भीलवाड़ा। जिला साहित्यकार परिषद् द्वारा काव्य गोष्ठी स्थानीय सिन्धुनगर स्थित हेमू कालानी सिन्धी शिक्षण संस्था भवन में आयोजित की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता दयाराम मेठानी ने की एवं संचालन महेन्द्र शर्मा ने किया। काव्य गोष्ठी में अधिकांश कवियों ने पितृ दिवस सहित अन्य रचनाओं को भी प्रस्तुत किया गया।
निःसंदेह यह गोष्ठी सप्तरंगी हो गई जिसमें विभिन्न विषयों का समावेश हो गया। काव्य गोष्ठी सरस्वती वंदना से आरंभ हुई। काव्य गोष्ठी में हीरो वाधवानी ने कहा ‘माँ मित्र जैसी और पिता भामाशाह जैसा होता है’, प्रेम सोनी ने ‘माँ नीव है तो पिता वटवृक्ष है’, बंशीलाल पारस ने माहौल को बदलते हुए कहा ‘हकीकत और ख्वाब दोनों मुझे डराये तो बताओ मैं क्या करुं ’, बृजसुंदर सोनी ने कहा ‘बच्चे बड़े बेफिक्र होकर चलते है।
जब पिता की अंगुली पकड़ते है’, ओम उज्ज्वल ने ‘जन्म दिया है माँ ने मुझको, पिता ने मुझको पाला है’, दिनेश दीवाना ने प्रेम गीत ‘बंधनो की स्वामिनी तुम’ पढ़ा, अजीज जख्मी ने ‘हो रहे चढ़ने का आतुर, प्रेम के सोपान कितने’, महेन्द्र शर्मा ने ‘जीवन के महाभारत में रामायण को ढूंढो तुम’, दयाराम मेठानी ने ‘है गरीबी देश में मिल कर मिटाते क्यों नहीं’ सुना कर तालियां बटोरी।
काव्य गोष्ठी में रतनकुमार चटुल, शशि ओझा, शिखा बाहेती, पुनीता भारद्वाज, अपेक्षा व्यास, देवीलाल दुलारा, रामविलास नागर, योगेन्द्र कुमार सक्सेना ने अपनी शानदार रचनाये प्रस्तुत कर वाहवाही लूटी।
रिपोर्ट: पंकज पोरवाल, भीलवाड़ा