Maharashtra News: राजकोट किले में ढही छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फुट ऊंची प्रतिमा, 2 पर केस दर्ज

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महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के राजकोट किले में सोमवार (26 अगस्त, 2024) को मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फूट ऊंची प्रतिमा ढह गई। इस प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 दिसंबर, 2023 को इंडियन नेवी डे पर किया था। एक अधिकारी ने बताया कि छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा मालवन स्थित राजकोट किले में दोपहर करीब एक बजे ढही। उन्होंने बताया कि विशेषज्ञ प्रतिमा ढहने के कारण का पता लगाएंगे। जिले में बीते दो-तीन दिनों में तगड़ी बारिश हुई है और तेज हवाएं चल रही हैं। पुलिस और जिला प्रशासन के सीनियर अफसरों ने नुकसान का आकलन करने के लिए घटनास्थल का दौरा किया है।

इस पूरे मामले में पुलिस की ओर से एक्शन लिया गया है। प्रतिमा गिरने के मामले में सिंधुदुर्ग पुलिस ने दो लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने ठेकेदार जयदीप आप्टे और संरचनात्मक सलाहकार चेतन पाटिल के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) धारा 109, 110, 125, 318 और 3(5) के तहत एफआईआर दर्ज की है। दोनों की कंपनी को ही शिवाजी महाराज की प्रतिमा बनाने और लगाने का काम दिया गया था।

नौसेना ने जारी किया बयान

वहीं, इस घटना को लेकर भारतीय नौसेना की तरफ से बयान जारी किया गया है। नौसेना ने इस दुर्घटना के कारण की तुरंत जांच करने और जल्द से जल्द प्रतिमा की मरम्मत और फिर से स्थापित करने के लिए लिए एक टीम की नियुक्ति की है। नौसेना की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि, ”भारतीय नौसेना 4 दिसंबर, 2023 को नौसेना दिवस पर अनावरण की गई छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के ढहने पर गहरी चिंता व्यक्त करती है। राज्य सरकार और संबंधित विशेषज्ञों के साथ, नौसेना ने इस दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना के कारणों की तुरंत जांच करने और जल्द से जल्द प्रतिमा की मरम्मत, पुनर्स्थापना और पुनःस्थापना के लिए कदम उठाने के लिए एक टीम को तैनात किया है।”

सीएम शिंदे ने दिए जांच के आदेश

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस मामले को लेकर जांच के आदेश दे दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ये घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। छत्रपति शिवाजी महाराज महाराष्ट्र के पूज्य देवता हैं। यह प्रतिमा नौसेना द्वारा स्थापित की गई थी। उन्होंने ही इसका डिज़ाइन भी तैयार किया था। लेकिन लगभग 45 किमी/घंटा की तेज़ हवाओं के कारण यह गिर गई और क्षतिग्रस्त हो गई।

सीएम शिंदे ने आगे कहा कि PWD और नौसेना के अधिकारी घटनास्थल का दौरा करेंगे और घटना के पीछे के कारणों की जांच करेंगे। मैंने घटना के बारे में सुनते ही लोक निर्माण मंत्री रवींद्र चव्हाण को घटनास्थल पर भेजा। हम इस घटना के पीछे के कारणों का पता लगाएंगे और महाराष्ट्र के पूज्य देवता छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को उसी स्थान पर फिर से स्थापित करेंगे।

विपक्षी दलों ने की आलोचना

इस मामले को लेकर कांग्रेस ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट ‘एक्स’ पर लिखा, ”BJP सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है। नरेंद्र मोदी ने 4 दिसंबर, 2023 को महाराष्ट्र के राजकोट में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का अनावरण किया। अब करीब 8 महीने बाद छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढह गई। हालात ये हैं कि भ्रष्टाचार के मामले में महापुरुषों को भी नहीं बख्शा जा रहा है।”

छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति घटना को लेकर शिवसेना (UBT) के नेता आनंद दुबे ने कहा, सिंधुदुर्ग से खबर आ रही है कि दिसंबर 2023 में स्थापित छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा आज 8-9 महीने बाद ही गिर गई। ऐसी अनियमितताएं, ऐसा भ्रष्टाचार…महायुति सरकार क्या करना चाहती है?… कौन हैं ठेकेदार, सरकारी विभागों के कर्मचारी, PWD अधिकारी जिन्होंने लूट मचाई और हमारे महापुरुषों का सम्मान नहीं कर पाए?…महाराष्ट्र की जनता आने वाले चुनाव में महायुति को जवाब देगी।”

एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मंत्री जयंत पाटिल ने कहा, ”मालवण राजकोट तट पर बनी छत्रपति शिवाजी महाराज की भव्य प्रतिमा के ढहने की खबर बेहद चौंकाने वाली है। इससे राज्य के सभी शिव प्रेमियों को ठेस पहुंची है। छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति बनाते समय कोई सावधानी नहीं बरती गई। हुक्मरानों का मकसद सिर्फ प्रधानमंत्री के हाथों ही प्रतिमा का अनावरण कराना था। इसलिए इस निर्माण कार्य में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया। यह एक घटना प्रधान सरकार है। उन्हें काम की गुणवत्ता लेने की इजाजत नहीं है। कमीशन वसूलने और ठेके देने का सारा काम ईमानदारी से चल रहा है।”

जयंत पाटिल ने आगे कहा, ”राज्य भर में चल रहे सड़क कार्य भी अच्छी गुणवत्ता के हैं। महाराज की मूर्ति बनाते समय भी ऐसा ही घोटाला किया गया होगा। इसलिए वहां की भौगोलिक परिस्थितियों में प्रतिमा टिक नहीं सकी। यह पूरी तरह से महाराष्ट्र सरकार की जिम्मेदारी है। केवल छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम का उपयोग किया जाना चाहिए। सरकार को इसकी परवाह नहीं है कि उनके आचरण, विचार और कार्यों का सम्मान किया जाता है या नहीं। जनता का विरोध।”

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