Barmer में मानव धर्म ट्रस्ट की ओर से नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवाएं और राहत कार्य

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बाड़मेर (Barmer) शहर मे राजकीय चिकित्सालय प्रांगण में शिरडी साईबाबा के सेवा कार्य प्यासे को पानी, भूखे को रोटी की तर्ज पर जून, 2001 में मानव धर्म ट्रस्ट बाडमेर का गठन कर बाडमेर में पूर्व में सेवारत संस्था जन सेवा समिति एवम् अन्धता निवारण समिति के साथ मिलकर बाडमेर में स्थित जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों एवं उनकी सेवा में आये सहायकों को प्रातःकालीन चाय, बिस्कुट एवं खिचडी का निःशुल्क वितरण का कार्य किया। गरीब एवं जरूरतमंन्द मरीज को ईलाज हेतु दवाईयां खरीद कर सेवा कार्य प्रारम्भ किया।

सेवा गतिविधियों के लिये फण्ड एकत्रित करने के लिए ट्रस्ट के सदस्यों एवं जो स्वेच्छिक दान देना चाहते थे, उनसे प्रतिदिन एक रूपया के हिसाब से महिने के 30 अथवा 31 रूपये एवं वार्षिक 365/- रूपये प्राप्त कर ट्रस्ट द्वारा की जाने वाली सेवा को प्रारम्भ किया गया। बाडमेर शहर में पानी की प्याऊ की कमी को देखते हुए ट्रस्ट द्वारा दो एवं तीन मटकीयों के लोहे के शेड बनाकर उन पर मटकीयां, गिलास, ढक्कन रखबर प्रथम शेड रेल्वे स्टेशन के पास लगाया। बाडमेर की जनता की मांग एवं सहयोग से धीरे धीरे कई पानी की मटकियों के शेड शहर में लगाकर ट्रस्ट के टेम्पू टैंकर से उनकी दिन में आवश्यकतानुसार दो एवं तीन बार एवं गर्मीयों विशेष में 4-4 बार पानी से मटकीयां भरी जाने लगी।

ट्रस्ट के पास कोई स्थाई टांका एवं सेवा गतिविधियों का स्थान नहीं होने से नगर परिषद् से पानी टांका, स्थायी प्याऊ एवं प्याऊ के उपर ऑफिस संचालन के लिये बाल मंदिर के पास स्थित खांचा भूमि जहां कचरा डाला जाता था, वह स्थान खांचा भूमि के रूप में आवंटन करवाकर प्राप्त की एवं श्री त्रिलोक जी खत्री को प्रेरित करवा कर टांका, प्याऊ, ऑफिस को निर्माण करवाया। संस्थापक संरक्षक लाजपतराज एवं सचिव भरत शर्मा एवं अन्य ट्रस्टीयों ने साथ रहते हुए सेवा गतिविधियों को तन मन धन से आगे बढाया।

शहर में अन्य पानी की सुविधाएं वॉटर कुलर्स आदि ज्यादा संख्या में अन्य व्यक्तियों एवं संस्थाओं द्वारा लगाने से प्याऊ शेड व्यवस्था बन्द करते हुए तीन स्थाई प्याऊओं पर वर्तमान में व्यवस्था संचालित है। जिला प्रशासन द्वारा ट्रस्ट की गतिविधियों से सन्तुष्ट होकर अस्पताल परिसर में भर्ती मरीजों व सहायकों को भोजन रियायती दर पर उपलब्ध कराने हेतु सन् 2005 में तिलक बस स्टेण्ड स्थित परिसर में भोजन बनाने एवं वितरण करने हेतु जगह उपलब्ध कराई।

ट्रस्ट द्वारा तिलक बस स्टेण्ड में उपलब्ध जगह पर अच्छा एवं सन्तोष जनक कार्य करने पर व स्थान छोटा प्रतीत होने लगा जिस पर जिला प्रशासन ने जिला अस्पताल में अस्पताल निर्माण के समय बाडमेर के डांगरा परिवार द्वारा बनाये गये विश्राम गृह, रसोई एवं प्याऊ परिसर जो अतिक्रमण की भेट चढा हुआ था एवं जीर्णशीर्ण अवस्था में था, को अतिक्रमियों से खाली करवा कर ट्रस्ट को सुपुर्द किया। ट्रस्ट द्वारा शहर में भामाशाहों से सहयोग प्राप्त कर पुनः निर्माण करवा कर भोजनशााला व प्याऊ का संचालन जन हितार्थ प्रारम्भ किया।

सन् 2006 से लगातार राजकीय चिकित्सालय बाड़मेर में भर्ती मरीजों एवं उनके साथ आये परिवार जनों के अलावा अन्य गरीब एवं असहाय व्यक्तियों के लिये प्रति व्यक्ति 5 रूपये में सुबह एवं शाम की भोजन व्यवस्था के साथ निःशुल्क खिचड़ी की व्यवस्था (प्रतिदिन करीब 250-300 व्यक्त्तियों के भोजन की व्यवस्था) मानव धर्म ट्रस्ट की एम्बुलेन्स व्यवस्था (लो लोस नो प्रोफिट) के अन्तर्गत रियायती किराये पर पर संचालित की जा रही है।

राजकीय चिकित्सालय बाडमेर में भर्ती किसी मरीज की मृत्यु हो जाने पर शव नगर परिषद बाडमेर क्षेत्र के साथ 5-10 किलोमीटर की दूरी तक उनके निवास तक निःशुल्क पहुंचाने की शव वाहन से व्यवस्था। बाडमेर नगर परिषद क्षेत्र में किसी के देहान्त होने पर उसकी शव यात्रा के लिये निःशुल्क” राम स्थ” वाहन की व्यवस्था। पूर्व में निःशुल्क आँखों के ऑपरेशन केम्प, चिकित्सा संबंधी विशेषज्ञ चिकित्सकों से निःशुल्क केम्प लगाये चिकित्सा सुविधा करवाई गई।

राजकीय चिकित्सालय परिसर में दो एवं बाल विद्या मंदिर विद्यालय के पास वाटर कुलर्स की विगत 24 वर्षों से लगातार 365 दिन जल सेवा की व्यवस्था। राजकीय चिकित्सालय बाड़मेर में भर्ती मरीजों के साथ आने वाले परिजनों को सर्दी के समय/मांग करने पर निःशुल्क बिस्तर की व्यवस्था। राजकीय चिकित्सालय में भर्ती मरीजों के लिये गर्म पानी अथवा चिकित्सकों की सलाह अनुसार दलीया आदि निःशुल्क बनाकर उपलब्ध करवाना।

22 अगस्त, 2006 को बाडमेर जिले के कवास क्षेत्र में आयी भंयकर विनासकारी बाढ जिसमें 10-12 किलोमीटर की झील बनकर पूरा गांव 30-35 फीट की पानी की गहराई तक डूब गया था, सैकडों परिवार बेघर हो गये थे, मानव धर्म ट्रस्ट स्वयं अग्रणी होकर बाडमेर के अन्य समाज के नवयुवकों को प्रोत्साहित कर बाढ पीडितों की सहायता/पुर्नवास की व्यवस्था की गई। इस दौरान बाढ पीडितों को निःशुल्क भोजन व्यवस्था, प्रशासन से सामजस्य स्थापित कर निःशुल्क राहत केम्पों की व्यवस्था, निःशुल्क कपडे, गर्म कम्बल एवं टेन्टों की व्यवस्था अन्य संस्थाओं को प्रेरित कर करवाई गई।

बाढ पीडितों के पुर्नवास के लिये न्यू कवास में प्लोट्स की जमीन आवंटित करवाने हेतु उस समय के उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत, मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सिन्धिया आदि से सम्पर्क कर बाढ पीडितों के वास्तविक हालात बताकर प्लोट आवंटित करवाकर उन पर सरकार की तरफ से निःशुल्क मकान बनाकर आवंटित करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साथ ही बाढ पीडितों को बाडमेर स्थित सर्व समाजों के भवनों में ठहराकर एवं न्यू कवास क्षेत्र में विस्थापित करने पर करीब एक माह तक केम्प लगाकर निःशुल्क भोजन व्यवस्था चलाई गई।

वर्तमान में माताजी गंगादेवी, रुघाराम, देवीलाल जांगिड़, मांगीलाल गोठी, बाबूलाल संखलेचा, हेमाराम सांखला, भवानी शर्मा आदि कई समाजसेवी स्वैच्छिक श्रमदान कर रहे हैं। अध्यक्षीय दायित्व पुरूषोत्तम सोलंकी निभा रहे हैं।

रिपोर्ट – ठाकराराम मेघवाल

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