नवी मुंबई के वाशी उपनगर में ग्यारह दिनों का प्रवास कर रहे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में सोमवार को जैन विश्व भारती इंस्टिट्यूट (मान्य विश्वविद्यालय ) के 14वें दीक्षांत समारोह का भव्य आयोजन हुआ।
इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में महाराष्ट्र के राज्यपाल व कुलाधिपति व भारत सरकार के संसदीय कार्य एवं कानून व न्याय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल भी उपस्थित थे। इस अवसर पर राज्यपाल एवं मुख्य अतिथि रमेश बैस ने कहा कि जैन विश्व भारती के 14 दीक्षांत समारोह में उपस्थित होकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।
परम पूजनीय संत आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में उपस्थित होना भी परम सौभाग्य की बात होती है। आचार्यश्री की शुभ उपस्थिति में उपाधि प्राप्त करना महत्त्वपूर्ण बात होती है। महाराष्ट्र संतों व समाज सुधारकों की भूमि रही है, वर्तमान में आचार्यश्री महाश्रमणजी भी यहां विराजमान हैं।, यह हमारा सौभाग्य है।
हमारा सौभाग्य हम संभागी बने : मेघवाल
जैन विश्व भारती इंस्टिट्यूट के कुलाधिपति अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में इस समारोह में संभागी बन रहे हैं। परम पूजनीय आचार्यश्री तुलसी की दूरदृष्टि का प्रतिफल था कि 1991 में इस संस्थान को मान्य विश्वविद्यालय के रूप में ख्यापित किया गया।
उन्होंने जाना कि मूल्यपरक शिक्षा नहीं प्रदान की गई तो अच्छे मानवों का निर्माण संभव नहीं हो सकता।यह संस्थान अनेक कार्यों में आगे बढ़ रहा है। इसे आचार्यश्री का निरंतर आशीर्वाद प्राप्त होता रहे।
डॉ. भार्गव को डीलीट की मानद उपाधि
जीओ फाइनेन्सियल के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के चेयरमेन के.वी. कामत व जोधपुर विवि के संस्कृत विभाग मुख्य विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डा. दयानंद भार्गव को डीलीट की मानद उपाधि प्रदान की गई। कामत व डॉ. भार्गव के प्रशस्ति पत्र का वाचन डॉ. नलिन के शास्त्री ने किया। दोनों मानद उपाधियों को राज्यपाल महोदय व कुलाधिपति मेघवाल द्वारा प्रदान की गई। मानद उपाधि प्राप्तकर्ताओं ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति दी।