‘Black Warrant’ Web Series Review: एक खौ़फनाक और संवेदनशील जेल ड्रामा

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'Black Warrant' Web Series Review: एक खौ़फनाक और संवेदनशील जेल ड्रामा 3

ब्लैक वारंट (Black Warrant) एक सात-भागों वाली वेब सीरीज़ (Web Series) है, जो ‘तिहाड़ जेल’ के अंदर के हालातों और घटनाओं पर आधारित है। यह सीरीज़ उसी नाम की किताब पर आधारित है, जिसे सुनील कुमार गुप्ता और पत्रकार सुनेत्रा चौधरी ने लिखा था। सुनील कुमार गुप्ता ने तिहाड़ जेल में अपनी शुरुआत 80 के दशक में की थी, और सीरीज़ में उनकी यात्रा को विस्तार से दिखाया गया है। फिल्म निर्माता विक्रमादित्य मोटवाने द्वारा निर्देशित इस शो में जेल के अंदर हुए कुछ सबसे सनसनीखेज़ मामलों को चुना गया है, जहां गुप्ता एक नए और हज़ारों कठिनाइयों के बीच अपने इंसानियत को बचाते हुए एक अनुभवी जेलर बनते हैं।

कहानी और प्रदर्शन
जेल में सुनील कुमार गुप्ता का किरदार ज़हान कपूर ने निभाया है। फराज जैसी फिल्मों में अपनी अदाकारी का परिचय दे चुके ज़हान इस भूमिका में बखूबी ढलते हैं। उनका सादा और नर्म स्वभाव, जेल की हिंसक दुनिया के विपरीत, एक बेहद अहम तत्व के रूप में सामने आता है। गुप्ता का किरदार एक साक्षात्कारकर्ता के रूप में काम करता है, जो हमें तिहाड़ के भीतर के हालातों की जानकारी देता है, और ज़हान ने इसे पूरी इमानदारी से निभाया है।

सीरीज़ में यह दिखाया गया है कि तिहाड़ जेल में एक जटिल शक्ति संरचना है, जहां जाति, धर्म और गैंग्स के बीच जंग छिड़ी रहती है। तिहाड़ की जेल का अंदरूनी संघर्ष, बाहर की राजनीति, और सामाजिक मुद्दे सीरीज़ की कहानी में कसकर बुने गए हैं। इसका सबसे अच्छा उदाहरण उस एपिसोड में देखने को मिलता है, जहां दिल्ली की दो लड़कियों के हत्यारे बीला-रंगा का मामला सामने आता है, जो एक घिनौनी और डरावनी घटना के रूप में सामने आता है।

किरदार और अदाकारी
ज़हान कपूर के अलावा, अन्य मुख्य किरदार भी काफी प्रभावी हैं। राहुल भट ने DSP राजेश तोमर के किरदार में एक अधिकारी की जटिलताएँ और घरेलू समस्याएँ बखूबी दर्शाई हैं। वहीं, अन्नुराग ठाकुर और परमवीर सिंह चीमा ने जेल के दो और नए कर्मचारियों के किरदार में बेहतरीन अदाकारी की है। खासतौर से, सिद्धांत गुप्ता ने ‘बिकिनी किलर’ चार्ल्स सोब्राज के किरदार को अंजाम दिया है, जो न केवल जेल में शक्तिशाली है, बल्कि अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।

प्रदर्शन और दिशा
विक्रमादित्य मोटवाने ने इस शो को बड़े करीने से तैयार किया है। उनकी दिशा में शो का हर पहलू सही तरीके से विकसित हुआ है, खासकर जेल की गंदी और हिंसक दुनिया को दर्शाने में। सीरीज़ में कई स्लो-मो शॉट्स, बैकग्राउंड म्यूजिक, और गाने जैसे फिल्मों के तत्व भी हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल इसे अत्यधिक उदास और भारी न बनने के लिए किया गया है। शो में हर एपिसोड के साथ नए किरदार सामने आते हैं, जो इसे और भी रोचक बनाए रखते हैं।

सामाजिक और मानवीय पहलू
ब्लैक वारंट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह न केवल एक जेल ड्रामा है, बल्कि यह उन लोगों की कहानियों को भी सामने लाता है, जो अंदर कैद हैं, चाहे वो अपराधी हों या बेगुनाह। जेल में कैदियों के जीवन की जटिलताएँ, उनके मनोविज्ञान, और समाज से उनकी जुदाई को बहुत अच्छे से प्रस्तुत किया गया है। यहां तक कि जेल में गंदगी और हिंसा को भी बहुत ही यथार्थवादिता से दिखाया गया है।

निष्कर्ष
कुल मिलाकर, ब्लैक वारंट एक बेहतरीन जेल ड्रामा है, जो न केवल तिहाड़ जेल की सच्चाई को सामने लाता है, बल्कि इंसानियत और जटिलताएँ भी दर्शाता है। विक्रमादित्य मोटवाने की कड़ी मेहनत और ज़हान कपूर की अदाकारी ने इसे एक प्रभावी सीरीज़ बना दिया है। अगर आप जेल ड्रामा के शौक़ीन हैं और वास्तविकता को जानना चाहते हैं, तो यह सीरीज़ आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है।

रेटिंग: 3.5 स्टार

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