दिवाली के खास मौके पर मिठाई का सबसे बड़ा महत्व है और सबसे ज्यादा मिठाइयों को पसंद किया जाता है। दिवाली को देखते हुए भीलवाड़ा शहर की रहने वाली रक्षा जैन (Raksha Jain) अन्य महिलाओं के लिए एक मिसाल पेश रही है। जो ना केवल खुद आत्मनिर्भर बनी बल्कि अपने साथ-साथ अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना रही है। लोकल फ़ॉर वॉकल को बढ़ावा देते हुए दिवाली को देखते हुए भीलवाड़ा की यह रक्षा जैन खास तौर पर मिश्री से मिठाई बना रही है जो काफी पसंद की जा रही है। रक्षा जैन एक या दो नहीं बल्कि 20 से 25 महिलाओं को घर बैठे रोजगार उपलब्ध करवा रही है। रक्षा जैन द्वारा बनाई गई मिठाई राजस्थान ही नहीं बल्कि देश के बड़े शहरों और विदेश में भी पसंद किया जा रहा है।
आत्मनिर्भर रक्षा जैन कहती हैं कि दिवाली को लेकर हम जो मिठाई बना रहे हैं इसमें हम शक्कर की जगह है मिश्री का इस्तेमाल कर रहे हैं। हम काजू कतली, केसर केतली और बालूशाही बेसन बर्फी बालूशाही विभिन्न तरह की मिठाई बना रहे हैं। क्वालिटी की बात की जाए तो बाजार में मिलने वाली मिठाई के मुकाबले हम किसी प्रकार का केमिकल कलर और चांदी का वर्क नहीं करते हैं। हम शुद्ध घर पर बनी हुई चीजों का इस्तेमाल करते हैं और बाजार के भाव के मुकाबले की हमारा भाव कम है। क्योंकि इसके पीछे हमारा मुख्य उद्देश्य यह है कि महिलाओं को रोजगार उपलब्ध हो सके। हमारे पास अभी 20 से 25 महिलाएं काम कर रही है जो मिठाई बनाने से लेकर डिलीवरी तक का काम करती है। सभी काम हम घर पर ही करते हैं ताकि एक घर का माहौल महिलाओं को महसूस हो और हम एकजुट होकर काम करते हैं। कई महिलाएं ऐसी होती है जिनके पास टैलेंट है और उन्हें काम की जरूरत भी है लेकिन सही जगह नहीं मिलने के कारण वह काम नहीं कर पाती है। ऐसे में यहां महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है और घर जैसा माहौल भी उपलब्ध हो रहा है। दिवाली को लेकर हमने करीब 1000 किलो मिठाई बनाने का टारगेट लिया है और हमें मुंबई , हांगकांग लंदन और दुबई से आर्डर मिल रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ साथ मिलकर काम कर रही महिला सुनीता ने कहा कि जो हम अपने घर पर काम करते हैं। वही काम हम यहां पर करते हैं हम मिठाई बना रहे हैं। दिवाली को देखते हुए हमें मिठाई बनाने से रोजगार मिल रहा है और सैलरी भी मिलती है और सबसे बड़ी खास बात यह है कि यहां पर हमें घर जैसा माहौल मिल रहा है। हम सभी महिलाएं एक साथ एक झूठ होकर काम कर रही है वह हमें काफी अच्छा लग रहा है।
रिपोर्ट – पंकज पोरवाल