राजस्थान के थार नगरी Barmer शहर रेलवे स्टेशन से चन्द कदम दूर नजर आएंगी जोघपुर मिष्ठान भंडार कमल सिंहल नाम हर जुबान पर है जैसे जन जन का जन्मदिन हो या शादी की सालगिरह पर कैक लेकर नजर आते तिलक लगाकर मिठाई खिलाकर यादगार उपहार बालाजी की तस्वीर देकर बंधाई देते नजर आते अब तक आपने सुपरमैन, पेडमैन,स्पाइडरमैन जैसे नाम सुने और उन्हें देखा होगा। आज हम आपकों केकमैन से रूबरू करा रहे है जो अपनी या अपने परिवार की खुशी के लिए नही अपनों की खुशीयों को साझा कर ज्यादा खुश होते है। हम बात कर रहे है बाड़मेर निवासी कमल सिंहल की जो एक वर्ष में करीब अपने 350 से अधिक दोस्तों की खुशियों में ना केवल शामिल होते बल्कि उनके लिए स्वयं द्वारा निर्मित मिल्ककेक ले जाकर मुंह मिठा करवाते है।
ऐसे करते है खुशी साझा
व्यवसायी कमल सिंहल की मिठाई की दुकान है जिसमें मिठाईयों के साथ मिल्ककेक बनाया जाता है। प्रतिदिन सुबह सोशल साइट के माध्यम से जानकारी मिलने पर सिंहल अपने परिचित को फोन करके जन्मदिन की बधाई देते है। इसके अलावा स्वयं की दुकान पर या जिसका जन्मदिन है उसके घर या कार्यालय जाते है। इस दौरान स्वयं की दुकान से केक लेकर जाते है। केक काटकर खुशी साझा करते है। उन्होने बताया कि आज कल लोग केवल सोषल साइट पर एक मैसेज छोडकर शुभकामनाएं देकर अपने आप सिमित कर रह रहे है तो सोचा कुछ ऐसा करू की लोगों के चेहरों पर खुशी ला सकु। इसी प्रयास ने केक काटते की प्रथा को जन्म दिया। सिंहल बताते है बाटने से खुशीयां बढती है ये अब तक बडे-बुजुर्गा से सुना था मगर अब इसे महसुस करता हुं। लोगो के चेहरों पर खुशी देकर जो आनन्द आता है उसे शब्दों में बांधना ठीक नही रहेगा।
वर्ष में 350 से अधिक लोगों के साथ काटते है केक
प्रतिदिन अपने जान पहचान वाले मित्रों व रिश्तेदारों के केक काटते है। ऐसे में वर्ष में 350 से अधिक लोगों के साथ केक काटते है। मित्रों व रिश्तेदारों के साथ केक काटकर उसको सोशल साइट पर अपलोड करते है। जिससे के अगले वर्ष फिर से पता रहे कि जन्मदिन कब है। पूरे दिन सोशल साइट पर मिलने वाली बधाईयों का जवाब भी देते है।
प्रतिदिन क्यों काटते है केक
सिंघल अपने परिचितों के जन्मदिन को यादगार बनाने के लिए स्वयं की दुकान से बना मिल्ककेक काटते है। इससे जहां आपसी भाईचारे को बढ़ावा मिलता है तो दूसरी तरफ भागदौड़ की जिंदगी में दोस्तों व रिश्तेदारों के साथ समय भी मिल जाता है। इसके अलावा सिंहल ने कई बुजुर्गों के जन्मदिन पर केक काटा जिन्होने पहले कभी अपना जन्मदिन नहीं मनाया। बुजूर्गों के लिए केक काटने का अपना-अलग ही अनुभव है। सिंहल बताते है कि बुजुर्गों के साथ जो आनन्द की अनुभुति उन्होने महसुस की वो इसे षब्दों में बया नही कर पाएंगे। उन्होने इतना बताया कि उनमें वो सदैव अपने पिता को देखते है जो अब इस दुनिया में नही है।
अनूठे तरीके से मनाया दुकान का 64 वां वर्ष
स्टेशन रोड स्थित जोधुपर मिष्ठान भंडार मोती जी की दुकान के 64 वर्ष हाल ही में वर्ष 2024 में हुआ है। ऐसे में सिंहल ने अपने परिचितों व ग्राहकों को निमंत्रण दिया तो जिलेभर के लोगों ने सिंघल की दुकान पर पहुंच कर उनका सम्मान किया। माना जाता है कि कई नई मिठाईयां का स्वाद बाड़मेर वासियों को पहली बार इसी मिठाई की दुकान मिला।
प्रशासन के रहते है मददगार
सिंहल सदैव कुछ नया करने के प्रयास में रहते है। उनके कई नव प्रयोगों को बाड़मेर ने अपनाया है। बात चाहे चुनाव की हो या मिट्टी के गणेष की या फिर कोरोना में बचाव के प्रयासों की सिंहल कई नव प्रयोग कर सब का दिल जीता है। स्वीप कार्यक्रम के तहत सिंहल की ओर से मिठाई के डिब्बां पर मतदाता जागरूकता के संदेश चस्पा कर जागरूक मतदाता होने का अधिकारी याद दिलाते है। इसके अलावा हाल में कोरोना संक्रमण के दौरान सोशल डिस्टेंस की पालना करने के लिए सिंहल ने दूकान के बाहर ऐसे लोहे के स्टैंड बनाए जिसमें प्रत्येक ग्राहक के बीच सामाजिक दूरी बनी रहे। साथ ही मास्क व सैनिटाईजर का निःशुल्क वितरण किया।
प्रशासन ने कई बार दिया सम्मान
सिंहल के नव प्रयोगों को प्रषासन ने भी खुब मान सम्मान दिया। जिला प्रशासन बाड़मेर ने एक बार व स्वीप के तहत 3 बार सम्मानित किया गया है। इसके अलावा विभिन्न सामाजिक संगठनों की ओर से भी सिंहल को कई मर्तबा सम्मानित किया गया।
धार्मिक कार्यक्रमां में बढ़चढ़ कर लेते है भाग
सिंघल धार्मिक कार्यक्रमों में बढ़चढ़ कर भाग लेते है। लगभग 14 वर्षों से प्रत्येक हनुमान जयंती पर बालाजी की शोभायात्रा का आयोजन करते है। शोभायात्रा स्टेशन रोड से होकर सदर बाजार स्थित हनुमान मंदिर जाती है। वहां महाआरती के बाद सवामणी का भोग लगाकर प्रसाद वितरण करते है। इसके अलावा सुंदरकांड में भी सहयोगी बनकर कार्य करते है।
अद्भूत चित्रकारी का शौक
सिंहल में बहुमुखी प्रतिभा के धनी है वो थर्माकॉल पर बेतहरीन तस्वीरे बनाते है। जो कि दिखने में आकर्षक होने के साथ थार की लोक कला व संस्कृति को बचाने में सन्देश देती है। सिंहल ने थर्माकोल पर विभिन्न देवी देवताओं के साथ स्मारक व किले बनाए है। जिसकी कई बार प्रर्दशनी लगाई गई जो कि आकर्षण का केन्द्र रही। थर्माकॉल के साथ-साथ मिट्टी के गणेश को बनाना,शहर में निकलने वाली शौभयात्रा में हर बाल अलग तरीके से उनका स्वागत करना उनके शोक में शामिल है।
रिपोर्ट: ठाकराराम मेघवाल