Barmer : विकसित भारत 2047: बालिकाओं की उड़ान को मिला बाड़मेर से संबल

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Barmer : विकसित भारत 2047: बालिकाओं की उड़ान को मिला बाड़मेर से संबल

बाड़मेर (Barmer) 2047 में विकसित भारत के हमारे संकल्प में मारवाड़ की इन बालिकाओं को अपने आप को साबित करते हुए अपना परचम लहराना है , यह उदगार स्थानीय विधायक डॉक्टर प्रियंका चौधरी ने स्थानीय राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय माल गोदाम रोड में आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा सीआरटी के माध्यम से आयोजित 1000 छात्र छात्राओं की चित्रकला प्रतियोगिता में उन्होंने प्रतियोगियों को संबोधित करते हुए कहा कि पूरे भारतवर्ष में अमृत महोत्सव के तहत 75 शहरों में इस तरह की चित्रकला कार्यशालाएं आयोजित की जा रही है जिसमें बाड़मेर भी का भी चयन किया गया है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत की संकल्पनाओं पर आधारित इस प्रतियोगिता के माध्यम से हमें भारत की उपलब्धियां का गुणगान करना चाहिए। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में पदमश्री अनवर खान ने कहा कि हमारा भारत किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है। उन्होंने भारत के रक्षा विज्ञान शिक्षा अर्थव्यवस्था कृषि और करियर के क्षेत्रो का उल्लेख करते हुए यहां की लोक कलाओं का गुणगान किया। उन्होंने बालिका शिक्षा पर आधारित एक गीत भी प्रस्तुत किया। सी सीआरटी के क्षेत्रीय अधिकारी अभीक सरकार ने प्रतियोगिताओं के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस तरह की प्रतियोगिताओं से कला कौशल विकसित होने के साथ-साथ सृजनात्मक का विकास होता है। सीसीआरटी के जिला प्रभारी ओम जोशी ने कहा कि संस्कृति मंत्रालय द्वारा विद्यार्थियों की कला को संरक्षण देने के साथ-साथ देश भर के शिक्षकों का प्रशिक्षण भी आयोजित किया जाता है। जोशी ने कहा कि जिले के हजारों शिक्षकों को देश के विभिन्न भागों में प्रशिक्षित किया जा चुका है जिसका उद्देश्य कला को शिक्षा में सम्मिलित करते हुए पारंपरिक कलाओं को बढ़ावा देना है। प्रधानाचार्य कैलाश कंवर भाटी ने स्वागत उद्बोधन में अतिथियों का स्वागत करते हुए विद्यार्थियों में कला के प्रति रुचि जागृत करने के सीसीआरटी के कार्यों की पूरी-पूरी प्रशंसा की। प्रधानाचार्य धर्मवीर रोज ने विद्यालयों में इस तरह की गतिविधियों की आवश्यकता पर बल देते हुए कला के विश्व स्तर पर परचम लहराने की बात कही। उन्होंने पारंपरिक कलाओं के संरक्षण की आवश्यकता पर भी बल दिया। इस अवसर पर हेमलता शर्मा लेखाकार सुशील भंडारी चंद्रशेखर जोशी डॉक्टर रमेश घारू किशनलाल प्रजापत शेराराम माली देवी सिंह हनुमान डऊकिया मीना तन सुखानी आदि कई प्रबुद्ध जल उपस्थित थे । निर्णायकों की भूमिका में चंद्र प्रसाद गुप्ता प्रेरणा जोशी और कैलाश कंवर भाटी रहे।

रिपोर्ट – ठाकराराम मेघवाल

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