
जिला साहित्यकार परिषद द्वारा काव्य गोष्ठी स्थानीय सिन्धु नगर स्थित हेमू कालानी विद्यालय परिसर में आयोजित की गई। गोष्ठी में विभिन्न विषयों पर सप्तरंगी हृदय स्पर्शी सशक्त रचनाएं प्रस्तुत की गई जिसमें हिन्दी भाषा और हिन्दी दिवस के बारे में, श्रृंगार रस, हास्य रस व जीवन के विभिन्न पहलुओं पर रचनाएं प्रस्तुत की गई। गोष्ठी सरस्वती वंदना से आरंभ हुई। सर्वप्रथम रतन कुमार चटुल ने नेताओं पर कटाक्ष करते हुए कहा ‘‘आज़ादी की छूट देखो, नेताओं की फूट देखो’’, बंशीलाल पारस ने ‘‘एक अकेली नहीं है हिंदी, इसका सारा हिंदुस्तान है’’, ओम उज्जवल ने राजभाषा हिंदी मेरी मातृभाषा हिंदी, हिंदी ही तो मेरे राष्ट्र की शान है’’, श्रीमती प्रेम सोनी ने ‘‘मैं कठपुतली, तुम कठपुतली, कौन नचाता देखो’’, बृज सुंदर सोनी ने ‘‘पिता की डांट से मां की लोरी तक’’, देवी लाल दुलारा ने ‘‘मां-बाप नहीं वेे तो भगवान हमारे हैं’’, अजीज जख्मी ने ‘‘आज भी मुझको प्रतीक्षा है तेरे अभिसार की’’, जयप्रकाश भाटिया ने ‘‘श्वानो के झुंड ने आज फिर शेरों को ललकारा है’’, दयाराम मेठानी ने ‘‘बोझ अपनी जिंदगी का खुद उठाना आ गया, हौंसलों से हर मुसीबत को मिटाना आ गया’’, सुना कर तालियां बटोरी। गोष्ठी में गोपाल शर्मा, नरेन्द्र वर्मा, शिखा बाहेती, चिरंजीलाल टांक, एवं श्यामसुंदर तिवारी ने अपनी रचनाओं पर वाहवाही बटोरी।
रिपोर्ट – पंकज पोरवाल