
राजसमंद (Rajsamand) राजीविका का महिला संवाद कार्यक्रम निजी रिज़ॉर्ट में रुमा देवी (Ruma Devi) फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका परिषद की राज्य ब्रांड एम्बेसडर एवं राष्ट्रपति के हाथों नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित बाड़मेर निवासी रूमा देवी ने राजसमंद जिले की स्वयं सहायता समूह एसएचजी की महिलाओं से संवाद कर उन्हें आत्मनिर्भरता और उद्यमशीलता की राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम में जिला कलक्टर अरुण कुमार हसीजा, अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं डीपीएम राजीविका डॉ. सुमन अजमेरा, रूमा देवी फाउंडेशन के सचिव विक्रम सिंह सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे।
रूमा देवी ने अपने जीवन की प्रेरक यात्रा साझा की। उन्होंने बताया कि कैसे सीमित संसाधनों और कठिन परिस्थितियों में संघर्ष करते हुए उन्होंने अपने जीवन को महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए समर्पित किया। उन्होंने उत्पादों की गुणवत्ता, ब्रांडिंग, प्रशिक्षण और आत्मविश्वास को सफलता की कुंजी बताते हुए महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए उत्साहित किया। संवाद के दौरान उन्होंने महिलाओं की समस्याओं को सुना और उनके समाधान हेतु मार्गदर्शन दिया।
जिला कलेक्टर अरुण कुमार हसीजा ने कहा कि महिलाएं आज हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं और राज्य सरकार भी उन्हें हर संभव सहयोग प्रदान कर रही है। उन्होंने विशेष रूप से बालिका शिक्षा पर जोर देते हुए सभी से अपील की कि वे अपनी बेटियों को शिक्षित करें और उन्हें आत्मनिर्भर बनाएं। उन्होंने रूमा देवी की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि बाड़मेर के छोटे से गाँव से निकली एक महिला आज अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय जैसे मंचों पर भारतीय महिलाओं का प्रतिनिधित्व करके आई हैं। अगर रुमा देवी सफल हो सकती हैं तो इनसे प्रेरणा लेकर हमारे राजसमंद जिले के एसएचजी भी आगे बढ़ सकते हैं।
कार्यक्रम में जिले की राजीविका ब्रांड एम्बेसडर सरिता कंवर ने भी अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि उन्होंने मात्र 500 रुपए से अपने कार्य की शुरुआत की थी और आज 35 लाख रुपए का टर्नओवर हासिल कर चुकी हैं।
वहीं, डीपीएम डॉ. सुमन अजमेरा ने रूमा देवी के जीवन परिचय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे महिलाओं के लिए संघर्ष और सफलता की मिसाल हैं। उन्होंने बाड़मेर जिले के रावतसर गांव से निकलकर 30,000 से अधिक महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने, पारंपरिक हस्तशिल्प को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने तथा नारी शक्ति पुरस्कार जैसे सम्मान प्राप्त करने की प्रेरक यात्रा का उल्लेख किया। संवाद में स्पष्ट हुआ कि महिलाएं अब केवल गृहस्थी तक सीमित न रहकर आर्थिक और सामाजिक बदलाव की अगुआ बन रही हैं। कई महिलाओं ने साझा किया कि स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आया है।
कार्यक्रम का संचालन जिला प्रबंधक भेरू लाल बुनकर ने किया। राजीविका से हर्ष ठाकुर, प्रणब कांति सिन्हा, डीपीएमयू, बीपीएमयू, सीअलएफ की टीम ने महिला समूहों के प्रयासों की सराहना की और उन्हें समाज में नई भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया। बड़ी संख्या में स्वयं सहायता समूह की महिलाएँ और राजीविका से जुड़ी सैकड़ों बहनें कार्यक्रम में शामिल हुईं। इस आयोजन ने जिले की महिलाओं में आत्मविश्वास और नई ऊर्जा का संचार किया।
रिपोर्ट – नरेंद्र सिंह खंगारोत
