जीवाणा। वैसे तो प्रतिभाएं किसी परिचय की मोहताज नही होती है परंतु उचित मंच व प्रोहत्सान के अभाव में प्रतिभाएं सिमित दायरे तक सिमट कर रह जाती है। ऐसी ही एक प्रतिभा जीवाणा निवासी विजय कुमार सुथार है।
महज 12 वर्ष की उम्र में ही बिना किसी परीक्षण के विजय कुमार की बनाई कलाकृतियां पुरे गांव के लिए आकर्षण व चर्चा का केंद्र है। मात्र 12 वर्षीय विजय कुमार सुथार ने बताया कि उसने लकड़ी से राम मंदिर, स्कूल, हवाई जहाज ,जीप ,ट्रक,डम्पर,जेसीबी ट्रॉली, टैक्टर आदि की एकदम हूबहू सुंदर कलाकृतियां आसानी से बनाई है देखने वाले लोग भी इतनी सुंदर कलाकृति देखकर अचंभित रह जाते है।
अपने ही विद्यालय भवन की बना दी कलाकृति
जीवाणा कस्बे के मुख्य चौराहे पर संचालित हो रही श्री बायोसा आदर्श विद्या मंदिर भवन के छात्र विजय कुमार ने अपने ही विद्यालय भवन की हूबहू कलाकृति लकड़ी से बनाई है। बता दे कि विजय लकड़ी से खिलौने जैसी कई प्रकार की कलाकृतियां बना सकता है। उनकी ये कलाकृतियों को देखकर लोग भी उनके हुनर की प्रशंसा करते नही थक रहे है।
इंजीनियर बनना चाहता है विजय कुमार
12 वर्षीय विजय कुमार फिलहाल जीवाणा के एक निजी विद्यालय से 7 वीं उतीर्ण कर चुका है। उसका सपना है कि पढ़ाई कर बड़ा होकर वह इंजीनियर बने।
सहायता मिले तो जीवन में कर सकता बेहतर
विजय की चाहत तो इंजीनियर बनने की है ऐसे में उसके इस सपने को पूरा करने में अगर इस प्रतिभा को कोई समाज सेवी संस्थान या सरकार कोई सहायता करता है तो वाकई में यह बालक जीवन में बेहतर कर सकता है। कुमार के लिए बता दे उसकी दो बड़ी बहने और एक छोटा भाई है और उसके पिता का नाम खेताराम है।
पिता खेताराम के अनुसार विजय अपनी पढ़ाई का खर्चे में से कुछ पैसे खुद खिलौने बना कर बेचकर वहन करता है । खेताराम ने बताया कि विजय कुमार जब मात्र 7 वर्ष का था। तब से वह रद्दी पड़ी लकड़ी से कुछ न कुछ बनाता रहता था। वह खिलौने बनाने के साथ लकड़ी से छोटा बड़ा कार्य कर सकता है। यह कार्य करने में उसका कला सिखने में वह उसके पिता का सहयोग लेता है।
रिपोर्ट: रूपाराम चौधरी, जीवाणा