राजस्थान में नंद घर का 20 लाख जीवन छूने का लक्ष्य, 15 राज्यों में 8,000 केंद्रों की सफलता

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बाड़मेर। शनिवार (5 अप्रैल 2025) अनिल अग्रवाल फाउंडेशन (AAF) की प्रमुख पहल नंद घर ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की, जिसमें 8,044 आँगनवाड़ियों को महिलाओं और बच्चों के समग्र विकास के लिए आधुनिक केंद्रों में परिवर्तित किया गया। थार रेगिस्तान के बाड़मेर से शुरू हुई यह पहल अब भारत के 15 राज्यों में फैल चुकी थी और ग्रामीण विकास के प्रति वेदांता की प्रतिबद्धता को दर्शाती थी। नंद घर के माध्यम से अब तक 3 लाख से अधिक बच्चों और 2 लाख महिलाओं को प्रारंभिक बाल शिक्षा, पोषण, स्वास्थ्य देखभाल और कौशल विकास जैसी सुविधाओं का लाभ मिल चुका था।

नंद घर पारंपरिक आँगनवाड़ियों का आधुनिक रूप थे, जो उन्नत सुविधाओं से परिपूर्ण थे। बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ही यहाँ स्मार्ट शिक्षा उपकरण, इंटरएक्टिव ई-लर्निंग मॉड्यूल, बाला डिज़ाइन और स्मार्ट टीवी जैसी सुविधाएँ दी जाती थीं, ताकि 3-6 साल के बच्चों के लिए सीखने की प्रक्रिया को रोचक बनाया जा सके। हर केंद्र में बच्चों के अनुकूल फर्नीचर, बिजली, स्वच्छ पेयजल और स्वच्छ शौचालय की सुविधाएँ उपलब्ध थीं। इस प्रकार, नंद घरों में बच्चों को एक सुरक्षित और पोषणयुक्त माहौल मिलता था। शिक्षा के साथ-साथ, नंद घर कुपोषण के खिलाफ भी काम कर रहे थे।

यहाँ बच्चों को पोषक आहार और गर्भवती व स्तनपान कराने वाली माताओं को ज़रूरी पोषण सहायता दी जाती थी। इसके अलावा, नियमित टीकाकरण अभियान और स्वास्थ्य शिविर जैसी स्वास्थ्य सेवाएँ भी उपलब्ध कराई जाती थीं, जिससे संपूर्ण समुदाय के स्वास्थ्य को और बेहतर बनाया जा सका था। नंद घर महिला सशक्तिकरण को भी मजबूत बना रहा था, जिसमें समुदाय की महिलाओं को हस्तशिल्प, खाद्य प्रसंस्करण और रिटेल जैसे कौशल निर्माण गतिविधियों से जोड़ा जा रहा था। इससे महिलाएं प्रति माह औसतन ₹10,000 तक की आय अर्जित करने में सक्षम हो रही थीं।

नंद घर अपनी पहुँच को लगातार बढ़ा रहा था। 2024-25 उपलब्धियों का एक खास साल रहा था। कुपोषण से लड़ने के लिए, नंद घर ने दो चरणों में प्रोटीन युक्त मिलेट शेक वितरित किए थे, जिससे छह राज्यों के बच्चों को लाभ मिला था। पेटेंटेड और FSSAI प्रमाणित इस मिलेट शेक में 23 आवश्यक विटामिन और मिनरल्स शामिल थे, और इसे रागी, बाजरा, फॉक्सटेल और कोदो जैसे मोटे अनाजों के मिश्रण से तैयार किया गया था। सरकार द्वारा दैनिक आहार में मिलेट्स के उपभोग को बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत, नंद घर की यह पहल पोषण सुरक्षा को बढ़ावा देने की राष्ट्रीय दृष्टि के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाती थी, जिसमें स्थायी और स्थानीय रूप से प्राप्त सुपरफूड्स को प्रोत्साहित किया जा रहा था।

इस वर्ष मार्च में, AAF ने गर्वपूर्वक महाराष्ट्र के पहले नंद घरों का उद्घाटन किया था, जिसमें ठाणे में 25 नए केंद्रों की शुरुआत की गई थी। अपनी पहुँच को और विस्तारित करते हुए, फाउंडेशन आगामी दो वर्षों में राजस्थान में 20,000 और नंद घर स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध था, जिससे ग्रामीण समुदायों में बड़े पैमाने पर बदलाव लाया जा सके।

यह पहल भारत सरकार के महिला और बाल विकास के दृष्टिकोण के अनुरूप थी। मंत्रालय विभिन्न योजनाओं के माध्यम से 6 साल तक के बच्चों और उनकी माताओं को संपूर्ण देखभाल एवं पोषण प्रदान करता था। यहाँ प्रशिक्षित स्टाफ, शिक्षा सामग्री, पोषण और बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए कई गतिविधियाँ आयोजित की जाती थीं, जिससे उन्हें सुरक्षित माहौल में बेहतर देखभाल मिल सके। पूरे देश में 14 लाख से अधिक आँगनवाड़ी केंद्र 7 करोड़ से ज्यादा बच्चों को सेवाएँ दे रहे थे। ऐसे में, नंद घर का मॉडल मौजूदा व्यवस्थाओं को और सशक्त बनाता था और ग्रामीण भारत में महिलाओं व बच्चों के कल्याण के लिए सरकारी प्रयासों को बढ़ावा देता था।

इस उपलब्धि पर बात करते हुए, प्रिया अग्रवाल हेब्बर, हिंदुस्तान ज़िंक लिमिटेड की चेयरपर्सन और वेदांता लिमिटेड की नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, ने कहा, “8,000 नंद घरों की यात्रा हमारे इस संकल्प को दर्शाती है कि हम ज़मीनी स्तर पर जीवन में बदलाव लाने के लिए तत्पर हैं। ये केंद्र सिर्फ आधुनिक आँगनवाड़ी नहीं हैं, बल्कि संभावनाओं के ऐसे द्वार हैं, जहाँ बच्चे सीखते हैं, बढ़ते हैं और आगे बढ़ते हैं, और महिलाएँ आत्मनिर्भर बनने के लिए ज़रूरी साधन और कौशल प्राप्त करती हैं। नंद घर अब एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन का रूप ले चुका है और वास्तविक बदलाव ला रहा है। सरकार और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के साथ हमारी साझेदारी इस मिशन को और मजबूत बना रही है, जिससे हमें उद्देश्यपूर्ण रूप से आगे बढ़ने और पूरे भारत के समुदायों में सार्थक बदलाव करने में मदद मिल रही है।

आगे बात करते हुए, शशि अरोड़ा, नंद घर के सीईओ, ने कहा, “नंद घर में, हमारा उद्देश्य सिर्फ आँकड़ों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उन जिंदगियों में बदलाव लाना है, जो हमारे संपर्क में आती हैं। हम स्मार्ट लर्निंग, डिजिटल टूल्स और सतत पोषण कार्यक्रमों के माध्यम से भारत में आँगनवाड़ी व्यवस्था की नई परिभाषा रच रहे हैं। पिछले एक साल में हमने अत्याधुनिक डिजिटल लर्निंग मॉड्यूल और विस्तारित पोषण कार्यक्रम पेश किए थे, ताकि हर बच्चा पोषण 2.0 दिशानिर्देशों के अनुसार दैनिक संतुलित आहार प्राप्त कर सके। हमारी प्रमुख पहल, जैसे- ‘खाना खाया क्या?’, मिलेट बार और शेक डिस्ट्रीब्यूशन ड्राइव, डिजिटल स्मार्ट लर्निंग मॉडल, बाल विकास और महिला सशक्तिकरण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को और मजबूत करती हैं। हम आगे भी अपने प्रयासों को जारी रखेंगे, ताकि प्रारंभिक बाल शिक्षा, पोषण और महिला सशक्तिकरण के माध्यम से समाज में सार्थक और सतत बदलाव लाया जा सके।”

2025 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (डब्यूसीडी) की एकीकृत बाल विकास सेवाओं (आईसीडीएस) के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर, नंद घर प्रारंभिक बाल देखभाल और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा था। इस उपलब्धि के साथ, नंद घर भारत के ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने के अपने लक्ष्य को दोहराता था, ताकि देश के बच्चों और महिलाओं को एक उज्जवल और स्वस्थ भविष्य के लिए बेहतरीन सुविधाएँ मिल सकें।

रिपोर्ट – ठाकराराम मेघवाल

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