मुंबई। भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में ब्रिटेन में रखे अपने 100 टन सोने को घरेलू तिजोरियों में पहुंचाया है। यह जानकारी शुक्रवार को दी। यह 1991 के बाद सोने का सबसे बड़ा स्थानांतरण है।
वर्ष 1991 में विदेशी मुद्रा संकट से निपटने के लिए सोने के बड़े हिस्से को गिरवी रखने के लिए तिजोरियों से बाहर निकाला गया था। सोना मुंबई और नागपुर में कड़ी सुरक्षा वाली तिजोरियों में रखा गया है। भारत का यह सोना वापस देश में लाने के लिए रिजर्व बैंक को विशेष इंतजाम भी करने पड़े थे।
इसके लिए विशेष विमान की व्यवस्था की थी। केंद्र सरकार ने कस्टम ड्यूटी भी माफ कर दी थी। हालांकि, रिजर्व बैंक को इस सोने को देश में लाने के बाद जीएसटी देना पड़ा है।
ब्रिटेन के सेंट्रल बैंक से 100 टन सोना वापस मनांया
वित्त वर्ष 2023-24 में देश के कुल स्वर्ण भंडार में 27.46 टन की बढ़ोतरी हुई और यह बढ़कर 822 टन हो गया। सूत्रों ने कहा कि सोने का एक बड़ा हिस्सा विदेश में जमा है। अन्य देशों की तरह भारत का सोना भी बैंक ऑफ इंग्लैंड के पास जमा है।
विदेशों में 413.79 टन सोना
भारत में 100 टन सोना वापस आने से स्थानीय स्तर पर संग्रहीत सोने की कुल मात्रा बढ़कर 408 टन से अधिक हो गई है। इसका मतलब है कि स्थानीय और विदेशी होल्डिंग अब लगभग बराबर है। केंद्रीय बैंक की गुरुवार को जारी वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक 2023-24 में जारी किए गए नोटों के बदले स्थानीय स्तर पर 308 टन से अधिक सोना रखा गया है।
100.28 टन सोना स्थानीय स्तर पर बैंकिंग विभाग की संपत्ति के रूप में रखा गया है।कुल स्वर्ण भंडार में से 413.79 टन सोना विदेशों में रखा गया है। 1991 में रखा था सोना गिरवींजुलाई,1991 में कांग्रेस की नरसिंह राव वाली सरकार ने डॉलर जुटाने के लिए सोना विदेशी बैंकों के पास गिरवीं रखा था।
जुलाई 1991 में नरसिंह राव सरकार ने 46.91 टन सोना इंग्लैंड की बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ जापान के पास गिरवीं रखा था ताकि 400 मिलियन डॉलर जुटाए जा सकें। सोना गिरवीं रखे जाने से पहले भारत ने सोना बेचा भी था।