“Honest Taxpayer को मिली सजा?” Income Tax Penalty से छिड़ी बहस

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Income Tax Penalty से छिड़ी बहस

बेंगलुरु के एक सॉफ्टवेयर पेशेवर, जो पिछले 21 वर्षों से कर भुगतान कर रहे हैं, ने आयकर विभाग (Income Tax Department) पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है। रेडिट पर साझा किए गए अपने अनुभव में उन्होंने बताया कि उनके इनकम टैक्स रिटर्न की जांच के बाद उन पर भारी जुर्माना लगाया गया, जो उनके म्यूचुअल फंड (MF) लेनदेन की गलत व्याख्या के कारण हुआ।

करदाता की आपत्ति: वैध निवेश पर जुर्माना

पीड़ित करदाता का कहना है कि आकलन अधिकारी ने उनके म्यूचुअल फंड निवेश के स्रोत पर सवाल उठाए, जबकि उन्होंने स्पष्ट रूप से बताया कि यह वेतन और दीर्घकालिक शेयर बाजार निवेश से आया था। बैंक स्टेटमेंट, ट्रेड रिकॉर्ड और लेजर जैसे सभी आवश्यक दस्तावेज जमा करने के बावजूद, अधिकारी ने उनके लेनदेन को नहीं समझा और इसे बेहिसाबी आय मानते हुए धारा 271AAC(1) के तहत जुर्माना लगा दिया।

क्या कहता है कानून?

आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 271AAC(1) उन मामलों में लागू होती है जहां आय कम रिपोर्ट की जाती है। इस धारा के तहत लगाया गया जुर्माना अनिवार्य होता है और इसे आकलन अधिकारी माफ नहीं कर सकते। हालांकि, करदाता इस फैसले के खिलाफ उच्च अधिकारियों, जैसे कि आयुक्त (अपील) और आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) में अपील कर सकते हैं।

“ईमानदार करदाता (Honest Taxpayer) के साथ अन्याय”

Harassment by Income Tax Officer – Honest Taxpayer Being Penalized crores wrongly
byu/Hot_Caterpillar_1470 inIndiaTax

करदाता ने अपनी पोस्ट में लिखा, “आज हर कोई जानता है कि म्यूचुअल फंड में ऑनलाइन निवेश बिना वैध बैंक खाते और पैन कार्ड सत्यापन के संभव नहीं है। फिर भी, मेरे निवेश को बेहिसाबी धन बताया गया।”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अधिकारी ने उनकी 21 वर्षों की कर भुगतान की इतिहास की जांच नहीं की और वैध स्रोतों से किए गए निवेश को संदेहास्पद माना। खासकर, जब एक ही लेनदेन से कई MF खरीदारी होती है—जो कि ज़ेरोधा कॉइन में आम है—तो इसे अस्पष्ट धन मान लिया गया।

न्याय की मांग

पीड़ित करदाता के मुताबिक, उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) ने सभी दस्तावेजों के साथ स्पष्टीकरण दिया, लेकिन अधिकारी ने इसे नजरअंदाज कर दिया और जुर्माना लगा दिया। इसके अलावा, करदाता ने वर्चुअल सुनवाई के लिए आवेदन किया था, लेकिन उन्हें आवश्यक लॉगिन विवरण नहीं मिला। बार-बार अनुरोध के बावजूद सुनवाई को पुनर्निर्धारित नहीं किया गया और उनके पक्ष को सुने बिना ही जुर्माना लगा दिया गया।

करदाताओं में बढ़ती नाराजगी

इस पोस्ट के बाद रेडिट पर बहस छिड़ गई, जहां कई यूजर्स ने इसी तरह की परेशानियों का सामना करने की बात कही। कुछ लोगों ने यह भी बताया कि अक्सर ईमानदार करदाता जांच के दायरे में आ जाते हैं, जबकि बड़े कर चूककर्ता बच निकलते हैं।

पीड़ित करदाता ने कहा कि वह 39% तक कर अदा करते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें केवल “खस्ताहाल सड़कें और रोज़ाना ट्रैफिक जाम” मिलते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह अब भारत में रहने के अपने फैसले पर पुनर्विचार कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें विदेश में अवसर मिलने के बावजूद यहीं रहने का अफसोस हो रहा है। इस पूरे मामले ने टैक्स सिस्टम में पारदर्शिता और करदाताओं के अधिकारों पर एक महत्वपूर्ण बहस छेड़ दी है।

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