
Bhilwara। हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड, जो भारत की एकमात्र और विश्व की सबसे बड़ी एकीकृत जिंक उत्पादक कंपनी है, ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए अपनी अंडरग्राउंड माइंस में महिलाओं को नाइट शिफ्ट में कार्य करने का अवसर प्रदान किया है। अब महिलाएं रामपुरा आगुचा माइंस, जो भीलवाड़ा में स्थित विश्व की सबसे बड़ी अंडरग्राउंड माइंस है, में रात की शिफ्ट में कार्य करेंगी। इस कदम से कंपनी ने न केवल महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि महिलाएं भी अपने पुरुष समकक्षों के समान कैरियर के अवसरों का पूरा लाभ उठा सकें।
यह कदम विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि पहले नियामक मानदंडों के तहत महिलाओं को केवल दिन की शिफ्ट में काम करने की अनुमति थी। हिन्दुस्तान जिंक ने अपनी महिलाओं को रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक काम करने का अवसर प्रदान कर इस पुराने नियम को तोड़ा है। इससे पहले, कंपनी ने उत्तराखंड में पंतनगर मेटल प्लांट और चित्तौड़गढ़ में चंदेरिया स्मेल्टिंग कॉम्प्लेक्स में महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम करने की अनुमति दी थी, और अब अजमेर में भी महिलाओं को नाइट शिफ्ट में कार्यरत किया जा चुका है।
इस ऐतिहासिक पहल से हिन्दुस्तान जिंक की एक और पहचान बन रही है, जिसमें महिला कर्मचारियों के लिए काम करने की समान सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। कंपनी ने मेटल, माइन और हेवी इंजीनियरिंग जैसे पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान क्षेत्रों में महिलाओं के लिए अवसरों का दरवाजा खोला है। इसके अलावा, कंपनी ने भारत की पहली महिला अंडरग्राउंड माइन मैनेजर की नियुक्ति की और पहली महिला अंडरग्राउंड माइन रेस्क्यू टीम की स्थापना भी की है। इसके साथ ही, दरीबा स्मेल्टिंग कॉम्प्लेक्स, जावर माइंस और सिंदेसर खुर्द माइन जैसे प्रमुख स्थानों पर महिलाएं सक्रिय रूप से बैक शिफ्ट में योगदान दे रही हैं।
हिन्दुस्तान जिंक ने इस साल अपने कर्मचारियों में 25 प्रतिशत से अधिक जेंडर डाइवर्सिटी अनुपात प्राप्त किया है, जो भारत के मेटल, माइन और हेवी इंजीनियरिंग क्षेत्रों में सबसे अधिक है। हिन्दुस्तान जिंक की चेयरपर्सन प्रिया अग्रवाल हेब्बर ने कहा कि, “यह हिन्दुस्तान जिंक और देश के लिए गर्व का क्षण है। हमारी अंडरग्राउंड माइंस में महिलाओं को नाइट शिफ्ट में शामिल करके हम न केवल बाधाओं को तोड़ रहे हैं, बल्कि समावेश और समानता के लिए नए उदाहरण स्थापित कर रहे हैं।”
कंपनी ने अपने कर्मचारियों को मजबूत प्रोटोकॉल और कर्मचारी-केंद्रित नीतियों के माध्यम से सशक्त किया है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि महिलाएं अपने करियर के हर चरण में प्रगति कर सकें। इसके अलावा, हिन्दुस्तान जिंक ने जीवनसाथी को काम पर रखने, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अवकाश, बच्चे की देखभाल के लिए वर्ष भर का अवकाश, लचीले काम के घंटे और महिलाओं के लिए मासिक बिना-सवाल छुट्टियां जैसी सुविधाओं से महिलाओं को सहयोग प्रदान किया है। रामपुरा आगुचा में मिल संचालन की ग्रेजुएट ट्रेनी यशिका रामनानी ने कहा, “मुझे नाइट शिफ्ट में काम करने वाली पहली महिलाओं में से एक होने पर गर्व है। हिन्दुस्तान जिंक की समावेशी संस्कृति और अवसरों ने मुझे आत्मविश्वास दिया है।”
सुभास्मिता परिदा, रामपुरा आगुचा में मिल संचालन की एसोसिएट मैनेजर ने कहा, “हिन्दुस्तान जिंक में दिए गए अवसरों ने मुझे विकसित होने और अपने कौशल को बढ़ाने में मदद की है। इस टीम का हिस्सा बनकर मुझे मूल्यवान कौशल हासिल करने का अवसर मिला है।” इंडस्ट्री 4.0, डिजिटलाइजेशन, रोबोटिक्स और ऑटोमेशन जैसी तकनीकों का लाभ उठाते हुए, हिन्दुस्तान जिंक परिचालन में क्रांति ला रहा है और शारीरिक रूप से कठिन काम की पुरानी धारणाओं को समाप्त कर रहा है।
कंपनी की डिजिटल खदानें, जिसमें टेली-रिमोट अंडरग्राउंड माइनिंग और रियल-टाइम एनालिटिक्स जैसी सुविधाएं शामिल हैं, सभी के लिए रोमांचक और समावेशी करियर के अवसर प्रदान कर रही हैं। कंपनी ने वित्त वर्ष 24 में कैंपस भर्ती अभियान के माध्यम से 33 प्रतिशत से अधिक महिलाओं को अपने साथ जोड़ा, जिससे हिन्दुस्तान जिंक मेटल्स क्षेत्र में महिलाओं के लिए पहली पसंद बन गई है।
रिपोर्ट – पंकज पोरवाल