
राजसमन्द (Rajsamand) दशलक्षण पर्युषण पर्व अन्तर्गत दिगम्बर जैन समाज कांकरोली की ओर से यहां शांतिनाथ मंदिर में प्रभु की सेवा-पूजा से जुड़े कार्यक्रमों का दौर जारी है वहीं धर्मावलम्बी भगवान के पूजा विधान आदि अनुष्ठानों में भागीदारी करने के साथ ही जप-तप एवं साधना-उपासना कर धर्मलाभ ले रहे है। धर्म-अध्यात्म के माहौल के चलते समाजजनों में विशेष उत्साह छाया हुआ है।
इसी क्रम में महापर्व के छठे दिन मंगलवार को उत्तम संयम दिवस पूर्ण उत्साह से मनाया गया जिसके उपलक्ष्य में मंदिर में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान हुए। समाज अध्यक्ष कमल कुमार जैन ने बताया कि धार्मिक पूजा विधान के तहत प्रारम्भ में शांतिनाथ भगवान का अभिषेक हुआ जिसके उपरांत शांतिधारा का विधान शुरू हुआ। मंत्रोच्चार के साथ काफी देर तक चले इस विधान में श्रद्धालुओं ने श्रद्धाभाव से प्रभु को सेवा अर्पित की। इस दौरान आचार्यश्री के चित्र का अनावरण व दीप प्रज्ज्वलन भी किया गया। समाज के महामंत्री सुनील जैन ने बताया कि अभिषेक विधान के लाभर्थी महावीर प्रसाद जैन व कमल कुमार जैन रहे वहीं शांतिधारा अनुष्ठान का लाभ महावीर प्रसाद, कमल कुमार जैन, हरीश जैन, मुकुल जैन, मनीष सेठी, मयंक जैन एवं जसवंत जैन व नैतिक जैन ने प्राप्त किया जबकि चित्र अनावरण का लाभ पारस जैन व टीना जैन ने लिया। सौ धर्म इन्द्र व आरती का लाभ प्रदीप लुहाड़िया व प्रशांत जैन ने प्राप्त किया।
इस अवसर पर पं. प्रसून जैन ने उत्तम संयम दिवस के सम्बन्ध में प्रवचन में कहा कि संयम धर्म हमें माया रूपी संसार में मन एवं इन्द्रियों पर नियंत्रण करना सिखाता है। उन्होंने कहा कि जीवन में संयम का होना बेहद जरूरी है। जिस प्रकार घोड़े के लिए लगाम, हाथी के लिए अंकुश एवं गाड़ी वाहन में ब्रेक होना अति आवश्यक होता है उसी तरह जीवन में संयम बेहद जरूरी है। उत्तम संयम दिवस से हमें इन्द्रिय संयम की सीख मिलती है। इस दिन से व्यक्ति अपने मन, वचन एवं शरीर पर संयम रखने का महत्व समझता है। यह भी कहा कि हमें जीवन में उत्तम संयम का पालन करना चाहिए वहीं इन्द्रिय भोग व जीव हिंसा से बचना चाहिए।
रिपोर्ट -नरेंद्र सिंह खंगारोत
