केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने शनिवार को थोक दवाओं और चिकित्सा उपकरण बनाने के लिए देशभर में 40 नई फैसिलिटीज का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि इससे देश दवाओं और मेडिकल उपकरणों के मामले में आत्मनिर्भर बनेगा और हमारी आयात पर निर्भरता घटेगी।
इन फैसिलिटीज को अलग-अलग कंपनियों ने PIL (प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव) स्कीम के तहत बनाया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोविड-19 के दौरान जब सप्लाई चेन प्रभावित हुई थी, तो हमें नया सबक सीखने को मिला। हमें पता चला कि थोक दवाओं और महत्वपूर्ण चिकित्सा के मामले में आयात पर जरूरत से अधिक निर्भरता कितनी घातक साबित हो सकती है।
मांडविया ने कहा कि कोविड-19 के बाद केंद्र सरकार के भीतर गंभीर मंथन हुआ। मेडिकल सेक्टर की PIL स्कीम व्यापक चर्चा का नतीजा है। उन्होंने यह भी कहा कि महत्वपूर्ण API (Active Pharmaceutical Ingredient) की सप्लाई रुकने से देश में 1,000 फॉर्मूलेशन के उत्पादन पर असर पड़ सकता है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘PIL-स्कीम ने स्थानीय स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग के लिए 48 अहम थोक दवाओं की पहचान की। आज भारत ने ना सिर्फ दवाओं, एपीआई और चिकित्सा उपकरणों पर अपनी निर्भरता कम की है, बल्कि PIL-स्कीम की सफलता के कारण देश इन उत्पादों के एक प्रमुख निर्यातक के रूप में भी उभर रहा है।’’
अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए मांडविया ने कहा कि भारत कभी भी दिमागी शक्ति या जनशक्ति की कमी नहीं थी। बस इच्छाशक्ति की कमी थी और उसे भी अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व ने पूरी कर दिया है। उन्होंने कहा कि आज हमने जिन प्लांट का उद्घाटन किया है, उनके साथ अब 22 थोक दवाओं का निर्माण भारत में किया जाएगा।