Balochistan में बढ़ती हिंसा, BLA के हमले चीन के रणनीतिक हितों को चुनौती दे रहे हैं

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चीन के हितों पर बढ़ते हमलों को लेकर चिंता गहराती जा रही है। बलूचिस्तान (Balochistan) में सक्रिय संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) के हमलों ने बीजिंग की रणनीतिक और आर्थिक परियोजनाओं के लिए खतरा पैदा कर दिया है। भारत की खुफिया एजेंसियों के शीर्ष सूत्रों ने संकेत दिया कि पाकिस्तान इन हमलों को रोकने में पूरी तरह नाकाम रहा है, जिससे चीन की 65 अरब डॉलर की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) परियोजना संकट में पड़ सकती है।

BLA के बढ़ते हमले और चीन के लिए खतरा
BLA लगातार चीनी नागरिकों, इंजीनियरों और बुनियादी ढांचे पर हमले कर रहा है। हाल ही में हुए कई हमले सीधे चीन के निवेश और सुरक्षा को चुनौती दे रहे हैं।

13 अगस्त 2023: ग्वादर में चीनी इंजीनियरों के काफिले पर हमला, जिसके पीछे BLA का हाथ बताया गया।
6 अक्टूबर 2024: कराची में बीएलए के माजिद ब्रिगेड ने दो चीनी नागरिकों की हत्या कर दी।
अगस्त 2024: समन्वित हमलों में 70 से अधिक लोगों की मौत, जिससे CPEC के रास्तों पर असर पड़ा।

इन हमलों में पंजाबी मजदूरों को भी निशाना बनाया गया, जो अप्रत्यक्ष रूप से चीनी परियोजनाओं को प्रभावित कर सकता है।

BLA की ताकत और पाकिस्तान की नाकामी
खुफिया सूत्रों के अनुसार, BLA के पास करीब 5,000 लड़ाके हैं और यह आधुनिक हथियारों से लैस हो रहा है। 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद पाकिस्तान को मिले अमेरिकी हथियार अब BLA के हाथों में पहुंच चुके हैं।

2018 के बाद से BLA की रणनीति में बड़ा बदलाव आया है। संगठन अब आत्मघाती हमलों जैसी उग्रवादी रणनीतियों को अपना चुका है और अपनी ताकत बढ़ाने के लिए महिलाओं की भर्ती भी कर रहा है।

पाकिस्तान की विफलता और चीन की चिंता
सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान सुरक्षा देने में पूरी तरह विफल साबित हो रहा है। इससे चीन की आर्थिक और रणनीतिक योजनाएं खतरे में पड़ सकती हैं। सुरक्षा की कमी के कारण CPEC प्रोजेक्ट में देरी, लागत बढ़ोतरी और संभावित रद्द होने जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

BLA और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के संभावित गठजोड़ से सुरक्षा स्थिति और भी खराब हो सकती है। इन हमलों से न केवल चीन की परियोजनाएं बाधित हो रही हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बीजिंग की छवि प्रभावित हो रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान में बढ़ती अस्थिरता के चलते चीन के लिए अपनी परियोजनाओं को जारी रखना मुश्किल हो सकता है। यदि पाकिस्तान सुरक्षा देने में नाकाम रहा, तो यह न केवल CPEC बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी खतरा बन सकता है।

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