नई दिल्ली। Bharat के मसाले दुनियाभर में खाए और बेचे जाते हैं। लेकिन जिस तरह के क्वालिटी से संबंधित मामले कई देशों से निकलकर सामने आए हैं, उससे देश के मसाला कारोबार को बड़े संकट में डाल दिया है। आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव की रिपोर्ट के अनुसार विदेशों में भारत का मसाला कारोबार काफी बड़ा है।
अगर ये जांच की आंच चीन से लेकर यूरोप तक फैलती है तो स्थिति गंभीर हो सकती है। तमाम बाजारों में करीब 45 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा दांव पर लगे हैं। विदेशी सरकारों की कार्रवाई से भारत के मसाला एक्सपोर्ट को 50 फीसदी से ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर किस तरह की रिपोर्ट सामने निकलकर सामने आई है।
हो सकता मोटा नुकसान
भारत को अपने मसाला एक्सपोर्ट के संबंध में क्वालिटी संबंधी मामले आने के बाद देश की काफी किरकिरी हुई है। सिंगापुर और हाॅन्गकॉन्ग के बाद ऑस्ट्रेलिया ने भी मसालों की जांच शुरू कर दी है। दूसरी ओर अमेरिका ने भी इसे वॉचलिस्ट में डाल दिया है। अगर इन देशों में कार्रवाई होती है तो देश के मसाला एक्सपोर्ट को मोटा नुकसान हो सकता है।
आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव यानी जीटीआरआई ने कहा कि हर दिन नए देश भारतीय मसालों की क्वालिटी को लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं। जीटीआरआई कहा कि इस मुद्दे पर तत्काल ध्यान देने और भारत के प्रसिद्ध मसाला उद्योग की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए कार्रवाई की आवश्यकता है।
चार देशों में 5800 करोड़ दांव पर
रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के जिन 4 देशों में इस तरह के मामले निकलकर सामने आए हैं, उन महत्वपूर्ण बाजारों में 70 करोड़ डॉलर यानी 5800 करोड़ का निर्यात दांव पर लगा है। कई देशों में रेगुलेटरी कार्रवाई से संभावित रूप से मसाला निर्यात में आधे का नुकसान हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को क्वालिटी संबंधी मुद्दों को जल्द और पारदर्शिता के साथ हल करने की आवश्यकता है।
रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि भारतीय मसालों में ग्लोबल विश्वास को फिर से स्थापित करने के लिए त्वरित जांच और निष्कर्षों का पब्लिश होना काफी जरूरी है। गलती करने वाली फर्मों पर तत्काल कार्रवाई होना जरूरी है। हांगकांग और सिंगापुर ने अपने उत्पादों में कैंसर पैदा करने वाले कैमिकल एथिलीन ऑक्साइड का पता लगाने के बाद पॉपुलर ब्रांड्स की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है।
इसके कारण उन्हें दुकानों से अनिवार्य रूप से वापस मंगाया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन घटनाओं में प्राथमिक उल्लंघनों में एथिलीन ऑक्साइड की उपस्थिति शामिल है, जो एक कैंसरकारी पदार्थ है जिसका उपयोग धूम्रशोधन के लिए धूमन एजेंट के रूप में किया जाता है।
शुरू हुई सैंपलिंग
अब तक भारतीय अधिकारियों की प्रतिक्रिया बहुत ही धीमी रही है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय आलोचना के बाद मसाला बोर्ड और भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) दोनों ने रेगुलर सैंपलिंग शुरू कर दी है, फिर भी इन या किसी अन्य सरकारी एजेंसियों द्वारा मसाले की गुणवत्ता के बारे में कोई निश्चित बयान जारी नहीं किया गया है। खासकर गुणवत्ता आश्वासन के लिए मौजूद, व्यापक कानूनों और प्रक्रियाओं को देखते हुए स्पष्ट वक्तव्य की यह कमी निराशाजनक है।
देश की टॉप मसाला कंपनियों द्वारा किसी भी गलत काम से इनकार करने के बावजूद इंटरनेशनल बॉडीज द्वारा उनकी लगातार अस्वीकृतियों ने मसाला बोर्ड और एफएसएसएआई दोनों को बहुत पहले ही सचेत कर दिया होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि टॉप भारतीय फर्मों के उत्पादों की गुणवत्ता संदिग्ध है, तो यह भारतीय बाजार में उपलब्ध मसालों को लेकर भी संदेह पैदा करती है।