बॉलीवुड एक्टर्स जाह्नवी कपूर (Janhvi Kapoor) और वरुण धवन (Varun Dhawan) स्टारर फिल्म सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी (Sunny Sanskari Ki Tulsi Kumari) इन दिनों सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। ऐसे में आप भी यह फिल्म देखने की प्लानिंग कर रहे हैं तो सबसे पहले इस फिल्म का रिव्यू पढ़ ले।
क्या है कहानी
फिल्म की कहानी सनी यानी (वरुण धवन) और तुलसी यानी (जाह्नवी कपूर) के इर्द गिर्द घूमती है। जहां वरुण धवन को (अनन्या) यानी सान्या मल्होत्रा से प्यार होता है। दो साल के रिलेशनशिप के बाद सनी अनन्या को शादी के लिए पूछता है लेकिन अनन्या एक अमीर परिवार से आती है। जहां सनी जैसे लड़कों की कोई अहमियत नहीं होती है। सनी का बुरी तरह से दिल टूटता है लेकिन इसके बावजूद वो हार नहीं मानता है। वही दूसरी तरफ विक्रम (रोहित शराफ) की शादी हो रही होती है। लेकिन रोहित के घरवालों को तुलसी यानी (जाह्नवी कपूर) पसंद नहीं होती है। 12 साल के बाद इनका रिश्ता टूट जाता है। वरुण विक्रम की गर्लफ्रेंड के बारे में पता लगाता है जहां उसकी मुलाकात तुलसी से होती है। दोनों अपने प्यार को पाने के लिए उस जगह पहुंचते है जहां विक्रम और अनन्या की शादी हो रही होती है। लेकिन सवाल यहां ये आता है कि क्या दोनों को अपना प्यार हासिल हो पाता है? क्या घरवाले मान गए इस रिश्ते के लिए ? ये सवाल का जवाब तो आपको सिनेमाघरों में जाकर ही मिलेगा।
कैसी है फिल्म ?
फिल्म की कहानी बेहद साधारण सी है। इस फिल्म जैसी कहानी पहले भी बन चुकी है। फिल्म को डायरेक्टर शशांक खेतान ने डायरेक्ट किया है। शशांक खेतान का जादू इस बार पर्दे पर नहीं चल पाया है। जहां बैक टू बैक बड़े पर्दे पर रोमांटिक फिल्में देखने मिल रही हैं। वही इस फिल्म का जादू बिल्कुल भी एंटरटेनिंग नहीं है।
एक्टिंग
रोमांटिक फिल्मों में हमेशा से ही वरुण धवन ने अपना चार्म दिखा है और उनकी मेहनत कही ना कही नजर भी आ रही है। तुलसी के किरदार में जाह्नवी खूबसूरत लग रही है। उन्होंने ने अपना काम पूरी ईमानदारी के साथ किया है। सान्या मल्होत्रा ने अनन्या के किरदार में अच्छा काम किया है लेकिन अब उन्हें अपने आपको साबित करने के लिए कुछ अलग करना चाहिए। रोहित सराफ का किरदार सॉफ्ट रहा। वेडिंग प्लानर के तौर पर मनीष पॉल की कॉमेडी टाइमिंग अच्छी रही। इस फिल्म में अक्षय ओबेरॉय भी आपको नजर आने वाले है जहां उन्होंने विक्रम के बड़े भाई का किरदार निभाया हैं। फिल्म के सभी सहयोगी कलाकारों ने अपना काम अच्छा किया है।
म्यूजिक
फिल्म का संगीत तनिष्क बागची, ए.पी.एस, सचेत-परंपरा, गुरु रंधावा और गिल मच्छरै ने मिलकर दिया है। ‘बिजुरिया’और ‘पनवाड़ी’ जैसे यादगार गाने होने के बाद भी फिल्म का जादू नहीं चल पाया है।
स्क्रीनप्ले
फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी इसकी कहानी है। जहां कहानी का अंदाजा काफी आसानी से लगाया जा सकता है। शशांक खेतान की यह फिल्म कई जगह ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ जैसी ही लगती है। फिल्म के कई सीन आपको खींचे हुए भी लगेंगे।
देखें या नहीं ?
फिल्म सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी एक वन टाइम वॉच फिल्म है। अगर आपको रोमांटिक फिल्में देखना पसंद है तो यह फिल्म आपको देखनी चाहिए।