Barmer की पहली महिला एयर पायलट बनी Garima Chaudhary

11 Min Read

बाड़मेर की बेटी ने अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए हर मुश्किलों को लगन और मेहनत से पार किया। संभवत बाड़मेर की पहली महिला एयर पायलट (जूनियर फर्स्ट ऑफिसर) बनी है। 2 साल कोविड में सब कुछ बंद हो गया। गांव में लोगों के ताने सुने बेटियां है उम्र हो गई क्यूं रुपए खर्च कर रहे हो।

शादी के लिए बचा दो लेकिन गरिमा के पापा ने एक नहीं सुनी और कोई कमी नहीं आने दी। 60 दिन तक अमेरिका में जाकर ट्रेनिंग ली। पहले इंडिया एयरलाइंस में फेल, विस्तारा में पहला राउंड पूरा किया लेकिन होल्ड पर रख दिया। इंडिगो एयरलाइन्स स के पहले प्रयास में विफल लेकिन दूसरे प्रयास में हाथ्र लगी सफलता। पिता ने 80 लाख रुपए खर्च किए।

गरीमा चौधरी (24) का कहना है कि इंडिगो एयरलाइन्स में जूनियर फर्स्ट ऑफिसर की पोस्ट पर सलेक्शन हुआ है। गरिमा का कहना है कि मेरे पिता का सपना था कि मै एयर पायलट बनूं। मेरे 10 में अच्छे नंबर आए थे। 11-12 में पीसीएम (फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथस ) लिया था।

नीट मेरी बड़ी सिस्टर कर रही थी तब मुझे बायो नहीं दिलवाई। आईआईटी में मुझे खास इंटरेस्ट नहीं था। माता-पिता और दादा-दादी के हौसलें से आज इस मुकाम पर पहुंची हूं। पिता ने पूरे एयर फ्लाइंग में पायलट कैसे बनते हैं यह सर्च किया। क्या प्रोसेसर कैसे बनते है। उन्होंने ही मुझे बताया। इसमें अच्छा स्कोप है। इसलिए यह जॉइन करने की सलाह दी।

गांव में लोगों ने खूब मारे ताने

गरीमा कहती है कि लोगों ने ताने मारने में कोई कमी नहीं रखी है। बाड़मेर में लड़कियों के लिए ताने मारने आम बात हो गई है। क्यों कि यहां पर सोसायटी इस तरह की है। लड़की अगर हार्ड वर्क करके अपने आपको प्रूव कर ले तो वहीं ताने तालियों में बजने लगते है। लोग बोलते बेटियां उम्र हो गई है क्यूं इतने सारे रुपए खर्च कर रहे हो। शादी करनी है शादी के लिए बचा दो। मेरे पिता को लगता था कि शादी में मोटा खर्च करने का क्या मतलब है जब मेरी लड़कियां ही इंडिपेंडन नहीं रहेगी। मुझे ऐसा लगता है कि आसपास की सोसायटी के ताने हर लड़की को सुनना पड़ता है।

गरीमा बोली- पायलट बनने का सपना मेरा नहीं मेरे पिता का था

गरीमा का कहना है कि मुझे ऐसा नहीं लगता कि तानों से कोई दिक्कत है यह तो हमें सुनने ही पड़ते है। मेरी फैमिली का धन्यवाद देती हूं कि मेरे पूरे परिवार ने मेरा बहुत सपोर्ट किया है। पायलट बनने का सपना मेरा नहीं था मेरे पिता का था। इन्होंने मेरा खूब सपोर्ट किया।

2019 में फ्लाइंग क्लब में लिया एडमिशन

गरीमा बताती है कि अप्रैल 2019 में फ्लाइंग क्लब भुवनेश्वर में जॉइन किया था। इससे जॉइन करने के लिए पहले मेडिकल होता है। उसमें फिट होने पर मेरा क्लब जॉइन हुआ। इसमें 6 पेपर क्लियर कर लिए थे। 200 घंटे 18 माह में फ्लाइंग करती होती है तभी कॉमर्शियल लाइसेंस इश्यू होता है। जो सारा मशीनों से होता है।

कोविड में सब बंद, 22 घंटे पूरे हुए, फिर दो साल का ब्रेक लिया था।

गरीमा बताती है कि दिसंबर 2020 में कोविड आ गया। इसके बाद सब कुछ बंद हो गया। मेरे 22 घंटे ही हुए थे। कोविड में घर पर आ गई। सारे फ्लाइंग क्लब बंद हो गए थे। करीब दो साल तक घर पर ही रही। उस समय लगा कि मैं मेरे पापा के सपने को पूरा नहीं कर पाऊंगी। लेकिन 2022 में माता-पिता और परिवार के सपोर्ट से फिर से फ्लांइग क्लब ट्रांसफर लेकर पुणे में शिफ्ट हो गई।

साल 2022 में पुणे मे शिफ्ट, पूरे किए 200 घंटे

गरीमा का कहना है कि मार्च-अप्रैल 2022 में धीरे-धीरे फिर से इंडिया खुलने लग गया था। तब मैंने भुवनेश्वर से ट्रांसफर लेकर पुणे शिफ्ट हो गई। 22 घंटे भुवनेश्वर वाले बाकी बचे 178 घंटे फ्लाइंग क्लब पुणे में पूरे किए। फरवरी 2023 में रेड बर्ड फ्लाइंग ट्रेनिंग एकेडमी बरामती पुणे ने कॉमर्शियल लाइसेंस दिया था। लाइसेंस भेजने में करीब दो माह का समय लग गया। जिसमें डॉक्यूमेंट वगैरा सारा हुआ था।

ट्रेनिंग के लिए दो माह साउथ अमेरिका

गरीमा का कहना है कि मई 2023 में साउथ अमेरिका चली गई। वहां पर एयर बस 320 (एयर क्राफ्ट का मॉडल नंबर) की रेटिंग करने के लिए पहुंची। 60 दिन की ट्रेनिंग थी। जुलाई 2023 में ट्रेनिंग करने के बाद वापस इंडिया आ गई थी। इस ट्रेनिंग में बड़े वाले कॉमिशियल पैसेंजर एयरक्राफ्ट का कैसे उड़ाते है। यह सब वहां पर सिखा था। वहां एक वीक 8-8 घंटे की ग्राउंड क्लासेस होती थी। फिर चार-चार घंटे की ट्रेनिंग होती थी। दो माह में 72 घंटे एक मशीन टाइम की होती है। एक मशीन टाइप सिनूलेटर होता है। उसमें सारा प्रोसेसर सिखा था। कैस उड़ाते है और कैसे लैंड करते है।

एक साल में इंडिया एयरलाइंस पहले राउंड में रहना, फिर विस्तारा पहला क्लियर

गरीमा का कहना है कि अमेरिका के आने के बाद अलग-अलग एयरलाइंस में वैंकेसी आई थी। मैंने अलग-अलग एग्जाम दिए। किसी एयरलाइंस में 3 तो किसी में 4 राउंड होते है। इंडिया में आते ही एयर इंडिया की वैंकेसी आई थी। सितंबर 2023 में इसमें तीन राउंड होते है। इसमें पहले राउंड के राइटिंग एग्जाम में रह गई। इसके बाद वैकेंसी का इंतजार करना पड़ा। जनवरी 2024 में विस्तारा एयरलाइंस की वैंकेसी आई। विस्तारा मेंं मेरा पहला राउंड कंम्पलिट हो गया है। लेकिन दूसरे राउंड के लिए अभी तक बुलाया नहीं है। इस एयरलाइंस में अभी भी स्टेड बाय हूं।

इंडिगों एयरलाइंस पहले फेल दूसरी बार में हुआ सलेक्शन

गरीमा का कहना है कि इंडिगों एयरलाइंस की वैकेंसी अप्रैल 2024 में आ गई। इसमें चार राउंड होते है। उस समय मेंरा तीसरा राउंड क्लियर नहीं हुआ। इसके बाद मई 2024 में इंडिगों े फिर से वैकेंसी निकाली। उसमें सारे राउंड क्लियर हो गए है। 17 मई को रात को रिजल्ट आया।

एयर पायलट बनने में खर्च हुए 80 लाख रुपए

गरीमा कहती है कि पायलट कैसे बनते है और इसका प्रोसेसर क्या है। इसको समझने में बहुत दिक्कत आई लेकिन गूगल पर सर्च करके पूरा समझा और फ्लाइंग क्लब को जॉइन किया। मेरे पिता ने इंटवेस्टमेंट बहुत ज्यादा लगा है। जितना हार्ड वर्क करना था उतना इंटवेस्टमेंट भी लगी है। पायलट बनने में अब तक 70-80 लाख रुपए खर्च हो चुके है।

इंडिगो एयरलाइंस करवाएगी ट्रेनिंग

गरीमा का कहना है कि इंडिगो एयरलाइंस खुद ट्रेनिंग करवाएगी। इस कंपनी के खुद के रूलस और रेगुलेशन है। आगे मुझे जुलाई माह में चैन्नई में इंडिगों खुद ट्रेनिंग देगा। 20 दिन की ट्रेनिंग फिर वहां पर दो माह तक मेडिकल सहित अलग-अलग फॉरमेलटी होगी। इसके बाद दो माह की ट्रेनिंग होगी जिसमें फायर ड्रिल, स्मोक, ड्रिल, स्वमिंग ड्रिल सहित सिखाते है। फिर कंपनी हमें रिलीज करती है। फिर पहली बार पायलट फर्स्ट ऑफिसर में प्लेन को उड़ाएगी।

इंडिगों एयरलाइंस हमें मौका देगी

गरीमा का कहना है कि एयरलाइंस खुद ट्रेनिंग करवाती है। फिर इसके बाद कैप्टन के साथ जूनियर फर्स्ट ऑफिसर साथ में होते है। कैप्टन की मदद करते है। करीब 3-4 साल में एक्सपीरियस होने के बाद कैप्टन बनते है। अब इंडिगों एयरलाइंस में हमें जहाज उड़ाने का मौका देगी।

एक प्लेन के कॉकपीट में दो पायलट होते है

गरीमा बताती है कि प्लेन के कॉकपीट में दो पायलट होते है। एक कैप्टन होता है। जिसमे ं5 से 6 घंटों का एक्सपीरिएंस होता है। उसकी मदद के लिए फर्स्ट ऑफिसर होता है। जिसे मैं जॉइन करूंगी। जिसमें एक्सपीरिएंस या तो कम होता है या होता नहीं है। वो साथ होता है।

5-6 हजार घंटों के एक्सपीरिएंस के बाद बनूंगी कैप्टन

गरीमा का कहना है कि फिलहाल फर्स्ट ऑफिसर के तहत प्लेन में रहूंगी। दो-तीन साल में जब मुझे 5-6 हजार घंटों का एक्सीरिएंस हो जाएगा। इसके बाद मेरे इंटरव्यू रिटर्न में होने के बाद मैं कैप्टन बन जाऊंगी। फिर कैप्टन प्लेन को फ्लाइ करूंगी और फिर मेरे साथ कोई दूसरा नया या कम एक्सपीरिएंस वाला ऑफिसर होगा।

पिता प्रधान रह चुके, पिता ने बेटे-बेटी में नहीं समझा फर्क

गरीमा का जन्म ननिहाल जैसलमेर में 26 अगस्त 1999 में हुआ था। गरीमा और सहित कुल तीन बहनें है। भाई नहीं है। गरीमा (24) दूसरे नंबर की है। पहले नंबर की गीता चौधरी (26) तीसरे नंबर लक्षिता चौधरी (17) है। गीता चौधरी ने रसिया से एमबीबीएस किया है। वहीं लक्षिता चौधरी 11 वीं क्लास में पढ़ रही है।

पिता खीयाराम चौधरी शिव पंचायत समिति में 2000-2005 तक प्रधान रह चुके है। दादा बनाराम सारण (70) सरपंच रह चुके है। माता व दादी गवरी देवी (65) गृहणी है। फिलहाल मल्टी बिजनेस सैटअप किया हुआ है। गरीमा का कहना है कि पिता ने बेटे और बेटी में कोई फर्क नहीं समझा।

​​​​​​बाड़मेर शहर में की पढ़ाई

गरीमा की नर्सरी से 10 तक बाड़मेर शहर की प्राइवेट स्कूल टी.टी. पब्लिक स्कूल में हुई है। इसके बाद 11 से 12 तक केंद्रीय स्कूल जालीपा कैंट स्कूल में की थी। गरीमा का ननिहाल जैसलमेर में है। वहीं गांव शिव इलाके के काश्मीर गांव है। लेकिन गरीमा ज्यादातर शहर में रहती थी। छुटि्टयों में गांव में आना-जाना होता था।

रिपोर्ट: ठाकराराम मेघवाल, बाड़मेर

Share This Article
Follow:
Jagruk Times is a popular Hindi newspaper and now you can find us online at Jagruktimes.co.in, we share news covering topics like latest news, politics, business, sports, entertainment, lifestyle etc. Our team of good reporters is here to keep you informed and positive. Explore the news with us! #JagrukTimes #HindiNews #Jagruktimes.co.in
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version