
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) ने सोमवार देर रात अपने पद से अचानक इस्तीफा देकर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना त्यागपत्र सौंपा।
धनखड़ ने संसद के उच्च सदन राज्यसभा के अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे की घोषणा मानसून सत्र के पहले ही दिन की गई, जिससे अटकलों का दौर शुरू हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), जिसने उन्हें 2022 में उपराष्ट्रपति पद के लिए नामित किया था, ने अब तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
धनखड़ ने अपने त्यागपत्र में कहा, “इस ऐतिहासिक कालखंड में भारत की तीव्र प्रगति और अभूतपूर्व विकास का साक्षी बनना मेरे लिए गर्व और संतोष की बात रही है। अब मैं चिकित्सकीय सलाह के अनुरूप अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना चाहता हूं।”
74 वर्षीय जगदीप धनखड़ का कार्यकाल अगस्त 2022 से शुरू हुआ था और 2027 तक चलने वाला था। इस्तीफे से महज कुछ घंटे पहले ही उन्होंने राज्यसभा की कार्यवाही संचालित की और नए सदस्यों को शपथ दिलाई थी। इसके अलावा उन्होंने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव भी प्राप्त किया था, जिनके आवास से कुछ समय पूर्व नकद राशि बरामद की गई थी। न्यायमूर्ति वर्मा ने किसी भी गलत कार्य में लिप्त होने से इनकार किया है।
धनखड़ की आधिकारिक यात्रा कार्यक्रम के अनुसार, उन्हें बुधवार को उपराष्ट्रपति के रूप में जयपुर जाना था, लेकिन सोमवार शाम उन्होंने अचानक इस्तीफा दे दिया।
इस अप्रत्याशित फैसले पर विपक्षी दलों ने कई सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, “धनखड़ जी का स्वास्थ्य सर्वोपरि है, लेकिन यह कदम पूरी तरह से अप्रत्याशित है। इसकी पृष्ठभूमि में और भी बहुत कुछ हो सकता है।”
वहीं शिवसेना (उद्धव गुट) के प्रवक्ता आनंद दुबे ने पूछा, “अगर स्वास्थ्य ही कारण था, तो इस्तीफा सत्र से कुछ दिन पहले या बाद में दिया जा सकता था। यह फैसला बिना किसी चर्चा के लिया गया लगता है।”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इसे “अभूतपूर्व इस्तीफा” करार देते हुए कहा कि सोमवार को धनखड़ की अध्यक्षता में एक सलाहकार समिति की बैठक प्रस्तावित थी, जिसमें दो मंत्री बिना सूचना के अनुपस्थित रहे। उन्होंने यह भी दावा किया कि इस स्थिति से धनखड़ “नाराज़” थे और उन्होंने बैठक को अगले दिन के लिए पुनर्निर्धारित किया।
धनखड़ एक अनुभवी वकील रहे हैं और 1989 में राजस्थान के झुंझुनूं से सांसद बनकर राजनीति में आए। 2003 में बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्होंने पार्टी की विधिक इकाई का नेतृत्व किया। 2019 में उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया, जहां वे ममता बनर्जी सरकार से कई मुद्दों पर टकराते रहे। 2022 में उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए नामित किया गया और राज्यपाल पद से इस्तीफा दिया।
मार्च 2025 में धनखड़ की दिल्ली में एंजियोप्लास्टी हुई थी, लेकिन वे जल्द ही फिर से सक्रिय हो गए थे।
अब उपराष्ट्रपति पद खाली होने के कारण, राज्यसभा की जिम्मेदारी अस्थाई रूप से उपसभापति या राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किसी वरिष्ठ सदस्य को सौंपी जा सकती है। इस घटनाक्रम ने सियासी गलियारों में न केवल चौंकाया है, बल्कि नई चर्चाओं को भी जन्म दे दिया है।