राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों में से एक जयपुर ग्रामीण हाई प्रोफाइल सीट है। यह लोकसभा सीट जयपुर की 7 विधानसभा सीट कोटपूतली, विराटनगर, शाहपुरा, फुलेरा, झोटवाड़ा, अंबर और जामवा रामगढ़ के साथ अलवर के बानसूर को मिलाकर 2008 में अस्तित्व में आई थी। 2008 के परिसीमन के दौरान जयपुर से सटी विधानसभा सीटों को जोड़कर इस लोकसभा क्षेत्र का गठन किया गया था।
इस सीट पर पहला लोकसभा चुनाव साल 2009 में हुआ था। उस समय कांग्रेस के लालचंद कटारिया सांसद बने थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर ओलंपिक पदक विजेता राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने सीपी जोशी को 3,32,896 वोटों से तो 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की कृष्णा पूनिया को 393,171 वोटों से पराजित किया था।
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ फिलहाल इसी लोकसभा क्षेत्र के झोटवाड़ा विधानसभा सीट से विधायक एवं राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। बता दें कि 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में इस संसदीय क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटों में से 5 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है। जबकि बाकी की तीन सीटें कांग्रेस के खाते में गई हैं। इस बार देखना यह है कि राव राजेंद्र सिंह यहां भाजपा की हैट्रिक लगाने में सफल रहते हैं या अनिल चोपड़ा कांग्रेस की वापसी करा पाते हैं।
राव राजेंद्र सिंह पर भाजपा ने खेला दांव
जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट से बीजेपी ने राव राजेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है। वर्ष 2009 में राव राजेन्द्र सिंह को भाजपा ने जयपुर ग्रामीण क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वे कांग्रेस के तत्कालीन उम्मीदवार लालचंद कटारिया से चुनाव हार गए थे। वे 2003, 2008 व 2013 में लगातार विधायक रहे, लेकिन 2018 में शाहपुरा विधानसभा सीट से चुनाव हार गए। विधानसभा चुनाव से पहले और सरकार बनने के बाद से अब तक राव राजेन्द्र सिंह को पार्टी ने रणनीति बनाने, वित्तीय मुद्दों पर उनसे सलाह लेने के लिए उपयोगी मान रखा था।
उनकी पहचान विचारधारा के समर्थक, अंग्रेजी भाषा पर पकड़ और अर्थ-वित्त के मुद्दों पर गहरी समझ वाले नेता के रूप में हैं। संगठन ने तय किया हुआ था कि जयपुर ग्रामीण सीट से अब तक राजपूत उम्मीदवार को ही टिकट दिया जाता रहा है, तो इस बार भी यही उचित रहेगा। ऐसे में राव राजेंद्र का चुनाव किया गया। सीएम भजनलाल शर्मा और प्रदेशाध्यक्ष सी। पी। जोशी ने उनके पक्ष में पैरवी की। साफ छवि होने से राव राजेंद्र का विरोध सीईसी के स्तर पर किसी ने किया भी नहीं और अंतत: उन्हें टिकट मिल गया।
कांग्रेस से अनिल चोपड़ा को कमान
कांग्रेस ने जयपुर ग्रामीण से युवा चेहरे अनिल चोपड़ा को चुनावी मैदान में उतारा गया है। चोपड़ा को सचिन पायलट खेमे का माना जाता है। अनिल चोपड़ा को टिकट दिलाने के पीछे सचिन पायलट की बड़ी भूमिका बताई जा रही है। चोपड़ा एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव भी रह चुके हैं। वे फिलहाल राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी हैं। युवा नेता होने का फायदा चोपड़ा को मिल सकता है। क्योंकि युवा वर्ग के बीच चोपड़ा काफी लोकप्रिय हैं। वे छात्र जीवन से ही राजनीति में उतर गए। छात्र हितों के लिए आंदोलन करते करते कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई के सदस्य बने। बाद में वर्ष 2004 में एनएसयूआई के बैनर तले राजस्थान विश्वविद्यालय के अध्यक्ष बन गए। छात्रसंघ अध्यक्ष बनने के बाद वे रातों रात सुर्खियों में आ गए थे।