महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई एवं मशहूर महाविद्यालय विल्सन कॉलेज के हिंदी विभाग द्वारा के संयुक्त तत्वावधान में ‘भारतीय संस्कृति की समृद्धि में हिंदी भाषा एवं साहित्य की भूमिका’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया।
इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन महाराष्ट्र राज्य गीत, दीप प्रज्ज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुआ। इसके बाद विल्सन महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. प्रतिमा निकाळजे ने संगोष्ठी में आए सभी प्रमुख अतिथियों का स्वागत भागलपुरी चादर, पुस्तक एवं श्रीफल भेंट कर किया।
खंडवा, मध्यप्रदेश से आए हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध साहित्यकार प्रोफेसर श्रीराम परिहार ने अपने बीज वक्तव्य में भारतीय संस्कृति की भावपूर्ण अभिव्यक्ति से श्रोताओं को अभिभूत किया। उन्होंने कहा कि हर बरगद की जड़ एक नई पीढ़ी और नई संस्कृति की संवाहक है, इसीलिए भारतीय संस्कृति पुरातन और आधुनिकता का अद्भुत समन्वय है।
मुख्य अतिथि के रूप में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के प्रोफेसर अवधेश कुमार ने सत्य कहो और धर्म का पालन करो का संदेश देते हुए युवाओं को ‘अहिंसा परमो धर्म:’ की भावना का प्रतिबिंब बनने की प्रेरणा दी। उद्घाटन सत्र में प्रस्ताविकी एवं सत्र संचालन विल्सन कॉलेज के हिंदी विभाग की अध्यक्षा डा. सत्यवती चौबे ने किया।
महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डा. शीतला प्रसाद दुबे ने अपने प्रमुख संबोधन में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के उद्देश्यों और इसके उत्तरोत्तर विकास की विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति को समृद्ध बनाने में हिंदी भाषा एवं साहित्य की अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका है। संगोष्ठी दो सत्रों में विभाजित थी।
प्रथम सत्र में मुंबई विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर डा. करुणा शंकर उपाध्याय, सोमैया महाविद्यालय के भाषा एवं संकाय के पूर्व अधिष्ठाता डा. सतीश पांडे, महर्षि दयानंद महाविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष डा. उमेश चंद्र शुक्ल, झुनझुनवाला महाविद्यालय की हिंदी विभाग अध्यक्ष डा.मिथिलेश शर्मा और सेंट जेवियर्स महाविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष डा. भगवती उपाध्याय ने अपने गुणवत्तायुक्त ज्ञान से संपृक्त वक्तव्यों से इस सत्र को समृद्ध बनाया।
दूसरे सत्र में प्रो. अवधेश कुमार की अध्यक्षता में उत्तर बंग विश्वविद्यालय दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल के हिंदी विभाग के अध्यक्ष डा. सुनील कुमार द्विवेदी, महाराष्ट्र महाविद्यालय की हिंदी विभाग की अध्यक्षा डा रमा सिंह, एस. एन. डी. टी. महिला विश्वविद्यालय की हिंदी विभाग की अध्यक्षा डा. पल्लवी प्रकाश, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के भारतीय भाषा विभाग के डा. रामकृपाल वर्मा, मुंबई विश्वविद्यालय के मुक्त विद्यापीठ की अध्यक्षा डा. संध्या गरजे एवं सोफिया महाविद्यालय की हिंदी विभागाध्यक्ष डा. वैशाली पाचुन्दे ने अपने वक्तव्यों से इस संगोष्ठी को सफल और सार्थक बनाया। इस सत्र का संचालन हिंदुस्तानी प्रचार सभा, मुंबई के परियोजना समन्वयक श्री राकेश कुमार त्रिपाठी ने किया।
समापन सत्र में मुंबई विश्वविद्यालय के मानविकी संकाय के डीन प्रोफेसर अनिल सिंह, महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डा. शीतला प्रसाद दुबे, बी.एम. रुइया गर्ल्स महाविद्यालय की प्राचार्य डा. संतोष कौल काक, एम.एम.पी.शाह महिला महाविद्यालय की पूर्व हिंदी विभाग अध्यक्ष डा. उषा मिश्रा एवं प्राचार्या प्रो. प्रतिमा निकाळजे का प्रतिनिधित्व करने वाली डा. राधिका बिरमोले समेत विभिन्न गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।
मुंबई विश्वविद्यालय के मानविकी संकाय के डीन प्रोफेसर अनिल सिंह की उपस्थिति से महाविद्यालय काफी गौरवान्वित हुआ। सभी सत्रों का आभार ज्ञापन क्रमश: डा. पूनम पटवा, श्रीमती सुनीता चौहान एवं डा. अमित कुमार ने किया। इस संगोष्ठी में विल्सन महाविद्यालय समेत मुंबई के अनेक महाविद्यालयों के प्राध्यापकों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया, जिनमें 65 प्राध्यापक एवं 98 विद्यार्थी सम्मिलित हुए।
महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्यकारी सदस्य प्रो. मार्कन्डेय त्रिपाठी और गजानन महतपुरकर तथा वरिष्ठ पत्रकार डा. संजय सिंह भी उपस्थित रहे, जिनका सत्कार आयोजकों द्वारा किया गया। बिहार के गया जिले से आए डा. मनोज कुमार दुबे समेत मुंबई के विभिन्न साहित्य एवं संस्कृति प्रेमी भी इस संगोष्ठी में शामिल हुए। यह संगोष्ठी राष्ट्रगान के साथ संपन्न हुई।