
मारवाड़ के रेगिस्तानी इलाके बाड़मेर जिले में रेत के टीलों के बीच स्थित एक चमत्कारी शिवालय है, जहां हर दिन बड़ी संख्या में भक्त आते है लेकिन महाशिवरात्रि (Mahashivratri) पर यह भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। यह शिवालय जाति-पात से ऊपर उठकर सभी श्रद्धालुओं को समान रूप से स्वागत करता है। माना जाता है कि 41 साल पुराने इस मंदिर में सच्चे मन से आने वाले भक्तों के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं, जिससे इस मंदिर में लोगों की अटूट आस्था जुड़ी हुई है।
41 साल पुराना है यह शिवालय
महाशिवरात्रि को लेकर आज शिवालयों में भक्तों की भोलेनाथ की पूजा-अर्चना कर रहें है। इस बीच बाड़मेर जिले में सीमावर्ती हरपालिया गांव में स्थित हरपालेश्वर महादेव के बारे में बताते जा रहे है। सफ़ेद संगमरमर पत्थर से बनाना यह मंदिर चर्म रोग ठीक करने के लिए जाना जाता है। इस बात का दावा मंदिर से जुड़े लोग करते है।
यहां आने से चर्म रोग होता है ठीक
इस मंदिर समिति के नारायणदास बताते हैं कि हरपालेश्वर महादेव मंदिर की 1984 में महाशिवरात्रि के दिन स्थापना हुई थी। जिसके बाद वर्ष 2008 में जीणोद्धार ओर वर्ष 2009 में हजारों लोगों की मौजूदगी में पुनः प्रतिष्ठा हुई। यह मंदिर सफेद संगमरमर पत्थर से बना हुआ। उनका दावा है कि यहां पर चर्म रोंग से पीड़ित लोंग सबसे ज्यादा पूजा व फेरी देने आते हैं। यहां सच्चे मन आने वाले भक्तों का चर्म रोग ठीक होता है।
यहाँ नही है कोई जात पात का भेदभाव
नारायणदास ने कहा कि इस मंदिर में जाति-पात का कोई भेदभाव नही है। हर दिन बड़ी संख्या मे श्रद्धालु आते है लेकिन महाशिवरात्रि और सावन के सोमवार को यहां बड़ा मेला लगता है। जिसमे चौहटन, धनाऊ, सेड़वा, बाड़मेर , जैसलमेर , जालौर सहित विभिन्न स्थानों से श्रद्धालु पँहुचकर मन्दिर में हरपालेश्वर महादेव के दर्शन और पूजा-अर्चना करते हैं।
रंग बिरंगी रोशनी से नहाया मंदिर
महाशिवरात्रि को लेकर बुधवार (26 फरवरी, 2025) को इस मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ रहेगी। जहां दिन में मेला लगा तो वही रात में जागरण का आयोजन किया जाएगा। महाशिवरात्रि को लेकर पूरे मंदिर परिसर को रंग बिरंगी रोशनी से सजाया गया है। वही मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की कोई दिक्कत ना हो इसको ध्यान में रखते हुए मंदिर समिति की ओर से तमाम व्यवस्थाएं की गई है।
रिपोर्ट – ठाकराराम मेघवाल