निर्देश न मानने पर कांग्रेस ने उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया हैं। हालांकि सिंबल मिलने के आधार पर अरविंद डामोर कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार हैं। अब इस सीट से भाजपा को चुनौती दे रहे भाआपा के संस्थापक राजकुमार रोत को भाजपा के साथ –साथ अपनी सहयोगी कांग्रेस के उम्मीदवार से भी लड़ना पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने आखिरी दिन अपने उम्मीदवार अरविंद डामोर का पर्चा दाखिल करवाया था। डामोर के मैदान में आते ही भारत आदिवासी पार्टी में खलबली मच गई। कांग्रेस उम्मीदवार की घोषणा होने के तुरंत बाद, राजकुमार रोत ने कांग्रेस से एक आग्रह किया था। रोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा “बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट पर भारत आदिवासी पार्टी को समर्थन करते हुए अगर इंडिया गठबंधन में कांग्रेस सीट को छोड़ती है, तो हम और यहां के समस्त रहवासी कांग्रेस आलाकमान के आभारी रहेंगे, और भाजपा को धूल चटाएंगे।” रोत के गठबंधन की दुहाई वाले ट्वीट के बाद, कांग्रेस पर दबाव बढ़ा, और कथित तौर पर पार्टी ने डामोर पर नामांकन वापस लेने की बात कही, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया।
बताया जाता है, कि इसके बाद कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से 6 साल के लिए बाहर कर दिया है। बता दें कि चोरासी निर्वाचन क्षेत्र से विधायक राजकुमार रोत, 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करके सबसे कम उम्र के विधायक बने थे। 2024 में उन्हें दो समितियों में नियुक्त किया गया है। इसके अतिरिक्त, वह व्यवसाय सलाहकार समिति में भी भूमिका निभाते हैं। 2021 से 2022 तक वे स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं की समिति के सदस्य रहे हैं।