
Barmer। श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ चातुर्मास व्यवस्था कमेटी के तत्वावधान में बाड़मेर नगर में खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्रीजिनमणिप्रभसूरीश्वर म.सा. व बहिन म.सा. साध्वी डाॅ. विधुत्प्रभा श्री आदि श्रमण-श्रमणीवृन्द का संघ शास्ता वर्षावास 2025 चातुर्मासिक नगर प्रवेश हुआ। गुरू के प्रति शिष्यों के भाव ऐसे की कंधों पर बिठाकर नगर प्रवेश कराया एवं पुरी शोभायात्रा के दौरान गुरूजी म्हारों अन्र्तनाद हमने आपों आशीर्वाद के जयघोष से गुरू के प्रति अपने समर्पण के भावों को दर्शाया।
कमेटी के अध्यक्ष अशोक धारीवाल एवं सचिव बाबुलाल बोथरा हेमरत्न ने बताया कि शोभायात्रा में सभी पुरुष दुपट्टा, साफा एवं सफेद वस्त्र एवं बहने अपने-अपने स्वयंसेवी संस्थान के परिधान में शोभा बढ़ा रहे थे। शोभायात्रा में सबसे आगे जैन ध्वज तत्पश्चात क्रमश घुडसवार, अश्व पर सवारों के हाथ में लहराती धर्म ध्वजाएं, भीनमाल ढोल पार्टी, महिलाएं कलश धारण किए हुए, मंगल ध्वनियों का वादन करते बैण्ड वादक और खरतरगच्छाधिपति व बहिन म.सा. की धवलसेना के पीछे-पीछे चलते गुरू महिमा का गुणगान करते, जिनशासन की जय-जयकार करते भक्तजन, श्रावक-श्राविकाए, बैंड की धुन एवं ढ़ोल की थाप पर गुरूभक्त युवा वर्ग जगह-जगह पर झूम रहे थे।
शोभायात्रा में अचलगच्छ साध्वी भावगुणा श्री म.सा. आदि ठाणा ने भी अपनी निश्रा प्रदान की। शोभायात्रा का जगह-जगह पर गहुल्ली वह तोरण द्वार, प्रवेश द्वार से स्वागत किया गया। परमात्मा का रथ, नन्हे-मुन्ने बच्चे जैन ध्वज लेकर अनुशासन सहित आदिनाथ महिला मंडल, खरतरगच्छ महिला परिषद केएमपी, कुशल वाटिका बालिका मंडल केबीपी, खरतरगच्छ युवा परिषद केयुप, जिनशासन विहार सेवा ग्रुप, कुशल दर्शन मित्र मण्डल, पाश्र्व जैन मण्डल एवं विभिन्न मंडलों एवं हजारों की संख्या में स्थानीय व बाहरी राज्यों से पधारे श्रावक-श्राविकाओं ने शोभायात्रा में पधारकर जिनशासन की शोभा बढ़ाई।
इन मार्गो से गुजरी प्रवेश शोभायात्रा-संघ के उपाध्यक्ष ओमप्रकाश भंसाली व कोषाध्यक्ष बाबुलाल छाजेड़ कवास ने बताया कि शोभायात्रा रविवार को प्रातः 09.30 बजे स्थानीय कल्याणुपरा पाश्र्वनाथ जिनालय महावीर चैक से गुरूदेव के मांगलिक के साथ एवं सामैया के साथ प्रारम्भ हुई। आचार्यश्री के प्रवेश की शोभायात्रा माणक हाॅस्पीटल, कल्याणपुरा, हमीरपुरा, आराधना भवन, प्रतापजी पोल, दरियागंज, करमूजी की गली, महाबार रोड़ होते हुए प्रवचन स्थल जैन विधापीठ मन्दिर के पास कोटडिया नाहटा ग्राउण्ड स्थित सुधर्मा प्रवचन वाटिका पहुंची, जहां पर गुरूदेवश्री को गुरूभक्तों ने कन्धो पर बिठाकर शुभ मुहुर्त में मंगल प्रवेश करवाया।
मीडिया संयोजक कपिल मालू ने बताया कि नगर प्रवेश की शोभायात्रा के सुधर्मा प्रवचन वाटिका पहुंचने के बाद धर्मसभा को संगीतकार गौरव मालू द्वारा मधुर वाणी से भक्ति के साथ गुरुवंदन कर एवं मंगलाचरण से प्रारंभ हुई। दीप प्रज्वलन पूर्व विधायक मेवाराम जैन, जैन श्रीसंघ के अध्यक्ष अमृतलाल जैन, कुशल वाटिका अध्यक्ष भंवरलाल छाजेड़, तेजराज गोलेच्छा मोकलसर, प्रकाशचन्द लोढा जयपुर, पूर्व सभापति लूणकरण बोथरा, शंकरलाल बोथरा, उतमराज रांका, पदमराज बांठिया, कुशलराज गोलेच्छा, सुरेश लूणिया चैन्नई, शंकरलाल धारीवाल, बुधरचन्द भंसाली, मांगीलाल मालू सूरत, चातुर्मास कमेटी अध्यक्ष अशोक धारीवाल ने किया। चातुर्मास कमेटी अध्यक्ष अशोक धारीवाल, सम्पतराज संखलेचा इचलकरणजी, केएमपी की महिलाओं द्वारा स्वागत गीतिका, केवलचन्द छाजेड़, सुनिल पारख बीकानेर ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया।
सभी ने संबोधित करते हुए भाषण में कहा कि हम सबको चातुर्मासिक धर्म आराधना से जुड़कर चातुर्मास को भव्य एवं ऐतिहासिक बनाना है व गुरूभगवंतों का अपने अपने भावनाओं से स्वागत व अभिनन्दन किया। बाड़मेर प्रवेश के अवसर पर जैन दण्ड लहराने का लाभ गौतमचन्द, रमेशकुमार भरतकुमार, पुनितकुमार शंकरलाल मुल्तानमलोणी धारीवाल परिवार चैहटन, गुरूपूजन का लाभ सुआदेवी सुरतानमल मालू परिवार चैहटन हाल मुम्बई-गोवा व काम्बली वोहराने का लाभ धाईदेवी शंकरलाल केशरीमल धारीवाल परिवार चोहटन हाल बाड़मेर ने लिया। इसी दौरान आचार्यश्री द्वारा लिखी दो पुस्तको का विमोचन किया गया, जिसके लाभार्थी श्री जैन श्वेताम्बर नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ, जिसमें पहली पुस्तक के विमोचन का लाभ कवाड़ परिवार तिरूपातुर व दूसरी पुस्तक के विमोचन का लाभ हुक्मीचन्द रायचन्द सेठिया परिवार धोरीमन्ना द्वारा लिया गया।
खरतरगच्छाधिपति ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि वर्षावास वो महापर्व है जो जिसमें स्वयं को जाग्रत करने का समय है,स्वयं को समझने का समय है। आम धारणा से बाहर आकर स्वयं को पहचनने का समय है। स्वयं को आपने पहचान लिया तो गलती करने वाले को दण्ड नही समझाने का प्रयास,सुधारने के प्रयास करेंगे। आम धारणा है कि किसी वस्तु में 100 गुण है एवं एक अवगुण है तो आम व्यक्ति पहले अवगुण की चर्चा करेंगा। ये नाकारत्कता की निशानी है। धर्म से जुडने के बाद व्यक्ति सकारत्मक होता है साकारत्तक उर्जा से वो गुणों को पहले देखेगा अवगुणों देखने या कहने की बजाए उसे सुधारने का प्रयास करेंगा। ये ही धर्म का पाॅवर है।
बहन म.सा. विधुत्प्रभाश्री म.सा. ने कहा कि हमारा धर्म प्रधान है,जैसे कर्म करेंगे वैसे ही फल की प्राप्ति होगी। इसलिए पाप कर्मो की निर्जरा करने का समय है एवं पुण्य कर्म को कमाने का समय है। उन्होंने कहा कि वर्षा ऋतु जिस तरह से फसल के लिए उपयोगी है वैसे ही चातुर्मास जीवन में पुण्य कर्म के उपार्जन का सबसे उपयुक्त समय है। इसलिए चार माह में सुख समृद्धी ऐसी फसल बोए की आने वाले सालो तक जीवन खुशीयों से महकता रहे। मुनि मयूखप्रभसागरज म.सा. ने अपने उद्बोधन में चातुर्मास एवं धर्म को सामंजस्यता पर प्रभाव डालते हुए धर्मसभा के मंच को बखुबी संभाला। सबको आव्हान करते हुए कहा कि चातुर्मास परिवर्तन का माध्यम बने पुनरार्वतन का नहीं।
बाड़मेर की इस धरा को परम पूज्य अनुयोगाचार्य श्री जिनकांतिसागरसूरीश्वरजी म.सा. ने अपने वात्सल्य से सींचा है। इसलिए यह भूमि सामान्य भूमि न होकर वंदनीय तीर्थ भूमि है। सबके होठों पर एक ही बात रही कि यह प्रवेश आज तक के बाड़मेर नगर के प्रवेश में सबसे भव्य एवं ऐतिहासिक रहा। इस कार्यक्रम का संचालन मुनि मयूखप्रभसागरजी म.सा. ने किया। कार्यक्रम के अन्तिम चरण में चातुर्मास कमेटी के अध्यक्ष अशोक धारीवाल ने बहार से पधारे हुए अतिथियो, शोभायात्रा में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष सहयोग करने वाले संस्थाओं व मण्डलो का आभार व्यक्त किया और बाड़मेर वासियों को इस ज्ञान रूपी गंगा में डूबकी लगाकर पवित्र होने को कहा। भव्य ऐतिहासिक प्रवेश के अवसर पर श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ चातुर्मास व्यवस्था कमेटी संघ स्वामीवात्सल्य का आयोजन किया गया। नगर प्रवेश में बाहरी राज्यों के संघो से हजारों गुरूभक्त बाड़मेर पहुंचे।
रिपोर्ट – ठाकराराम मेघवाल