Vadodra: बुधवार को वडोदरा (Vadodra) जिले में महिसागर नदी पर बना एक पुराना पुल अचानक ढह गया, जिससे उस समय पुल पर मौजूद कई वाहन नदी में जा गिरे। इस हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई, जबकि 9 अन्य गंभीर रूप से घायल हुए हैं। हादसे ने प्रशासन की लापरवाही और चेतावनियों को नजरअंदाज करने की स्थिति को उजागर कर दिया है।
यह पुल 1980 के दशक के मध्य में बनाया गया था और तकनीकी रूप से अपनी निर्धारित उम्र पार कर चुका था। स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों ने लंबे समय से इसकी जर्जर हालत की शिकायतें की थीं, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते इसे बंद करने की बजाय केवल मामूली मरम्मत कर चालू रखा गया।
पहले से था खतरे का संकेत
स्थानीय लोगों का कहना है कि पुल पर भारी वाहन गुजरते समय यह हिलता था और उसका कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त नजर आता था। 2022 में एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें एक नागरिक एक अधिकारी से पुल की स्थिति पर सवाल कर रहा था। विधायक चैतन्यसिंह झाला की सिफारिश पर नया पुल बनाने की योजना स्वीकृत हो चुकी थी और उसका सर्वे भी हो गया था, लेकिन मौजूदा पुल को बंद करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
कार्यकारी अभियंता एन एम नायकावाला ने भी माना कि यह पुल अपनी संरचनात्मक उम्र पूरी कर चुका था। पिछले दो वर्षों में दो बार इसकी मरम्मत करवाई गई थी, लेकिन भारी वाहनों की आवाजाही पर कोई रोक नहीं लगाई गई।
रौंगटे खड़े कर देने वाले दृश्य
हादसे के समय पुल पर कई वाहन मौजूद थे, तभी उसका एक हिस्सा अचानक टूटकर गिर गया। वडोदरा ग्रामीण के पुलिस अधीक्षक रोहन आनंद के अनुसार, कम से कम पांच वाहन नदी में जा गिरे। यह पुल मध्य गुजरात को सौराष्ट्र क्षेत्र से जोड़ता था और पाडरा तालुका के मुझपुर गांव से होकर गुजरता था।
सबसे मार्मिक दृश्य तब सामने आया जब 35 वर्षीय सोनलबेन पाधियार आधे डूबे वाहन पर खड़ी होकर गुहार लगा रही थीं कि कोई उनके दो बच्चों और पति को बचा ले — लेकिन दुर्भाग्यवश, तीनों की जान नहीं बच पाई।
मुआवजा और जांच की घोषणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने हादसे पर शोक जताया। पीएमओ की ओर से मृतकों के परिजनों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से ₹2 लाख और घायलों को ₹50,000 की सहायता राशि घोषित की गई है।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी मृतकों के परिवारों को ₹4 लाख और घायलों को ₹50,000 की अतिरिक्त राहत देने की घोषणा की। साथ ही, उन्होंने घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। राज्य की सड़क एवं भवन विभाग की एक टीम और निजी तकनीकी विशेषज्ञों की सहायता से पूरे मामले की जांच की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि तकनीकी जांच के लिए विशेष टीमें भेजी गई हैं और विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
विपक्ष ने सरकार को घेरा
हादसे के बाद विपक्ष ने सरकार पर लापरवाही और चेतावनियों को अनदेखा करने का आरोप लगाया है। यह सवाल उठ रहा है कि जब पुल की हालत पहले से खराब थी, तो उसे यातायात के लिए खुला क्यों रखा गया?
यह हादसा प्रशासनिक चूक और अनदेखी का एक और उदाहरण बन गया है, जिसने कई परिवारों को गहरे दुख में डाल दिया। अब निगाहें इस बात पर हैं कि जांच में क्या सामने आता है और भविष्य में ऐसी त्रासदी दोबारा न हो, इसके लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।