पांच टेस्ट मैचों की श्रृंखला खेलने भारत आई इंग्लैंड की टीम ने यहां कदम रखने के पहले ही रणनीतिक तौरपर‘बैजबाॅल’ का शगूफा छोड़ दिया था, जिस तरह एक दौर में ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट टीम दूसरे देशों पर खेल शुरू होने के पहले ही मनोवैज्ञानिक हमला करके उन्हें हताश कर देती थी और फिर इस हताशा के वातावरण में आसानी से विपक्षी टीम पर काबू पा लेती थी। हाल के दिनों में इंग्लैंड ने भी ऑस्ट्रेलिया के कदमों पर चलते हुए विरोधी टीम को अपने इस मनोवैज्ञानिक हमले से कमजोर करने का कोई मौका नहीं छोड़ती और इसके लिए उसने एक नए शब्द ‘बैजबाॅल’ को गढ़ा है, जिसका मतलब होता है, रेड बाॅल यानी टेस्ट क्रिकेट को सकारात्मक तरीके से खेलना या दूसरे शब्दों में बल्लेबाजों द्वारा आक्रामक तरीके से बल्लेबाजी करना और गेंदबाजों द्वारा विकेट लेने के लक्ष्य को ध्यान में रखकर बोलिंग करना, यही दरअसल बैजबाॅल का ओपन सीक्रेट है और इसी शैली का इस्तेमाल करके इंग्लैंड ने हाल के सालों में आक्रामक क्रिकेट खेलकर अपनी नई पहचान बनायी है। ऐसे मे इंग्लैंड से भारत रवाना होने के पहले इंग्लिश कैप्टन बेन स्टोक्स का ऊंची आवाज में ये कहना स्वाभाविक ही था कि हम बैजबाॅल क्रिकेट खेलेंगे और फिर देखेंगे कि भारत की टीम कितनी मजबूत है।
भारत vs England 2024
निःसंदेह पहला टेस्ट मैच इंग्लैंड ने अपनी इसी रणनीति की बदौलत तीन दिन बैकफुट पर रहते हुए भी जीत लिया था। लेकिन इसके बाद दो टेस्ट मैच भारत ने पलटवार करते हुए जबरदस्त तरीके से जीते हैं। इससे जहां एक तरफ इंग्लिश टीम का दावा ‘बड़बोलापन’ साबित हुआ है, वहीं यह भी साफ हो गया है कि उसकी बैजबाॅल रणनीति की साइकोलाॅजी उन्हीं टीमों को परेशान कर सकती है, जिनका बेस मजबूत नहीं है। भारत में तो इंग्लिश टीम पिछले दो टेस्ट मैच, जिस तरीके से हारी है, उसमें समूची भारतीय टीम से कहीं ज्यादा एक अकेले यशस्वी जायसवाल के तूफान में ही उनकी सारी बैजबाॅल रणनीति गड्डमड्ड हो गई है।
सच बात तो यह है कि बैजबाॅल का शगूफा इंग्लैंड की टीम ने छोड़ा था, लेकिन व्यवहार में पिछले दो टेस्ट मैचों में असली बैजबाॅल क्रिकेट तो भारत के युवा सितारे यशस्वी जायसवाल ने खेली है, जो दूसरे टेस्ट मैच में सितारा बनकर उभरे थे और तीसरे टेस्ट के बाद तो हर तरफ यशस्वी सिक्सर किंग के रूप में विख्यात हो गए हैं। दरअसल बैजबाॅल का बाजा सही मायनों में यशस्वी जायसवाल ने ही बजाया है। जिन्होंने अपने पिछले दो टेस्ट मैचों में ही आंकड़ों और रिकाॅर्डों की ऐसी बारिश कर दी है कि आजादी के बाद से भारतीय क्रिकेट की रिकाॅर्ड बुक उलट पलट गई है। लगातार दो टेस्ट मैचों में दोहरा शतक बनाकर महज 22 साल कुछ महीनों की उम्र में यशस्वी ने वह मुकाम हासिल किया है, जो इतनी कम उम्र में किसी दूसरे खिलाड़ी को नहीं मिला। हालांकि लगातार दो दोहरे शतक बनाने का रिकाॅर्ड पहले भी विनोद कांबली और विराट कोहली जैसे बल्लेबाजों के खाते में दर्ज हैं।
भारत : 90s में कांबली ka कारनामा
कांबली ने 1992-93 में यह कारनामा किया था, जब उन्होंने इंग्लैंड के ही खिलाफ मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में 224 और फिर अगले मैच में जिंबाॅब्वे के खिलाफ नई दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में 227 रनों की पारियां खेली थी। इसके करीब 20 साल बाद विराट कोहली ने श्रीलंका के विरुद्ध 2017-18 की टेस्ट श्रृंखला में पहले नागपुर मंे 213 और फिर दिल्ली में 243 रनों की लगातार दो दोहरे शतकों वाली पारियां खेली थीं। इसी क्रम में यशस्वी ने इंग्लैंड के खिलाफ विशाखापट्टनम में 209 और अब राजकोट में 214 रन बनाये हैं। जायसवाल जिस फाॅर्म है, वह अगले टैस्ट मैचे में तीसरी सेंचुरी भी जड़ सकते हैं, लेकिन न भी जड़ें तो इस मायने में उनका यह रिकाॅर्ड कांबली और विराट से इस मायने में ज्यादा चमकदार है, क्योंकि जब कांबली और कोहली ने ये दोहरे शतक बनाये थे, तब वे यशस्वी से ज्यादा अनुभव हासिल कर चुके थे और उम्र में उससे बड़े थे। इसलिए यशस्वी का रिकाॅर्ड ज्यादा मारक और ज्यादा मासूम है।
गौरतलब है कि यशस्वी जायसवाल ने सिर्फ अपने सातवें टेस्ट मैच में ही दूसरी डबल सेंचुरी जमा दी बल्कि जिस तरह से उन्होंने इंग्लैंड के खतरनाक और अनुभवी गेंदबाज जैम्स एंडर्सन की एक ओवर की लगातार तीन गेंदों में मैदान के हर तरफ हैरान कर देने वाले छक्के लगाए, वैसा तो दुनिया के किसी भी दूसरे बल्लेबाज ने एंडर्सन जैसे क्वालिटी गेंदबाज पर नहीं लगाए। सबसे बड़ी बात यह है कि जैम्स एंडर्सन के पास 185 टेस्ट मैचों का अनुभव है और इस लगभग 42 वर्षीय गेंदबाज ने अब तक 696 विकेट अपनी झोली में डाल लिए हैं। एंडर्सन ने अपने क्रिकेट कॅरियर में अब तक 1 पारी में 5 विकेट 32 बार और 10 विकेट तीन बार ले चुके हैं। इस अनुभवी और मारक गेंदबाज को महज अपने सातवें टेस्ट मैच में ही भारत के उभरते हुए सितारे और अब सिक्सर किंग कहे जाने वाले यशस्वी जायसवाल ने सितारे दिखा दिए। एंडर्सन जब मैच का 85वां ओवर करने आए तो उन्हें नहीं पता था कि यशस्वी उनके चमकदार बोलिंग कॅरियर को खुरदुरा बनाने जा रहा है। लोग इस श्रृंखला के शुरू होने के पहले एंडर्सन और कोहली के बीच रोमांचक मुकाबला देखने की कल्पना कर रहे थे, लेकिन हकीकत में ये यशस्वी बनाम एंडर्सन हो गया, जिसमें अब तक एंडर्सन बैकफुट पर नजर आए हैं। खासकर 18 फरवरी 2024 को जिस तरह की धुनाई उनके 85वें ओवर ने यशस्वी ने की, जब लगातार तीन गेंदों,दूसरी,तीसरी और चैथी पर छक्के उड़ाए तो इंग्लैंड के इस गेंदबाज की शक्ल देखने लायक हो गई थी।
लेकिन यशस्वी ने सिर्फ एंडर्सन तक ही अपना कत्लेआम सीमित नहीं रखा बल्कि टेस्ट शुरु होने के पहले जिस तरह से इंग्लिश कप्तान ने बार बार बैजबाॅल रणनीति को अपने होंठों पर ला रहे थे, एक तरह से यशस्वी ने बैजबाॅल के इस पूरे शगूफे को ही बेमतलब बना दिया। अगर लीड बड़ी न हुई होती और यशस्वी को इस मैच में आधा दिन और खेलने को मिलता तो वह इतने रिकाॅर्डों की झड़ी लगा देते कि क्रिकेट की रिकाॅर्ड बुक परेशान हो जाती। क्योंकि सीमित समय में ही यशस्वी ने जहां एंडर्सन को पूरी जिंदगी याद रखने वाला सबक सिखाया है, वहीं उन्होंने इस मैच की इस पारी में किसी भी भारतीय बल्लेबाज द्वारा किसी टेस्ट मैच की एक पारी में लगाये गये छक्कों का रिकाॅर्ड तो तोड़ ही दिया, उन्होंने एक मैच की एक पारी में लगाये गये सबसे ज्यादा छक्कों के विश्व रिकाॅर्ड की भी बराबरी कर ली है।
यशस्वी से पहले भारत के दो खिलाड़ियों नवजोत सिंह सिद्धू और मयंक अग्रवाल ने टेस्ट मैच की एक पारी मे सबसे ज्यादा 8-8 छक्के लगाए थे। सिद्धू ने यह कारनामा श्रीलंका के विरूद्ध, तो मयंक अग्रवाल ने बांग्लादेश के खिलाफ किया था। जायसवाल इन दोनो से चार छक्के ज्यादा लगाकर एक पारी में 12 छक्के लगाने का रिकाॅर्ड बनाया जो कि पाकिस्तान के गेंदबाज वसीम अकरम के नाम दर्ज है। 28 साल पहले अकरम ने साल 1996 में जिंबाॅब्वे के विरूद्ध शेखपुरा में खेले गये टेस्ट मैच की एक पारी में 12 छक्के जड़े थे। इसके बाद मैथ्यू हेडन, नाथन एस्टल , ब्रेंडन मैकुलम और इंग्लैंड के बेन स्टोक्स व श्रीलंका के कुशल मेंडिस के नाम एक मैच की एक पारी में 11-11 छक्को का रिकाॅर्ड है बहरहाल असल बात ये है कि इंग्लैंड की बहुचर्चित आक्रामक क्रिकेट की रणनीति बैजबाॅल भारत में अंग्रेजी टीम के लिए तुरूप का पत्ता नहीं साबित हुई। उल्टे भारत ने इस तरह पलटवार करके और तीसरे टेस्ट मैच में इतिहास की सबसे बड़ी जीत हासिल करके पूरी रणनीति को तहस-नहस कर दिया है। शायद यही वजह है कि इंग्लैंड के पूर्व बल्लेबाज माइकल वाॅन ने भी बैजबाॅल रणनीति की आलोचना की है।
– कुंवर चांद खां