महाराष्ट्र सरकार के पर्यटन, कौशल विकास एवं उद्यमिता और महिला एवं बाल विकास मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा भले ही महाराष्ट्र के मंत्री हैं, परन्तु उनके दिल में तो संपूर्ण राष्ट्र विराजमान है। वे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश को लेकर देखे गए सपनों को साकार करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। अपने दायित्वों के निर्वहन के लिए उनकी तत्परता अन्य के लिए उदाहरण का काम करती है। वे स्वयं से पहले जनता जनार्दन की चिंता करते हैं। इसी लिए लोगों को भरोसा है कि उनके हाथों में सौंपा गया काम तो पूरा होना ही है…। वे जहां लोगों के विश्वास को अपनी जमापूंजी मानते हैं और विकासपरक राजनीति को अपना ध्येय। उनका सरल एवं शांत स्वभाव उनके चेहरे पर मुस्कान के रूप में प्रतिबिंबित होता है। मंगलप्रभात लोढ़ा ने कर्मठता और ईमानदारी की बदौलत अपने व्यवसाय को भी देश के सर्वोच्च स्तर पर पहुंचाया है। उन्होंने अपनी राजनीति को एक नए स्तर पर पहुंचाकर नया आयाम गढ़ा है।
शानदार व्यक्तित्व, जानदार मुस्कान
18 दिसंबर सन् 1955 में जोधपुर में जन्मे मंगलप्रभात लोढ़ा की पहचान शानदार व्यक्तित्व और उनकी जानदार मुस्कान है। देश-विदेशों में नाम कमा रहे लोढ़ा जाने माने न्यायविद और पूर्व सांसद जस्टिस गुमानमल लोढ़ा के ज्येष्ठ पुत्र हैं। बहुत ही कम आयु में वे राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने लगे थे। युवावस्था में ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और जेपी आंदोलन से जुड़ गए थे। जोधपुर विश्वविद्यालय से उन्होंने बीकॉम की पढ़ाई की और एलएलबी कर के कानून की बारीकियों को सीखा। कानून में हाथ आजमाने के बाद अपने सपनों को साकार करने मुंबई आ गए। यहां उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से अपने लिए एक नई दुिनया बनाई। आहिस्ता-आहिस्ता वे मुंबई पहचान बन गए और यहां के लोगों के दिलों में राज करने लग गए। मंगल प्रभात लोढ़ा भले ही कर्मभूमि मुंबई से एकाकार हो गए हैं परन्तु उनके रहन-सहन और खान-पान में राजस्थान आज भी झलकता है।
श्री राम के संस्कारों का उपवन
मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा राष्ट्रभक्त के साथ रामभक्त भी हैं। उन्होंने श्री राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया है। आज जब श्री राम मंदिर का सपना धरातल पर आकार ले चुका है, तब लोढ़ा ने एक नया संकल्प लिया है, भगवान श्री राम के संस्कारों को देश के नौनिहालों तक पहुंचाने को संकल्प। लोढ़ा देश की नई पीढ़ी को श्री राम के संस्कारों से सुगंधित करना चाहते हैं। मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की ऐसी सेवा की है कि जिसे महाराष्ट्र के श्रीराम भक्त कभी भुला नहीं सकेंगे। उन्होंने रामलीला मंचन के मार्ग में पहाड़ बनी उन तमाम बाधाओं को न केवल इस साल के लिए दूर किया बल्कि ऐसा कर दिया है कि अब कोई बाधा फिर कभी नहीं उभर सकेगी। श्रीराम भक्त अब बड़ी आसानी से रामलीला का मंचन करवा सकेंगे। रामलीला मंचन के मार्ग की जो सबसे बड़ी बाधा हुआ करती थी, वह थी परमीशन हासिल करने की। आयोजकों को, दर्जनों दफ्तरों के सैकड़ों चक्कर काटने पड़ते थे। उन्होंने उसे तत्काल खत्म करवा दिया। अब गणेशोत्सव की तर्ज पर रामलीला मंचन का भी “सिंगल विंडो परमीशन” देने का आदेश दे दिया। इतना ही नहीं राम काज में जो अधिकारी या कर्मचारी बाधा बनता पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई करने की चेतावनी भी दे डाली है। ज्यादा कुछ ऊपर नीचे हुआ तो, हवालात की हवा, भी खानी पड़ सकती है। इससे श्रीराम भक्तों और रामलीला आयोजकों के दिल से मंगलप्रभात लोढ़ा के लिए जमकर मंगलाशीष निकल रहा है।
परमार्थ की राजनीति
परमार्थ की राजनीति कैसे की जाती है, यह मंगलप्रभात लोढ़ा से सीखना चाहिए। क्योंकि राजनीति को अमूमन व्यक्तिगत स्वार्थ से ही जोड़ा जाता रहा है। यहां भी उन्होंने साबित किया है कि राजनीति स्वार्थ सिद्धि के लिए नहीं होती। उनकी राजनीति को समाजसेवा के ढांचे में ढाल दिया है। अगर कहें कि वे राजनीति समाजसेवा के लिए कर रहे हैं तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। मंगलप्रभात लोढ़ा ने छह बार चुनाव जीता और हर बार उनकी लोकप्रियता उत्तरोत्तर बढ़ती गई। उनसे बेझिझक मिलने वालों की संख्या में इजाफा होता गया। आज जब वह मंत्री बन गए हैं तब भी उनकी दिनचर्या वही है और लोगों से मेल-मुलाकात के रवैये में भी कोई परिवर्तन नहीं आया है। मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा राजनीति में लालच और भ्रष्टाचार से कोसों दूर हैं। मंगलप्रभात स्वार्थ नहीं परमार्थ की राजनीति करते हैं।
सर्वधर्म समभाव
मंगल प्रभात लोढ़ा बेहतर राजनीितज्ञ और भावुक समाजसेवी होने के साथ ही धर्म ध्वजा के वाहक भी हैं। वे साधु-संतों की सेवा करने के िलए कभी भी तत्पर रहते हैं। वे हालांकि जन्म से जैन हैं परन्तु उनके ह्दय में सभी धर्मों के लिए समान आदर और सम्मान रहता है। वे सर्वधर्म समभाव को न सिर्फ मानते हैं, बल्कि अपने जीवन में जीते हैं। वे कभी भी धर्म को भेद का विषय नहीं मानते, तभी तो सभी धर्म समारोहों में समान रूप से अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। वे कहते हैं कि धर्म जीवन की पद्धति है, यह समाज को जोड़ने का काम करता है न कि तोड़ने का।
आदिवासियों का विकास
मंगल प्रभात लोढ़ा कहते हैं कि आदिवासी समाज हमारी संस्कृति और समाज का अभिन्न अंग है। उनके अधिकारों का हनन नहीं होने दिया जाएगा, यह सरकार निश्चित तौर पर इसके लिए कदम उठाएगी। वे आदिवासियों के अधिकारों में सेंध लगाने वालों के खिलाफ हैं और कहते हैं कि यह सवाल केवल धर्मांतरण का नहीं, बल्कि मूल आदिवासी संस्कृति का है। आदिवासी संस्कृति की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है।
महिला सशक्तिकरण
मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा का मानना है कि महिला सशक्त बनेगी तो परिवार सशक्त बनेगा। अत: महिला बचत समूहों के आर्थिक विकास के लिए मुंबई उपनगर जिले के पालकमंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने साप्ताहिक बाजार जैसी अनोखी संकल्पना शुरू करने का सुझाव दिया था। मुंबई महापालिका द्वारा साप्ताहिक बाजार के माध्यम से महिला बचत समूहों को व्यापर के लिए जगह और उनके उत्पादनों का प्रचार कराकर वह महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने में लगे हुए हैं। इसके माध्यम से ग्राहक सीधे महिला बचत समूहों से संपर्क कर सकते हैं।
व्यापारियों के चहेते
मुंबई के व्यापारियों के चहेते हैं मंगल प्रभात लोढ़ा। हों भी क्यों न, जब कभी भी व्यापारियों को उनकी जरूरत होती है, वे सदैव उनके साथ खड़े होते हैं। वे सरकार में होकर भी पहले व्यापारियों का हित देखते हैं। यही कारण है कि न सिर्फ प्रवासियों बल्कि सभी व्यापारियों को उन पर भरोसा रहता है।
घर-संसार
मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा जहां एक ओर राजनीितक, सामािजक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में सदैव अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं, वहीं अपने घर-संसार को भी अपने जीवन में अहम स्थान पर रखते हैं। वे भले ही आज नामचीन राजनेता हैं, जनता के लाड़ले मंत्रीजी हैं परन्तु अपने घर की सीमारेखा में प्रवेश करते ही वे श्रीमती मंजू लोढ़ा के पति, अपने बेटों अभिषेक एवं अभिनंदन के पिता और पोते-पोतियों के प्यारे-प्यारे दादाजी ही होते हैं। वर्तमान में लोढ़ा ने अब अपनी सभी व्यावसायिक जिम्मेदािरयां अपने होनहार बेटों के सुपुर्द कर दी हैं और स्वयं पूरी तरह राजनीित, समाजसेवा एवं धािर्मक गतिविधियों में संलग्न हो गए हैं। आज उनके बेटों ने अपने पिता के व्यवसाय को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। वर्तमान में जहां मंगलप्रभात लोढ़ा पोते-पोितयों से भरे-पूरे परिवार के मुखिया हैं तो वहीं मंत्री के रूप में महाराष्ट्र की जनता को अपना परिवार मानते हुए प्रदेश की खुशहाली की जिम्मेदारी ईमानदारी से निभा रहे हैं।