सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार (10 जुलाई) को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत कोई भी मुस्लिम तलाकशुदा महिला अपने पति से गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि धारा 125 सभी महिलाओं पर लागू होती है, चाहे वो किसी भी धर्म की हो। मुस्लिम महिलाएं भी इस प्रावधान का सहारा ले सकती हैं।
कोर्ट ने एक बार फिर कहा है कि मुस्लिम महिला अपने पति के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण-पोषण के लिए याचिका दायर कर सकती है। बता दे कि इस मामले की सुनवाई जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने की।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, शीर्ष कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत याचिका लंबित रहने के दौरान कोई मुस्लिम महिला तलाकशुदा है तो वो मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम 2019 का सहारा ले सकती है। कोर्ट ने कहा कि 2019 अधिनियम के तहत उपाय सीआरपीसी की धारा 125 के तहत उपाय के अतिरिक्त है।
खबरों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पति ने कहा कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला सीआरपीसी की धारा 125 के तहत याचिका दायर नहीं कर सकतीं। महिला को मुस्लिम महिला अधिनियम, 1986 अधिनियम के प्रावधानों के तहत ही चलना होगा। ऐसे में कोर्ट के सामने सवाल था कि इस मामले में मुस्लिम महिला अधिनियम, 1986 को प्राथमिकता मिलनी चाहिए या सीआरपीसी की धारा 125 को।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, तेलंगाना के मोहम्मद अब्दुल समद नाम के एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को ट्रि्पल तलाक दिया था। मुस्लिम महिला ने तेलंगाना की फैमिली कोर्ट में केस किया। कोर्ट ने पति को तलाकशुदा पत्नी को प्रति माह 20 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने के आदेश दिया था। इसके बाद मामला तेलंगाना हाईकोर्ट पंहुचा। हाईकोर्ट ने समद की पत्नी को गुजारे भत्ते के भुगतान के संबंध में फैमिली कोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई थी। हालांकि, कोर्ट ने गुजारा भत्ता की राशि प्रति माह 20 हजार रुपये से घटाकर 10 हजार कर दी थी।
मोहम्मद अब्दुल समद ने तेलंगाना हाईकोर्ट में दलील दी थी कि दंपति ने 2017 में पर्सनल लॉ के अनुसार तलाक ले लिया था और उसके पास तलाक प्रमाणपत्र भी है, लेकिन फैमिली कोर्ट ने इस पर विचार नहीं किया और उसे पत्नी को गुजारा भत्ता देने का आदेश जारी कर दिया। वही, हाईकोर्ट से कोई राहत न मिलने पर शख्स ने सुप्रीम कोर्ट पंहुचा था।
क्या है सीआरपीसी की धारा 125?
सीआरपीसी की धारा 125 में पत्नी, संतान और माता-पिता के भरण-पोषण को लेकर विस्तार से जानकारी दी गई है। इस धारा के अनुसार पति, पिता या बच्चों पर आश्रित पत्नी, मां-बाप या बच्चे गुजारे-भत्ते का दावा केवल तभी कर सकते हैं, जब उनके पास आजीविका का कोई और साधन उपलब्ध नहीं हो।