OpenAI के पूर्व सदस्य Suchir Balaji की मृत्यु, AI के दुरुपयोग पर थे नके विचार

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OpenAI के पूर्व शोधकर्ता सुचिर बालाजी (Suchir Balaji) का शव उनके सैन फ्रांसिस्को स्थित अपार्टमेंट में मिला है। प्रारंभिक जांच के अनुसार, 26 वर्षीय भारतीय-अमेरिकी बालाजी की मौत आत्महत्या से हुई है और पुलिस को घटनास्थल पर कोई संदिग्ध गतिविधि का संकेत नहीं मिला।

बालाजी को उस समय व्यापक पहचान मिली थी जब उन्होंने जनरेटिव एआई (Generative AI) और इसके द्वारा संरक्षित सामग्री के दुरुपयोग को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की थी। उनका मानना था कि इस तकनीक में कई नैतिक समस्याएं मौजूद हैं, जिन पर गौर करना आवश्यक है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, 25 नवंबर को बालाजी के निधन से एक दिन पहले, एक अदालत में एक कॉपीराइट मुकदमा दायर किया गया था, जिसमें OpenAI के पूर्व कर्मचारी को नामित किया गया था। बाद में OpenAI ने बालाजी के संदर्भ में उठाए गए कॉपीराइट मुद्दों की जांच करने का वादा किया।

सुचिर बालाजी कौन थे?

सुचिर बालाजी, जो 21वीं सदी की सबसे क्रांतिकारी तकनीकों में से एक, ChatGPT के प्रमुख निर्माता थे, एक महत्वाकांक्षी कंप्यूटर विज्ञान छात्र के रूप में अपनी यात्रा शुरू की थी। उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले से अपनी पढ़ाई की और 2018 में OpenAI में इंटर्नशिप की। 2020 में उन्होंने इस कंपनी में आधिकारिक रूप से काम शुरू किया।

OpenAI में अपने शुरुआती दिनों में बालाजी ने WebGPT पर काम किया और बाद में GPT-4 के प्री-ट्रेनिंग टीम का हिस्सा बने। उन्होंने एक न्यूरल नेटवर्क विकसित किया, जो इंटरनेट पर मौजूद लगभग सभी अंग्रेजी सामग्री का विश्लेषण करता था।

बालाजी के उठाए गए सवाल

बालाजी ने अपनी कंपनी छोड़ने के बाद यह आरोप लगाया था कि OpenAI ने बिना सही अनुमति के कॉपीराइटेड डेटा का उपयोग किया था। उन्होंने कहा था कि AI मॉडल्स जैसे GPT-4 उन डेटा पर आधारित होते हैं जिनसे वे पूर्ण रूप से नकल करते हैं, जिससे सामग्री निर्माताओं, व्यवसायों और इंटरनेट सेवाओं को खतरा हो सकता है।

उनका यह भी कहना था कि जैसे-जैसे एआई तकनीक इंटरनेट सेवाओं को बदल रही है, वे कभी-कभी गलत या पूरी तरह से काल्पनिक जानकारी उत्पन्न कर रहे हैं, जिसे “हैलुसिनेशन” कहा जाता है।

कॉपीराइट और नियमन की आवश्यकता

बालाजी ने अक्टूबर 2024 में एक पोस्ट में अपनी चिंताओं को साझा किया था, जिसमें उन्होंने जनरेटिव एआई कंपनियों द्वारा कॉपीराइटेड सामग्री के उपयोग पर सवाल उठाया। उन्होंने यह भी कहा कि “फेयर यूज” का सिद्धांत कई जनरेटिव एआई उत्पादों के लिए पर्याप्त नहीं है क्योंकि ये उत्पाद उन डेटा के प्रतिस्थापन के रूप में काम कर सकते हैं जिन पर इन्हें प्रशिक्षित किया गया है।

बालाजी के निधन के बाद उनकी आखिरी पोस्ट और ब्लॉग ने नई बहस छेड़ दी है और अब इस पर अधिक नियमन और पारदर्शिता की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

नोट: OpenAI ने बालाजी के आरोपों को नकारते हुए कहा कि वे अपने एआई मॉडल्स का निर्माण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा पर करते हैं, और यह पूरी तरह से “फेयर यूज” सिद्धांत के तहत किया जाता है।

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