
राजसमंद (Rajsamand) रामस्नेही संप्रदाय की प्रधान पीठ शाहपुरा के पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी रामदयाल (Swami Ramdayal) ने कहा कि व्यक्ति सद्विचारों वाला, अचंचल हो और उसकी पत्नी पतिव्रता नारी हो, उनके यहां संस्कारी और शीलवान संतान होती है। वे कस्बे के माहेश्वरी सेवा सदन में चातुर्मास के तहत सोमवार को प्रातःकालीन प्रवचन में श्रद्धालुओं को उद्बोधन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि ऐसे सभ्य और सुसंस्कृत परिवार में होने वाली संतान शीलवान, चरित्रवान और कामांजय होती है, उनका मन चंचल नहीं होता है। उन्होंने कहा कि हमारे क्रिया-कलापों से बहुत संस्कार पड़ते हैं। हम ग्रहस्थाश्रम में हैं इसका मतलब यह नहीं है कि हम कुछ भी करें। उन्होंने कहा कि हमें पूर्ण पवित्रता और धर्म संस्कृति का पालन करते हुए जीवन जीना चाहिए। उन्होंने सप्ताह के सात वार पर चर्चा करते हुए कहा कि आज के समय में सप्ताह के 7 दिनों में आने वाला बुधवार जैसे कहीं गायब हो गया है। उन्होंने प्रश्न करते हुए कहा कि आप कहेंगे बुधवार तो आता है तो मैं प्रश्न करता हूं कि बुधवार तो बुद्धि का वार है तो आज के समय में व्यक्ति बुद्धि से कहां काम कर रहा है। अगर व्यक्ति बुद्धि और विवेक से काम करे तो उसका घर स्वर्ग ना बन जाए। उन्होंने कहा कि अगर पति समझदार है तो मकान अच्छा होगा, लेकिन अगर पत्नी समझदार है तो घर अच्छा बनेगा और अगर बच्चे समझदार हैं तो घर स्वर्ग बनेगा, वहीं, अगर मां-बाप भी साथ हैं तो वह परिवार सदैव सुखी रहेगा। उन्होंने कहा कि जिस बुद्धि के द्वारा व्यक्ति स्वयं को तुच्छ और दूसरे को उच्च समझे तो व्यक्ति की समझदारी है। लेकिन, आज के समय में ऐसा होता कहां है व्यक्ति स्वयं को ही सब कुछ समझता है, स्वयं को ही उच्च समझता है। आज का पढ़ा लिखा इंसान भी धर्म को तुच्छ मानता है, यही आज के व्यक्ति की नादानी है। उन्होंने कहा कि आज के समय में जब संतान के कारनामे सामने आते हैं, तब मां-बाप रोते हैं कहते हैं कि हमारा क्या दोष है। लेकिन, मां-बाप का दोष यह है कि हमने बच्चों को संस्कार नहीं दिए और लाड प्यार में हमने उन्हें बिगाड़ दिया। हमने अपमान करना सिखाया, हमने धर्म निंदा करना सिखाया, हमने देशभक्ति का पाठ नहीं। हमने दूसरे का अपमान करना और स्वार्थ का पाठ बच्चों को पढ़ाया तो अब बच्चे हमारी बात नहीं मानते तो इसमें किसी और की गलती कहां है, दोषी तो मां-बाप स्वयं है। उन्होंने कहा कि तुम्हारी बात मानकर के तुम्हारे बच्चे उंगली पकड़ के पिक्चर में गए और तुम्हारे कहने पर घर में टीवी के सामने नाचे हैं। तुमने बच्चों को नाचना सिखाया है और आज जब बच्चे रंगरेलियां करते हैं तो तुम करम फोड़ कर रोते हो और दूसरों को दोष देते हो, जबकि गलती तुम्हारी खुद की है। उन्होंने कहा कि भारत की नारी केवल बच्चे पैदा करने के लिए नहीं है, नारी जीजाबाई की तरह अपने बच्चों में राम और राष्ट्रभक्ति भरने वाली होनी चाहिए।
रिपोर्ट – नरेंद्र सिंह खंगारोत
