
जैसलमेर। शहर के जेठा पाड़ा रहवासी मारवाड़ के सम्मानीय विद्वान् पंडित श्रीकृष्ण श्रीमाली के जंवाई कर्नल सुरेश श्रीमाली ने बताया कि उम्र के किसी भी दौर में नवाचार किया जा सकता है। बालोतरा जिले के छोटे से गांव पातों का बाड़ा से निकली सुरेश श्रीमाली नामक प्रतिभा देश नहीं विदेशों तक मंच में तालियां बटौर रही है। गजल गायन और कविताओं से बचपन से दीवाने रहे कर्नल ने मुम्बई में नौकरी तो बहुरर्राष्ट्रीय कंपनी में प्रशासक बनकर की लेकिन उनके दिल में कला जिंदा थी।
सो वे इस नौकरी के साथ अपनी गजल और गायन के मंच पर आने लगे। हुआ यह कि अमेरिका, कनाडा और अन्य जगह पर उनकी गजलों की महफिल सजने लगी। उनका अंदाज जुदा होने से यह चल पड़ी। 70 की उम्र में अगले चार माह फिर कनाडा में विभिन्न मंच पर होंगे। पातों का बाड़ा गांव से पढ़ाई कर निकले सुरेश श्रीमाली ने फौज की नौकरी को चुना, जो कर्नल सुरेश बताते है कि उनके समाज में बहुत कम लोग चुनते हैं। तब के समय में शिक्षक बनना पहली पसंद और फिर पटवारी ग्रामसेवक बन जाए तो और बढ़िया। उन्हें शौक था कि फोजी बनूं।
फौज की नौकरी में कारगिल के युद्ध में युद्ध के साजो सामान कीव्यवस्था काजिम्मा था। फिर उन्हें राजभवन में राज्यपाल के साथ नियुक्त किया गया। 2008 में फौज से रिटायर हुए तो मायानगरी मुम्बई पहुंच गए।कर्नल सुरेश बताते है चर्चित धारावाहिक देवांशी में उन्हें रोल मिला तो उन्होंने स्वीकार कर लिया। 2017 में यह सीरियल टीवी पर खूब चला और उनके किरदार को पसंद किया गया। इसके बाद उन्होंने लघु फिल्म रूबरू की, इस फिल्म में उनको जूरी अवार्ड से नवाजा गया।
इसी तरह स्टेज एप पर उनकी राजस्थानी फिल्म सट्टे पे कट्टा जनवरी में आई है। अब वे दो और फिल्मों में अभिनय करेंगे कर्नल सुरेश 70 की उम्र में भी कहते है कि आने वाले समय में और नवाचार करूंगा। उम्र थकती नहीं है। हम खुद मान लेते है। थकिए मत, बस चलते रहिए। छोटा गांव और बड़ा शहर इस सोच से बाहर निकलिए। खुद को तराशिए और रोज नई मॉजिल तलाशिए। अवसर अपार है, बस हमें पांच बांधकर नहीं बैठना है। चलते रहना है।
रिपोर्ट – कपिल डांगरा