
भीलवाड़ा (Bhilwara) शहर के रामद्वारा में सजंय कॉलोनी निवासी सामरिया परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का के तृतीय दिवस रविवार को कथावाचक रामस्नेही संत हरशुकराम ने कथा में ध्रुव चरित्र, भरत चरित्र, प्रहलाद चरित्र, और गजेन्द्र मोक्ष के प्रसंग का वर्णन किया। संत हरशुकराम ने ध्रुव चरित्र का व्याख्यान करते हुए महंत ने भक्ति और अटूट विश्वास की शक्ति पर जोर दिया। उन्होंने बालक ध्रुव की घोर तपस्या और भगवान विष्णु के दर्शन प्राप्त करने की कथा को विस्तार से सुनाया, जिससे श्रोताओं को यह प्रेरणा मिली कि सच्ची भक्ति और दृढ़ संकल्प से कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है। इसके पश्चात, उन्होंने भरत चरित्र का वर्णन किया, जिसमें राजा भरत के उत्कृष्ट त्याग और भगवान के प्रति उनके गहरे प्रेम को दर्शाया गया। इस प्रसंग के माध्यम से सांसारिक आसक्तियों से विरक्ति और आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर चलने का महत्व स्पष्ट किया गया। प्रहलाद चरित्र का व्याख्यान भक्ति और भगवान की कृपा का एक शक्तिशाली उदाहरण था। संत श्री ने हिरण्यकशिपु के अत्याचारों के बावजूद प्रहलाद की अटूट भक्ति और भगवान नरसिंह के अद्भुत प्राकट्य की कथा को भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया, जिससे यह संदेश मिला कि भगवान सदैव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। आयोजक परिवार के रतनलाल सामरिया ने बताया की कथा के बीच-बीच में प्रस्तुत किए गए भक्तिमय भजनों पर उपस्थित श्रद्धालु भाव विभोर हो गये। कथा के अंत मे समाजसेवी रमेश तोषणीवाल, नारायण लढा, प्रहलाद भदादा आदि ने संत श्री का माल्यार्पण कर आशीर्वाद लिया। आयोजन समिति के राजकुमार ने बताया कि कथा के अंत रामस्नेही संत हरशुकराम, संत खुशीराम एवं संत जयराम के सानिध्य में भारत विकास परिषद भीलवाड़ा द्वारा सैकड़ों भक्तजनों को औषधि युक्त तुलसी पौधों का वितरण किया गया। यह कथा प्रतिदिन प्रातः 9 बजे से दोपहर 12.15 बजे तक चलेगी, जिसमें श्रीमद् भागवत के विभिन्न भक्तिमय प्रसंगों का रसपान कराया जाएगा।