Jaisalmer: आसक्ति ओर परिग्रह हमारे जीवन की दशा को मलिन करतें है युवाचार्य

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जैसलमेर। आसक्ति ओर परिग्रह हमारे जीवन की दशा को मलिन करतें है। प्रवक्ता सुनिल चपलोत ने बताया कि विशाल धर्मसभा मे श्रमण संघीय युवाचार्य महेंद्र ऋषिजी ने श्रध्दांलुओ को धर्म उपदेश प्रदान करतें हुए कहा कि 18 पाप स्थानकों के सेवन से जीव भारीपन को प्राप्त करता है, वह भारीकर्मी बनता है। प्राणातिपात आदि पापस्थानकों को आगम और कर्मस्थान में पोद्गलिक कहा गया है। जीव उनसे भारी बनता है और भारी बना हुआ जीव गुरुत्वाकर्षण शक्ति की तरह नीच अवस्था या नरक गति को प्राप्त होता है। इन 18 पापस्थानकों के द्वारा उसके ग्रहों की स्थिति नीच बन जाती है। झूठ , चोरी आदि सारे अब्रह्म सेवन का पाप कर आज हम अपने हाथों से इस स्थिति का निर्माण करते हैं।

उन्होंने कहा पूर्व पुण्यों से हमें यह मानव भव मिला है। जब जीव भारीकर्मी बन जाता है, वह इससे नीच स्थान में जा सकता है। भगवान कहते हैं जीवन में दुःख ममत्व, आसक्ति का है। परिग्रह हमारी दशा को नीच करने वाला है, भाव अवस्था को मलिन करने वाला है। ममत्व के बाद आर्तध्यान, रौद्रध्यान किस सीमा तक ले जाता है। जब गौतमस्वामी ने प्रभु महावीर से पूछा कि जीव लघुकर्मी कैसे बन सकता है। उन्होंने जीव के भारीपन का समाधान पूछा। युवाचार्यश्री ने कहा गौतमस्वामी स्वयं यह जानते थे, फिर भी प्रभु से उन्होंने पूछा।

वे भगवान से वेरिफिकेशन इसलिए लेना चाहते थे क्योंकि वह पूर्णतः सत्य है। आप भी कई चीजें जानते हो, लेकिन बड़ों से वेरिफिकेशन करते हो, क्योंकि यह अल्टिमेट सत्यता का आभास कराता है। भगवान कहते हैं इन पापस्थानकों से निर्मल बनने से जीव हल्का, लघुकर्मी बन जाता है। अपने हाथों से जो पापस्थानकों का सेवन करते हो, वह आपको भारीकर्मी बनाता है। यदि उन पापस्थानकों का विरमण यानी त्याग करते हो तो लघुकर्मी बन जाओगे। पापस्थानकों का सेवन जारी रखोगे तो भारीकर्मी बनते जाओगे। उन्होंने कहा संकल्प पूर्वक कोई चीज करेंगे, उसके फलस्वरूप परिणाम मिलेगा। हम अनादिकाल से कर्मों में धीरे होना, तेज होना, जो किए जा रहे हैं, उससे हमारी आत्मा कर्मों से भारी बनती जा रही है।

अब रुको, क्रोध, मान, माया, लोभ के संस्कारों को विराम दो। आप सोचते हैं यही भव में आप यह कर रहे हो लेकिन अन्य भवों में भी भाव हिंसा तो करते ही हैं। आज जो रुकने का काम आप करते हो, उससे दोनों जगह, इस भव और अगले भवों में फायदा है। कोई चीज भावपूर्वक करना है। ये भाव आगे भी हमारे साथ रहते हैं। जीवन को हल्का बनाने के लिए पर्युषण पर्व में आराधना कर जीवन को स्वस्थ, हल्का बनाएं।

रिपोर्ट : कपिल डांगरा

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