भिवंडी। भिवंडी Lok Sabha में मुख्य मुकाबला मुख्य रूप से भाजपा महायुति के उम्मीदवार कपिल पाटिल और महाविकास अघाड़ी के उम्मीदवार सुरेश म्हात्रे उर्फ़ बाल्या मामा के बीच है। लिहाजा, चार जून को साफ हो जाएगा कि इस सीट पर लगातार तीसरी बार बीजेपी उम्मीदवार निर्वाचित होंगे या फिर बिगुल (तुतारी) बजेगा। तुतारी एनसीपी (शरद पवार गुट) का चुनाव चिन्ह है।
हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि वंचित बहुजन अघाड़ी के समर्थन से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे नीलेश सांबरे और चुनाव मैदान में उतरी एमआईएम पार्टी वोटों का गणित कैसे बिगाड़ेगी। इस बात की भी चर्चा है कि क्या महाविकास अघाड़ी में स्थानीय कांग्रेस नेताओं की नाराजगी उन्हीं पर भारी पड़ेगी।
बाल्या मामा-कपिल पाटिल आमने-सामने
भिवंडी लोकसभा सीट पर कांग्रेस का थोड़ा बहुत दबदबा है। कांग्रेस इस सीट से लगातार चुनाव लड़ती रही है, लेकिन 2009 के चुनाव को छोड़कर दो चुनावों में कांग्रेस जीत नहीं पाई है। 2014 के बाद 2019 में मतदाताओं ने बीजेपी के कपिल पाटिल को दो बार लोकसभा में प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया। जीत की हैट्रिक लगाने को तैयार पाटिल को महाविकास अघाड़ी के उम्मीदवार सुरेश म्हात्रे से चुनौती मिल रही है।
हालांकि बताया जा रहा है कि म्हात्रे की उम्मीदवारी को लेकर स्थानीय कांग्रेस नेताओं में अब भी असंतोष है। क्योंकि भिवंडी लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने दावा किया था। मगर जैसे ही यह सीट शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस को मिली, भिवंडी में कांग्रेस नेताओं ने असहयोग की भाषा बोलना शुरू कर दिया। उधर म्हात्रे अब दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस में कोई नाराजगी नहीं है।
कपिल पाटिल और मुरबाड के बीजेपी विधायक किसन कथोरे के बीच विवाद नया नहीं है, एक ही पार्टी में होने के बावजूद कथोरे को सार्वजनिक रूप से यह आश्वासन देना पड़ा है कि पाटिल को पिछले चुनाव की तुलना में मुरबाड से सबसे ज्यादा वोट मिलेंगे। इस बीच उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस को हाल ही में मुरबाड में हुई बैठक में बयान देना पड़ा कि कथोरे पाटिल की जीत के लिए जी जान लगा देंगे।
इस बयान से बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा यह जताने की कोशिश की जा रही है कि कथोरे और पाटिल के बीच सबकुछ सामान्य है। हालांकि भिवंडी लोकसभा क्षेत्र में कुल 27 उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन महायुति और महाविकास अघाड़ी के बीच कड़ी टक्कर होने की संभावना है। इस संसदीय क्षेत्र में शहरी इलाकों के साथ ग्रामीण इलाके भी आते हैं और कृषि, कुनबी और मुस्लिम मतदाता भी बहुत है। बड़े पैमाने पर हैं।
इस सीट पर कांग्रेस का थोड़ा-बहुत दबदबा
इन वोटों को हासिल करने के लिए उम्मीदवारों के बीच कड़ी खींचतान चल रही है, लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार नीलेश सांबरे वंचित बहुजन अघाड़ी के समर्थन से चुनाव लड़ रहे हैं। चुनाव से पहले और चुनाव की घोषणा के बाद से सांबरे जोरदार शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि पिछले चुनाव में वंचित के उम्मीदवार को 51 हजार से ज्यादा वोट मिले थे।
ऐसे में यह देखना जरूरी है कि सांबरे को कितने वोट मिलते हैं। इस बार के चुनाव में एमआईएम पार्टी ने भी भिवंडी लोकसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार उतारा है। इसलिए सबका ध्यान इस बात पर है कि सांबरे के साथ-साथ एमआईएम के उम्मीदवार से किस उम्मीदवार को फायदा होगा या किसे नुकसान होगा। कुल मतों के योग में कौन से मतदाता वोट डालेंगे इसकी तस्वीर मतगणना के बाद ही साफ होगी।
दो विधानसभा क्षेत्रों में पीछे रह जाती बीजेपी
2019 के लोकसभा चुनाव में भिवंडी ग्रामीण, शाहपुर, कल्याण पश्चिम और मुरबाड विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के कपिल पाटिल को कांग्रेस उम्मीदवार सुरेश टावरे से अधिक वोट मिले। जबकि भिवंडी पश्चिम और भिवंडी पूर्व विधानसभा क्षेत्रों में, पाटिल को क्रमशः 52, 856 तथा 47 हजार 18 वोट मिले।
इन दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में टावरे ने बढ़त ले ली थी। टावरे को पाटिल से क्रमश: 78 हजार 376 और 70 हजार 825 ज्यादा वोट मिले।इसलिए, इस बात को लेकर उत्सुकता पैदा हो गई है कि इस साल के चुनाव में भिवंडी पश्चिम और पूर्व निर्वाचन क्षेत्रों में किसे सबसे ज्यादा वोट मिलेगा।