राजस्थान रोडवेज परिवहन निगम की प्रत्येक बसों को फोरलेन हाईवे पुल से नीचे नवनिर्मित रोड़वेज बस स्टैंड पर गुरुवार से आना जाना शुरू हो जाने से ग्रामीणों में खुशी का माहौल, सरपंच मेघाराम परमार सहित वरिष्ठ पत्रकार नटवर मेवाड़ा सांडेराव का आभार प्रकट करते हुए जोरदार स्वागत किया गया।
ढोला बस स्टैंड का बुकिंग और बसों का ठहराव गुरूवार को राजस्थान परिवहन निगम पाली आगार के मुख्य प्रबंधक मोहन लाल मीणा के आदेश अनुसार रोडवेज इंस्पेक्टर जीवराज शर्मा बुकिंग मास्टर शंकर सिंह ग्राम पंचायत ढोला के सरपंच मेघाराम परमार सभी वार्ड पंच समस्त ग्राम वासियों की उपस्थिति में ढोला में भामाशाह परिवार व ग्राम पंचायत के सहयोग से बनें नवनिर्मित रोडवेज बस स्टैंड व बुकिंग का विधिवत रूप से फीता काट कर उद्घाटन किया गया।
25 जून 2023 को जर्जर बस स्टैंड को भामाशाह और ढोला सरपंच मेघाराम परमार ने पंचायत समिति की सहायता से तैयार करवाया था। सरपंच मेघाराम परमार का कहना है- इतना सुंदर बस स्टैंड बन जाने के बाद भी यहां रोडवेज की बसें नहीं रूकती है। इस संबंध में कई बार रोडवेज से गुहार लगाई है। लेकिन, नेशनल हाईवे बन जाने के बाद बसें फ्लाईओवर से ही गुजर जाती हैं।
बसें जिस फ्लाईओवर से गुजरती है वो यहां से सिर्फ 50 फीट की दूरी पर है। ऐसे में अगर बसें यहां रुकने लगे तो ग्रामीणों को बहुत सहूलियत होगी। ढोला गांव के बस स्टैंड परिसर में बनाया गया सेल्फी पॉइंट। पुराने बस स्टैंड का रेनोवेशन करवा कर इसे नया रूप दिया गया था। इस बस स्टैंड पर गार्डन विकसित किया गया। गार्डन को यात्रियों के लिए बैठने के लिए बनाया गया था।
सांसद-विधायक ने किया था उद्घाटन
सरपंच के अनुसार, बता दें कि 25 जून 2023 को ढोला गांव में भामाशाह ने सुखीबाई पत्नी वरदीचंद पगारिया की स्मृति में यह बस स्टैंड बनाया था। इस परिसर में पंचायत ने बस के आकार का टॉयलेट बनाया था। सांसद पीपी चौधरी, सुमेरपुर विधायक और मंत्री जोराराम कुमावत भी इसके उद्घाटन में पहुंचे थे लेकिन आज लाखों रुपए की लागत से बना यह बस स्टैंड यात्रियों को तरस गया।
रोडवेज बस चालक यहां बस नहीं रोकते है और ओवरब्रिज से होकर निकल जाते हैं। ऐसे में यहां यात्रियों को बस पकड़ने के लिए ओवरब्रिज के पास खड़ा होना पड़ता था। मामले में ढोला सरपंच मेघाराम परमार ने बताया कि इसको लेकर कई बार जिला कलेक्टर और रोडवेज प्रबंधक को पत्र लिख बस स्टैंड पर बसों के ठहराव की मांग कर चुके थे लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिलता, लेकिन बसें नहीं रुकती थीं। फिलहाल, ग्रामीणों की मेहनत रंग लाई और अब ढोला में बसों का ठहराव शुरु हो गया है।