मुंबई। महाराष्ट्र विधान परिषद के लिए 12 जुलाई को होने वाले द्विवार्षिक चुनाव के लिए नामांकन करने वाले दो निर्दलीय उम्मीदवारों के नामांकन पत्र बुधवार को जांच के दौरान खारिज कर दिए गए। इसके बाद राज्य विधानमंडल के ऊपरी सदन की 11 सीटों के लिए 12 उम्मीदवार मैदान में रह गए हैं। जिन दो निर्दलीय उम्मीदवारों के नामांकन पत्र खारिज किए गए हैं, उनमें अजय सिंह मोती सिंह सेंगर और अरुण रोहिदास जगताप शामिल हैं।
शिवसेना (उबाठा) ने पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के करीबी सहयोगी मिलिंद नार्वेकर को मैदान में उतारा है, तो वहीं कांग्रेस ने वर्तमान एमएलसी प्रज्ञा सातव को उम्मीदवार बनाया है, जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार (राकांपा-एसपी) वर्तमान विधान परिषद सदस्य और पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी (पीडब्ल्यूपी) के नेता जयंत पाटिल को समर्थन दे रही है। ये तीनों पार्टियां महा विकास आघाडी गठबंधन की घटक हैं।
वहीं भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व मंत्री पंकजा मुंडे, अमित गोरखे, सदाभाऊ खोत, योगेश तिलेकर और परिणय फुके को टिकट दिया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने पूर्व सांसद कृपाल तुमाने और भावना गवली को मैदान में उतारा है। तो उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने राजेश विटेकर और शिवाजीराव गर्जे पर भरोसा जताया है।
उद्धव ठाकरे ने किया जीत का दावा
महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधान सभा में मौजूदा संख्या बल के अनुसार विपक्ष अपने केवल दो उम्मीदवारों को ही विधान परिषद चुनाव जीता पाने में समर्थ दिखाई देती है। हालांकि विपक्ष ने अपनी ओर तीन प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा है। विपक्ष को विश्वास है कि पिछले चुनाव में देवेंद्र फडणवीस द्वारा किए गए करिश्मे की वे भी पुनरावृत्ति कर सकते हैं।
इस संबंध में प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि “हमारे तीनों उम्मीदवार जीतेंगे।” यह पूछे जाने पर कि विपक्षी गठबंधन के पास अपने तीसरे उम्मीदवार की जीत के लिए पर्याप्त संख्या बल नहीं है, उन्होंने कहा कि “यदि हमें जीत का विश्वास न होता तो हम ऐसा नहीं करते।”
विधान परिषद सदस्यों की गणित
महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में अभी 14 पद रिक्त हैं, जहां निर्वाचक मंडल की संख्या 274 है, और जीतने वाले उम्मीदवार के लिए कोटा 23 है। विधानसभा में अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के पास 41 विधायक हैं, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिव सेना के पास 40 और बीजेपी के पास 103 हैं। वहीं महाविकास आघाडी में कांग्रेस के 37, शिवसेना (यूबीटी) के 13 और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के 15 विधायक हैं।