मकर संक्रांति (Makar Sankranti) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो हर साल जनवरी में मनाया जाता है। यह त्योहार आमतौर पर 14 जनवरी को मनाया जाता है (लीप वर्ष में 15 जनवरी)। मकर का अर्थ है ‘मकर राशि’ और संक्रांति का अर्थ है ‘परिवर्तन’।
मकर संक्रांति के अवसर पर कुछ लोग पवित्र नदियों और झीलों में स्नान करते हैं, खासकर उन स्थानों पर जहां पवित्र नदियाँ मिलती हैं। यह त्योहार फसल के मौसम की खुशी में मनाया जाता है, जो प्रकृति या पृथ्वी माता के प्रति आभार और धन्यवाद व्यक्त करने का समय होता है, क्योंकि सर्दी का मौसम धीरे-धीरे समाप्त होने लगता है।
मकर संक्रांति महाराष्ट्र का प्रमुख त्योहार है
मकर संक्रांति महाराष्ट्र में भी बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। यहाँ के लोग ‘तिल-गुड़’ (तिल और गुड़) बांटकर और तिलाची चटनी बना कर इस दिन का जश्न मनाते हैं। तिलाची चटनी एक मसालेदार और कुरकुरी चटनी होती है, जो तले हुए तिल को लहसुन, लाल मिर्च और नमक के साथ पीसकर तैयार की जाती है। इस दिन लोग पारंपरिक रूप से यह कहते हैं, “तिल गुड़ घ्या, गोड़ गोड़ बोला,” जिसका अर्थ है कि पुरानी नाराजगी छोड़कर नए शुरुआत की ओर बढ़ें।
तिल का महत्व बिहार में भी बहुत है, जहां विशेष रूप से तिलकुट और तिल के लड्डू बनाए जाते हैं।
मकर संक्रांति विभिन्न राज्यों में विभिन्न रूपों में मनाई जाती है
मकर संक्रांति भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न रूपों में मनाई जाती है:
- गुजरात और राजस्थान में लोग इस दिन पतंगबाजी करते हैं।
- तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है।
- केरल में अय्यप्पा भगवान के भक्त मकरविलक्कू के रूप में इस दिन को मनाते हैं, जिसमें वे सबरीमला मंदिर की यात्रा करते हैं।
- आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मकर संक्रांति को तीन दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन को भोगी, दूसरे दिन को मुख्य पर्व और तीसरे दिन को कनुमा कहते हैं, जो खासकर कृषि में मददगार मवेशियों को सम्मान देने का दिन होता है।
पंजाब में लोहरी और मकर संक्रांति
पंजाब में मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहरी मनाई जाती है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे माघी, खिचड़ी, और पौष पर्व।
कई अन्य हिस्सों में इस दिन तिल (तिल के बीज) से बनी मिठाइयाँ गुड़ के साथ खाई जाती हैं, जिससे यह पर्व ‘तिल संक्रांति’ के नाम से भी जाना जाता है।