अहमदाबाद। पश्चिम रेलवे के अहमदाबाद स्टेशन पर मंडल रेल प्रबंधक सुधीर कुमार शर्मा के मार्गदर्शन में यात्रियों, कुलियों, ऑटो-रिक्शा चालकों, लोडर और अन्य कर्मचारियों के लिए अहमदाबाद रेलवे स्टेशन पर एक विशेष जागरूकता अभियान ‘थूकना मना है’ का आयोजन किया गया। इस अभियान के अंतर्गत कुलियों को थूकने के लिए बायोडिग्रेडेबल थूक पाउच मुफ्त में वितरित किए गए।
उन्हें पुराने पाउचों के आधार पर प्रतिस्थापन उपलब्ध कराया जाएगा। अहमदाबाद स्टेशन पर नुक्कड़ नाटक के माध्यम से थूकने के हानिकारक प्रभावों, स्वच्छता पर इसके प्रभाव और सार्वजनिक स्थानों की सफाई के कारण रेलवे को होने वाले वित्तीय नुकसान के बारे में समझाया गया। इसके अलावा उन्हें थूकने से जुड़े दंड के बारे में भी बताया गया। वरिष्ठ मण्डल पर्यावरण एवं गृह व्यवस्था प्रबंधक सुनील पाटीदार ने जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय रेलवे में हर साल थूकने के निशानों को साफ करने में 1200 करोड़ रुपए खर्च करती है।
एक ही थूकने के निशान को साफ करने के लिए रेलवे को 3.57 रुपए खर्च होते हैं। साथ ही इस साफ-सफाई के कार्य में बहुत सारा पानी खर्च हो जाता है। थूकने से कीटाणुओं उत्पन्न होते है जिससे टीबी, कोरोंना जैसी खतरनाक बीमारियाँ फैलती है। एक बार थूकने से एक वर्ग फीट की जगह और उसके कीटाणु 27 फीट तक फैल जाते है साथ ही उस दाग को साफ करने में दो लीटर से ज्यादा पानी खर्च हो जाता है साथ ही यह पर्यावरण को भी दूषित करता है।