संवाद और चर्चा से पनपता है लोकतंत्र : उपराष्ट्रपति धनखड़

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मुंबई। महाराष्ट्र विधानमंडल को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बृहस्पतिवार को कहा कि लोकतंत्र संवाद और चर्चा से फूलता-फलता है, लेकिन वर्तमान में राजनीतिक दलों के बीच संवादहीनता है। उन्होंने कहा कि शिष्टाचार और अनुशासन “लोकतंत्र का हृदय” हैं। राज्य विधान परिषद के शताब्दी समारोह के अवसर पर महाराष्ट्र विधानमंडल के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को गुरुवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संबोधित किया।

इस अवसर पर लोकतंत्र में संवाद जरूरी है जो कि इन दिनों राजनीतिक पार्टियों के बीच गायब हो चुका है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि, “लोकतंत्र संवाद और चर्चा पर पनपता है।” उन्होंने कहा कि “नैतिकता और सदाचार भारत में सार्वजनिक जीवन की पहचान हैं।” इस अवसर पर उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के साहस को याद करते हुए उनसे प्रेरणा लेने का भी आह्वान किया।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि राज्य विधानसभाएं और संसद लोकतंत्र का उत्तरी ध्रुव हैं, जबकि विधायक और सांसद इसके प्रकाश स्तंभ हैं। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि सत्ता पक्ष की बेंच कुर्सी के दाईं ओर होती है, लेकिन मानव शरीर में हृदय बाईं ओर होता है और इसी से कुर्सी का कामकाज परिभाषित होना चाहिए। वहीं उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि महाराष्ट्र विधान परिषद का शताब्दी समारोह एक उल्लेखनीय मील का पत्थर था।

राजनीति में आई गिरावट पर जताई चिंता

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राजनीतिक स्तर में आ रही गिरावट पर दुख व्यक्त करते हुए सभी राजनीतिक दलों से आत्मनिरीक्षण करने का आह्वान किया। शताब्दी समारोह के अवसर पर महाराष्ट्र विधानमंडल के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से आत्मनिरीक्षण करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “संसदीय लोकतंत्र में सब कुछ ठीक नहीं है। हम व्यवधान का अपवित्रीकरण झेल रहे हैं। राजनीतिक दलों के बीच संवाद गायब है।”

पंचिंग बैग बन गए हैं सभापति और स्पीकर

राज्यसभा के सभापति धनखड़ ने कहा कि नारेबाजी करना और सदन के वेल में मार्च करना किसी भी पीठासीन अधिकारी के लिए दर्दनाक स्थिति है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने सभापति और स्पीकर को सुविधाजनक पंचिंग बैग बना दिया गया है। उन्होंने कहा कि शिष्टाचार और अनुशासन लोकतंत्र का दिल है। पीठासीन अधिकारी का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “हम दूसरे दृष्टिकोण के प्रति भी उदार नहीं हैं।” उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टियां अक्सर सौहार्दपूर्ण दृष्टिकोण के बजाय टकराववादी और विरोधात्मक दृष्टिकोण अपनाती हैं। उन्होंने कहा कि नैतिकता और सदाचार भारत में सार्वजनिक जीवन की पहचान रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने किया स्वागत

महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने आज महाराष्ट्र विधानमंडल के दोनों सदनों को संबोधित करने से पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का स्वागत किया। सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा, “आपने सदैव भारतीय संविधान को मजबूत करने में भूमिका निभाई है। आज हमारे पास आपको सुनने का सुनहरा अवसर है। आपने हमेशा संविधान और उसकी गरिमा बनाए रखने की बात की है। आपने हमेशा इस देश को आगे बढ़ाया है इसकी गरिमा बढ़ाने की आपने हमेशा कोशिश की।”

रिपोर्ट: अजित राय, मुंबई

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