
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (World Press Freedom Day) के मौके पर राजधानी भोपाल (Bhopal) की मशहूर आर्टिस्ट नवाब जहां बेगम (Nawab Jehan Begum) ने एक बेहद मार्मिक और प्रेरक पेंटिंग तैयार की है, जो पत्रकारिता के मूल्यों, चुनौतियों और बलिदानों की अभिव्यक्ति बनकर उभरी है। यह पेंटिंग केवल एक कलाकृति नहीं, बल्कि वैश्विक पत्रकारिता को समर्पित एक गहरी संवेदनात्मक प्रस्तुति है, जिसमें खून के धब्बों और 25 अंतरराष्ट्रीय भाषाओं के माध्यम से मीडिया की आज़ादी और उससे जुड़ी पीड़ाओं को जीवंत किया गया है।
25 भाषाओं में लिखा “विश्व पत्रकारिता”
नवाब जहां की इस पेंटिंग में “वर्ल्ड जर्नलिज़्म” (विश्व पत्रकारिता) को 25 अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में दर्शाया गया है। इनमें प्रमुख भाषाएं हैं, अंग्रेजी, फ्रेंच, इतालवी, हिंदी, उर्दू, जर्मन, रूसी, जापानी, कोरियाई, हिब्रू, फारसी, वियतनामी और अरबी। इन भाषाओं का चयन यह दर्शाता है कि पत्रकारिता न केवल एक पेशा है, बल्कि यह एक वैश्विक आवाज है जो सीमाओं से परे जाकर सच को उजागर करती है।
पेंटिंग में खून के धब्बे
इस पेंटिंग में जो सबसे ज्यादा ध्यान आकर्षित करता है, वह है इसमें बने खून के धब्बे। नवाब जहां कहती हैं, “यह खून केवल रंग नहीं है, यह उन पत्रकारों की पीड़ा, जज़्बात और संघर्ष का प्रतीक है जो फिजिकल असॉल्ट, जेल, मानसिक उत्पीड़न और जानलेवा खतरों के बीच अपनी ड्यूटी निभाते हैं।” पेंटिंग में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का लोगो भी खून के रंग में बनाया गया है, जो यह संकेत देता है कि पत्रकारिता आज भी कई हिस्सों में जोखिम से भरी हुई है।
दस सालों में एक हजार से ज्यादा पत्रकार खो चुके हैं जान
नवाब जहां ने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि पिछले दस वर्षों में दुनियाभर में करीब 1000 पत्रकारों ने संघर्ष क्षेत्रों और युद्ध जैसी परिस्थितियों में रिपोर्टिंग करते हुए जान गंवाई है। इनमें वे पत्रकार भी शामिल हैं जो सच्चाई की खोज में अपनी जान की बाजी लगा देते हैं, चाहे वह सीरिया का युद्ध हो, अफगानिस्तान में आतंकवाद की रिपोर्टिंग, या फिर किसी लोकतांत्रिक देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना।
आंसू गैस और गोलीबारी, पत्रकारों पर भी असर
नवाब जहां ने कहा कि कई बार ऐसा होता है कि किसी विरोध प्रदर्शन को कवर करते समय पुलिस द्वारा छोड़ी गई आंसू गैस या की गई कार्रवाई का शिकार पत्रकार भी बन जाते हैं। वे सिर्फ दर्शक नहीं होते, बल्कि घटनास्थल पर मौजूद हर खतरे का हिस्सा बन जाते हैं। “पत्रकार भी इंसान हैं, लेकिन उनके पास न सुरक्षा होती है, न ही विशेष अधिकार। वे केवल सच दिखाने के लिए वहां होते हैं, और कई बार उसकी कीमत उन्हें अपनी जान से चुकानी पड़ती है,” नवाब ने भावुक होते हुए कहा।
एक्रेलिक ऑन कैनवास, साइज 2×3 फीट
इस पेंटिंग का साइज 2 बाई 3 फीट है और यह एक्रेलिक रंगों से कैनवास पर तैयार की गई है। रंगों का चयन, ब्रश स्ट्रोक्स और प्रतीकों का संयोजन इस पेंटिंग को न केवल एक कलाकृति, बल्कि एक बयान बना देता है। ऐसा बयान जो दुनिया भर के पत्रकारों के संघर्ष, कुर्बानियों और निर्भीकता की गवाही देता है।
कला के जरिए उठाई आवाज
आर्टिस्ट नवाब जहां बेगम की यह पेंटिंग एक स्पष्ट संदेश देती है “पत्रकारिता कोई आसान काम नहीं, यह वह मशाल है जिसे थामने के लिए साहस, संवेदना और बलिदान की आवश्यकता होती है।” विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर यह पेंटिंग एक कड़ी याद दिलाती है कि प्रेस की आजादी सिर्फ एक अधिकार नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है जिसे निभाते हुए न जाने कितने पत्रकार प्रतिदिन जोखिम उठाते हैं।